- आंदोलन तेज हुआ, सरकारी- प्रशासनिक पहल नहीं होने से कुड़मी समाज में रोष, कहा- हम भी डटे हैं
- सरकार कुड़मी समाज की मांग मान ले, तो आंदोलन समाप्त कर दिया जाएगा
Ranchi : कुड़मी जाति को एसटी में तथा कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर पिछले 4 दिनों से रेल रोको, चक्का जाम करो आंदोलन जारी है.कुड़मी समाज के लोग रेल रोको आंदोलन को सफल बनाने के लिए डटे हुए हैं. परंतु अब तक शासन प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई है. इससे इस समाज के लोगों में रोष है. आंदोलन कर रहे लोगों का कहना है कि यह आर-पार की लड़ाई है. जब तक सरकार कुड़मी जाति को एसटी में शामिल नहीं करती है, तब तक हम लोग आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे. चाहे यह आंदोलन कितना दिन भी चले हम तैयार हैं. इसलिए समझा जा रहा है कि यह आंदोलन लंबा चल सकता है. दूसरी ओर कई ट्रेनों और बसों के नहीं चलने से लोगों की कठिनाई बढ़ गई है. जमशेदपुर, चक्रधरपुर, चाईबासा रेलवे स्टेशन से यात्री टिकट बुकिंग पर भी असर पड़ा है. रेलवे को खासा नुकसान हो रहा है. हालांकि सरकार को इस दिशा में पहल कर कोई हल ढूंढ़ना चाहिए ताकि लोगों की परेशानी कम हो सके. शुभम संदेश की टीम ने इस संबंध में लोगों से जानकारी हासिल की है. पेश है रिपोर्ट.
कुड़मी जाति को एसटी में व कुड़माली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग, ट्रेन और बसों के नहीं चलने से लोग परेशान
सरकार या तो हां करे या फिर न करे : शैलेंद्र महतो
पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो का कहना है कि समाज ने पहले भी सरकार को आगाह करते हुए सितंबर माह में रेल चक्का जाम किया था. पर उस वक्त सरकार ने कुछ निर्णय नहीं लिया . सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर रही. सरकार या तो हां करे या फिर न करे. आंदोलनकारी तो अपनी मांग की लड़ाई लड़ रहे है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने पूर्व में कई जातियों को ट्राइबल का दर्जा दिया,पर कुड़मी जाति को छोड़ दिया. पटना हाइकोर्ट ने भी कहा था कि कुड़मी जाति ट्राईबल जाति है. पूर्व में लोग किताबों में पढ़ते थे, पर अब तो इंटरनेट के युग में लोगों को सारी जानकारी मिल जाती है.
यह लड़ाई कुड़मी समाज के हक की लड़ाई है : माणिक
माणिक महतो, अधिवक्ता कहते हैं कि यह लड़ाई हमारी हक की लड़ाई है. इस लड़ाई में ज्यादातर वे लोग ही शामिल हैं जो दैनिक मजदूरी या फिर खेती करते हैं. उन्हें ही अपनी पहचान चाहिए. रही बात अमीर लोगों की तो उनकी संख्या कम है. समाज के गरीब लोग ही अपने काम को छोड़कर इस आंदोलन को सफल बनाने में लगे हुए हैं ताकि जीत के बाद उन्हें पहचान मिल सके. साल 1931 में सरकार द्वारा ट्राइबल जातियों की एक लिस्ट जारी की गई थी, जिसमें 13 जातियों को जोड़ा जाना था,पर लिस्ट में मात्र 12 जातियों को ही जोड़ा गया.
तकलीफ हो रही हो तो हम क्षमाप्रार्थी हैं : राम प्रसाद महतो
राम प्रसाद महतो (संस्थापक सदस्य चुआड़ सेना सह केंद्रीय उपाध्यक्ष कुड़मी सेना) कहते हैं कि समाज अपनी पहचान बनाने के लिए आंदोलन कर रहा है. सालों पहले कुड़मी समाज को अपना हक मिलना चाहिए था, पर वह हक अब तक नहीं मिला है. अगर इस आंदोलन से लोगों को कोई तकलीफ होती है तो इसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं. समाज के लोगों को लोन नहीं दिया जा रहा है. कोई भी सरकारी काम में बाधा उत्पन्न हो जाती है. अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो सोमवार से कोटशिला स्टेशन पर भी धरना दिया जाएगा. जब तक सरकार मांगें पूरी नहीं करती तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.
आरक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके : सोहन
सोहन महतो (राज्य सचिव, एआईडीएसओ) का कहना है कि इस आंदोलन में सभी तरह के लोग शामिल हो रहे हैं. यह आंदोलन इसलिए किया जा रहा है कि देश में कुड़मी जातियों को आरक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके. साफ शब्दों में कहा जाए तो सभी नौकरी चाहते हैं. देश की मौजूदा हालत बहुत खराब है. देश में 9.5 लाख रिक्त पद हैं, पर उनकी जगह सरकार नौकरियां नहीं निकाल रही है. आज सभी के पास नौकरियां होती तो यह आंदोलन करने की जरुरत ही नहीं पड़ती. यह मांग कुड़मी समाज के लिए जायज है. इसलिए हमलोग यह आंदोलन कर रहे हैं.
ट्रेन, बस सहित मालवाहक बंद रहने से जरूरी चीजों की आवक ठप
कुर्मी को एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन तेज हो गया है. आंदोलनकारियों ने ट्रेनें रोक दी है, जबकि बसों और मालवाहकों का चलना भी दूभर हो गया है. इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है. हरी सब्जियों की आवक बंद हो गई हैं, जिससे आम जनों सहित कुड़मी समाज को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने लगा आंदोलन का असर: गोवर्धन महतो
स्टील गेट स्थित सब्जी विक्रेता गोवर्धन महतो का कहना है कि आंदोलन का असर रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने लगा है. सब्जियों की आवक बंद होने के कारण मजबूरी में लोकल मार्केट से ऊंचे मूल्य पर सब्जी खरीद कर बेच रहे हैं. लोकल सब्जियों की बिक्री से पेट चलाना मुश्किल साबित हो रहा है. पता नहीं यह आंदोलन कब खत्म होगा. इस आंदोलन के कारण बहुत से लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ा है. सरकार इसे जल्द खत्म कराए.
मांगें पूरी होने तक चलता रहेगा यह आंदोलन : गणपत महतो
कुर्मी समाज के नेता सह झारखंड मुक्ति मोर्चा उलगुलान पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष गणपत महतो का कहना है कि 1871 से 1931 तक कुर्मी जाति प्रिमिटिव ट्राइब्स का हिस्सा हुआ करती थी. इसमें झारखंड की कुल 13 जातियां शामिल थीं. संविधान बनने के बाद 1950 में कुर्मी जाति को छोड़ कर सभी 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया गया. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे लिपिकीय भूल बताया था.
मांगें पूरी होने तक चलता रहेगा यह आंदोलन: गणपत महतो
कुर्मी समाज के नेता सह झारखंड मुक्ति मोर्चा उलगुलान पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष गणपत महतो का कहना है कि 1871 से 1931 तक कुर्मी जाति प्रिमिटिव ट्राइब्स का हिस्सा हुआ करती थी. इसमें झारखंड की कुल 13 जातियां शामिल थीं. संविधान बनने के बाद 1950 में कुर्मी जाति को छोड़ कर सभी 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया गया. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे लिपिकीय भूल बताया था.
फैसला शीघ्र नहीं हुआ तो धनबाद तक पहुंचेगा आंदोलन: हीरालाल
कुर्मी समाज के हीरालाल महतो ने भी इस आंदोलन को सही ठहराया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल यह आंदोलन खड़गपुर और आद्रा रेल मंडल में चल रहा है. शीघ्र ही सरकार कोई फैसला नहीं लेती है तो आंदोलन धनबाद रेल मंडल में भी देखने को मिलेगा. इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र और झारखंड सरकार की होगी.आंदोलन के कारण बहुत से लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ है. इसका समाधान शीघ्र निकलना चाहिए.
कुड़मी समाज के गरीबों को भी हो रही है परेशानी : सपन कुमार
बहरागोड़ा निवासी सीपीएम के राज्य सदस्य सपन कुमार महतो ने कहा कि यह सच है कि कुड़मी समाज द्वारा रेल और हाईवे जाम से आम जनता सहित कुड़मी समाज के गरीबों को भी परेशानी हो रही है. इसके लिए कुड़मी समाज दुखी है. पिछले साल सितंबर में समाज द्वारा रेल चक्का और हाइवे जाम करने के 5 दिन बाद पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के गृह सचिव ने लिखित रूप से आश्वासन दिया था कि वह केंद्र सरकार को सीआरआई रिपोर्ट भेज देंगे. परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया.
हमारी मांगें संवैधानिक हैं, इस पर गौर किया जाए: शंखदीप महतो
चाकुलिया झारखंड भाषा खतियानी संघर्ष समिति के सदस्य शंखदीप महतो ने कहा है कि हमारी मांगें संवैधानिक हैं. कुड़मी समाज उक्त मांगें पिछले 70 साल से करता आ रहा है. इन 70 सालों में रांची से लेकर दिल्ली तक धरना प्रदर्शन किया गया और भूख हड़ताल की गयी. इसके बावजूद हमारी मांगें नहीं सुनी गईं. हर स्तर से नजरअंदाज किया गया है. अंत में राज्य एव केन्द्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए हमें बाध्य होकर रेल मार्ग एवं सड़क अवरोध करने के लिए बाध्य होना पड़ा.
हमारा समाज अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है : सुफल महतो
चाकुलिया के युवा कुड़मी नेता सुफल महतो ने कहा कि हर आंदोलन में ही आम जनता परेशान होती है. इस रेल चक्का और हाईवे जाम में भी आम जनता परेशान जरूर है. कुड़मी समाज अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है, जिनसे हमें वंचित रखा गया है. इस रेल चक्का और हाईवे जाम के लिए पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार जिम्मेवार है. सरकार कुड़मी समाज को ठग रही है. राज्य सरकार शीघ्र ही पहल करे और हमारी मांगों को पूरा करने की दिशा में उचित कार्रवाई करे.
रोज कमाने खाने वाले हो रहे हैं परेशान : शशांक
आदित्यपुर के कुड़मी समाज के बुद्धिजीवी और कला संस्कृति विभाग के क्षेत्रीय भाषा फिल्मों के डायरेक्टर शशांक शेखर महतो कहते हैं कि कुड़मी आंदोलन की मांग का समर्थन करता हूं. चूंकि यह इस समाज की वर्षों पुरानी मांग है, लेकिन अब जो वायलेंस क्रिएट हो रहा है. ट्रेन और रोड दोनों मार्ग को अवरुद्ध कर जनजीवन को जिस कदर प्रभावित किया जा रहा है, वह दुखदायी है.
कुड़मी समाज का आंदोलन जायज है : लालटू महतो
कुड़मी सेना टैटोमिक के अध्यक्ष लालटू महतो की नजर में आंदोलन जायज है. वे कुड़मियों को शीघ्र आदिवासी बनाने की मांग करते हुए वर्तमान आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते हैं. वे कहते हैं कि वर्षों से हमारे बाप-दादा जंगलों में रहकर आदिवासी जीवन जीये, हमारी संस्कृति और त्योहार आदिवासियों के समान हैं. फिर सरकार क्यों कुड़मियों को आदिवासी का दर्जा नहीं दे रही है.
सरकार को फौरन बैठक बुलानी चाहिए : गोपाल
झामुमो के केंद्रीय सदस्य गोपाल महतो भी कुड़मी आंदोलन का समर्थन करते हैं. आंदोलन से हो रही असुविधा और लोगों की परेशानी पर दुख जताते हुए कहते हैं कि केंद्र सरकार को फौरन कुड़मियों की बातों को लेकर उच्चस्तरीय बैठक बुलानी चाहिए और इसका शीघ्र समाधान करना चाहिए. उन्होंने बताया कि यह आंदोलन झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुडमियों की है.
आंदोलन समाप्त कराने की पहल हो : छत्रपति महतो
पेशे से अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता छत्रपति महतो कहते हैं कि झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुड़मियों की संस्कृति, उनके पर्व त्योहार और रहन सहन से प्रतीत होता है ये वर्षों से आदिवासी जीवन जीते आ रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को सकारात्मक पहल करते हुए कोई बीच का रास्ता अपनाते हुए आंदोलन को समाप्त करने की रणनीति बनानी चाहिए.
एसटी का दर्जा दें, आंदोलन खत्म हो जाएगा : शंकर लाल
चाईबासा के टोटेमिक कुड़मी समाज के अध्यक्ष शंकर लाल महतो ने कहा है कि कुड़मियों के हित में सरकार नहीं है, यदि होती तो अनुसूचित जनजाति का दर्जा लेने के लिये इतना संघर्ष नहीं करना पड़ता. यह सही बात है जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, लेकिन हमारे अधिकार के लिये हम सब को लड़ना ही होगा. हर समुदाय के लोग आंदोलन करते हैं. ऐसे में अगर हमारा समुदाय एकत्रित होकर आंदोलन कर रहा है तो इसके लिए लोगों को दिक्कत नहीं होनी चाहिये. सरकार एसटी का दर्जा हमें दे आंदोलन खत्म कर दिया जायेगा.
ट्रेन बंद होने से सभी को परेशानी होती है : दिनेश
चाईबासा के टोटेमिक कुड़मी समाज के केंद्रीय सदस्य दिनेश महतो कहते हैं कि ट्रेन परिचालन नहीं होने से हर वर्ग को परेशानी होती है, लेकिन वर्षों से हमारा आंदोलन चल रहा है. कोई भी राजनीतिक दल आगे आकर कदम नहीं उठाया. लगातार एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है. हमें सिर्फ अपना अधिकार चाहिये. आखिर किस वजह से एसटी सूची से हमें हटा दिया गया. इस पर आधिकारिक बयान जारी कर दें, हमारा आंदोलन ऐसे ही खत्म हो जायेगा. देश आजाद होने के बाद भी हम एसटी ही थे. लेकिन आजादी के कुछ सालों बाद ही हमें हटा दिया गया, यह गलत है.
कुड़मियों को ठगने का काम करते रहे : खगेश्वर
चाईबासा के आदिवासी कुड़मी समाज के अध्यक्ष खगेश्वर महतो कहते हैं कि हम आदिवासी थे इसका प्रमाण है. सरकार इस पर गंभीरता से विचार विमर्श करे और आगे की कर्रवाई करे. केंद्रीय सरकार को अब उचित निर्णय लेने की जरूरत है. जब तक कुड़मियों पर उचित निर्णय नहीं होगा आंदोलन जारी रहेगा. लगातार हम कुड़मियों को ठगने का काम राजनेता करते आ रहे हैं, लेकिन इस बार आर-पार की लड़ाई होगी. आने वाले चुनाव में भी इसका असर देखने को मिलेगा. किसी भी समुदाय का आंदोलन होता है तो कुछ लोगों को कुर्बानी देनी होती है.
कुड़मियों के साथ भेदभाव किया जाता रहा है : गौरी
चाईबासा के कुड़मी समाज के सदस्य गौरी शंकर महतो कहते हैं कि लगातार कुड़मियों के साथ भेदभाव किया जाता रहा है. केंद्र सरकार वादा करने के बाद भी अपने वादे से पीछे हट रही है. पिछले दिनों जब आंदोलन हुआ था तो उसी वक्त केंद्रीय सरकार के साथ समझौता हुआ था कि कुड़मी को एसटी का दर्जा संबंधित अधिनियम तैयार किया जायेगा, लेकिन अब सरकार पीछे हट रही है. इससे साफ जाहिर होता है कि हम कुड़मियों के साथ केंद्र सरकार नहीं है. इस बार आर पार की लड़ाई है. हम सब को एकजुट होकर आगे आने की जरूरत है.
एकजुट होकर आगे आने की जरूरत है : श्याम सुंदर
चाईबासा के कुड़मी समाज के संरक्षक श्याम सुंदर महतो ने कहा कि कुड़मी को एकजुट होकर आगे आने की जरूरत है. यही समय है सरकार हम सब को नजरअंदाज करने में लगी है जो गलत है. आज भी ग्रामीण क्षेत्र में कुड़मी जाति के अधिकतर लोगों की स्थिति बद से बदतर हो गयी है. उनका सरकारी लाभ तक सही से नहीं मिलता है. अपनी भाषा कुड़माली है, जो सदियों से चलती आ रही है. ऐसे में सरकार को गंभीरता से विचार-विमर्श करने की जरूरत है. जब तक सरकार इस पर गंभीर नहीं होगी तब तक कुड़मी आंदोलन जारी रहेगा.
कुड़मी आंदोलन वर्षों से चल रहा है : डॉ अनंत महतो
चाईबासा के कुड़मी समाज के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अनंत महतो कहते हैं कि कुड़मी आंदोलन एक दिन का नहीं है. वर्षों से यह आंदोलन चलता आ रहा है. सरकार इसको नजरअंदाज नहीं कर सकती. भले की अवागमन को लोगों को परेशानी हो रही हो इसका संवेदना हम भी करते है. इसका भी ज्ञान हम सब को है लेकिन कुड़मी के साथ वर्षों से भेदभाव किया जा रहा है इस पर नजर आखिर किसी की नजर क्यों नहीं जाती है. एसटी की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. इतने लंबे समय से आंदोलन चल रहा है, पर सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है,यह गलत है.
अन्य समुदायों को भी साथ देना चाहिए : शिवचरण महतो
चाईबासा के कुड़मी समाज के सामाजिक कार्यकर्ता शिवचरण महतो कहते हैं कि अन्य समुदाय को भी कुड़मी समाज के आंदोलन का साथ देना चाहिये. हम पहले से आदिवासी की सूची में शामिल ही थे तो हमें आखिर हटाया क्यों गया. इसका जवाब सरकार को देने की जरूरत है. आंदोलन को खत्म करने की कोशिश कई लोग किये है. लेकिन वे सफल नहीं हो पाये. आज जब परेशानी हो रही है तो तरह-तरह की बातें कर रहे हैं. कोल्हान में ही एक समुदाय हमारा विरोध करता है. अब वे आगे आकर विरोध करें. हमारी मांग सरकार से है किसी एक समुदाय से नहीं है.
सनातन धर्म से बिल्कुल अलग है : काशीनाथ महतो
पश्चिमी सिंहभूम के पूर्व मुखिया सह कुड़मी नेता काशीनाथ महतो कहते हैं कि कुड़मी जाति की अपनी भाषा, परंपरा सभी आदिवासी जनजाति से मिलता-जुलता है. ग्रामीण क्षेत्र में अब भी आदिवासी की तरह जीवन यापन करता है. गांव में ब्राह्मण से पूजा तक नहीं होती है. हर पूजा पाठ स्वयं करते हैं. सनातन धर्म से बिल्कुल अलग है. जल, जंगल व जमीन की पूजा-अर्चना करते हैं. आदिवासी के सभी गुण हैं. हमारा इतिहास आदिवासी का ही है. झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम के अलावा विभिन्न प्रदेशों में कुड़मी निवास करते हैं. इसकी परंपरा भिन्न है.
आंदोलन में दिन-रात डटे हैं लोग
कुड़मी जाति को एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर पिछले 4 दिनों से पश्चिम बंगाल के खेमाशुली रेलवे स्टेशन पर कुड़मी समाज के लोग रेल रोको आंदोलन को सफल बनाने के लिए दिन-रात डटे हुए हैं. परंतु अब तक शासन प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई है. इससे कुड़मी समाज के लोगों में काफी रोष है. आंदोलन कर रहे लोगों ने बताया कि यह आर-पार की लड़ाई है. जब तक सरकार कुड़मी जाति को एसटी में शामिल नहीं करती है तब तक हम लोग रेल ट्रैक से नहीं उठेंगे चाहे आंदोलन कितना दिन भी चले हम सभी पूरी तैयारी के साथ आंदोलन शुरू किए हैं.
कुड़मी समाज कृषि से संबंध रखता है : स्वप्न महतो
इस संबंध में कुड़मी संस्कृति विकास समिति के केंद्रीय अध्यक्ष स्वपन महतो ने कहा कि कुड़मी समाज के लोग अधिकतर कृषि क्षेत्र से संबंध रखते हैं. रेल एवं सड़क मार्ग अवरुद्ध होने के कारण समाज के ही किसानों को काफी नुकसान एवं परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कुड़मी समाज के लोग कृषि क्षेत्र से लगाव रखते हैं. ज्यादातर खेती बारी कर वे जीवन निर्वाह करते हैं.
अभी और लंबा चलेगा रेल रोको आंदोलन : शिवनाथ महतो
धालभूमगढ़ प्रखंड के शिवनाथ महतो ने कहा कि रेल तथा सड़क मार्ग अवरुद्ध होने के कारण हर वर्ग के लोगों को थोड़ी परेशानी हो रही है. यह परेशानी एक दिन होनी ही थी. आज हमारे समाज के लोग रात-दिन कितना दुख-तकलीफ सहकर पांच दिनों से सड़कों तथा स्टेशन में रेलवे ट्रैक पर बैठे हैं. परंतु प्रशासन एक बार वार्ता करने के लिए नहीं आ रहा है. यह आंदोलन और अधिक लंबा चलने की उम्मीद है.
चक्रधरपुर स्टेशन से 3 लाख रुपए तक की टिकट बिक्री पर प्रभाव
कुड़मी सामाज को एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन को लेकर रेलवे को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन से यात्री टिकट की बिक्री आधे से कम हो गई.वहीं रोजाना बड़ी संख्या में यात्री पहले से बुक किए गए टिकट को रद्द करा रहे हैं.चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन से यात्री टिकट बुकिंग पर रोजाना ढाई से तीन लाख रुपए का नुकसान हो रहा है.चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन के वाणिज्य अधीक्षक बसंत प्रधान ने बताया कि चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन से रोजाना पांच से छह लाख रूपये के यात्री टिकट की बिक्री होती थी, लेकिन आंदोलन के कारण ट्रेनों के रद्द रहने से ढाई से तीन लाख रुपए का नुकसान हो रहा है.यात्री टिकट बिक्री पर काफी प्रभाव पड़ा है.साथ ही रोजाना डेढ़ से ढाई लाख रुपए यात्री टिकट के रिफंड किए जा रहे है.इससे काफी अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
हमारी मांग जायज है : संजीव महतो
आदिवासी कुड़मी समाज के प्रदेश संगठन सचिव संजीव महतो ने कहा कि हमारी मांग जायज है. केंद्र सरकार द्वारा हमें ठगे जाने के कारण ही हम पुनः आंदोलन के लिए बाध्य हुए हैं.हमारा मंशा किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं है, लेकिन वर्षों पुरानी मांग पूरी नहीं होने के कारण हमें आंदोलन करना पड़ रहा है. आंदोलन के जाने के बावजूद भी कोई भी आंदोलनकारियों से मिलने नहीं आ रहा है, हमारी मांग पर किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हो रही है, जिस कारण आंदोलन पहले से और तेज हो रहा है. जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी आंदोलन जारी रहेगा.
धोखा के कारण आंदोलन हो रहा :शत्रुघ्न महतो
कुड़मी युवा विकास मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष शत्रुघ्न महतो चक्रधरपुर के महतो ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हमें धोखा दिए जाने के कारण ही आंदोलन करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि आंदोलन वर्षों पुरानी है. सरकार को इस ओर अब तक निर्णय लिया जाना चाहिए था, लेकिन हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. आंदोलन से लोगों को नुकसान तो पहुंच रहा है, लेकिन आंदोलन पर निर्णय निकलने से उन लोगों को ही लाभ पहुंचेगा, जिन्हें आज परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में शीघ्र पहल कर इसका समाधान निकालना चाहिए.
चक्रधरपुर डिवीजन के प्रमुख स्टेशनों के 31 लाख से अधिक के टिकट वापस
कुड़मी जाति को एसटी का दर्जा देने की मांग पर कुड़मी समाज के लोग पश्चिम बंगाल स्थित कुस्तौर और खेमाशुली स्टेशन पर रेलवे ट्रैक को जाम कर आंदोलन कर रहे हैं. यह आंदोलन शनिवार को पांचवें दिन भी जारी रहा. इससे दक्षिण पूर्व जोन ने गुरुवार को भी टाटानगर, चक्रधरपुर, राउरकेला व खड़गपुर, भुवनेश्वर मार्ग की दर्जनों ट्रेनों को रद्द कर दिए गए हैं. इस आंदोलन से चक्रधरपुर रेल डिवीजन को लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है. चक्रधरपुर डिवीजन के प्रमुख स्टेशन टाटानगर, चक्रधरपुर, राउरकेला और झारसुगुड़ा स्टेशन में ही कुल 5628 यात्रियों के कुल 31,73,795 रुपये के टिकट रुपए वापस किए गए हैं. यह आंकड़ा 4 अप्रैल से 7 अप्रैल तक का है.
टाटानगर स्टेशन से ही 13 लाख के टिकट के पैसे रिफंड
टाटानगर स्टेशन से देश के कई बड़े शहरों के लिए ट्रेनें जाती हैं. ये ट्रेनें आंदोलन के दिनों से ही रद्द कर दी गई हैं. टाटानगर स्टेशन से कुल 13,69,735 रुपये के टिकट के पैसे रिफंड किए गए. वहीं चक्रधरपुर स्टेशन से 5,15,310, राउरकेला से 9,48,745 और झारसुगुड़ा से 3,40,005 रुपये के टिकट के पैसे रिफंड किए गए.
आंदोलन को लेकर दक्षिण पूर्व रेलवे ने 11 अप्रैल तक कई ट्रेनें रद्द कर दीं, कई का रूट बदला
कुड़मी समाज द्वारा आंदोलन को लेकर रेलवे द्वारा हर दिन कई ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है. दक्षिण पूर्व रेलवे द्वारा 9 अप्रैल से 11 अप्रैल तक भी कई ट्रेनों को रद्द करने का फैसला का फैसला लिया है. हालांकि ऐसी कई ट्रेनें जो हावड़ा से खुलती थी, उन्हें टाटानगर होकर चलाए जाने का भी फैसला लिया गया है. इन ट्रेनें में 12806 हावड़ा मुंबई एक्सप्रेस रविवार को टाटा से खुलेगी और यह ट्रेन सोमवार को रद्द रहेगी. 18030 शालिमार-एलटीटी एक्सप्रेस रविवार को टाटा से खुलेगी और यह ट्रेन सोमवार को रद्द रहेगी.
टाटानगर होकर चलने वाली ये ट्रेनें रद्द की गई हैं
- गाड़ी संख्या 12021 हावड़ा- बड़बिल जनशताब्दी एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12022 बड़बिल -हावड़ा जनशताब्दी एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12102 हावड़ा -लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस ((09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12129 पुणे- हावड़ा एक्सप्रेस (09 अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या12130 हावड़ा- पुणे एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12261 सीएसएमटी-हावड़ा दुरंतो एक्सप्रेस((09अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12262 हावड़ा- सीएसएमटी दुरंतो एक्सप्रेस (10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12801 पुरी -नई दिल्ली पुरषोत्तम एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12802 नई दिल्ली- पुरी पुरषोत्तम एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12809 सीएसएमटी -हावड़ा एक्सप्रेस (09 अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12810 हावड़ा-सीएसएमटी एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12813 टाटा- हावड़ा स्टील एक्सप्रेस ((09और10अप्रैल को रद्द)
- गाडी संख्या 12814 हावड़ा- टाटा स्टील एक्सप्रेस ((09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12819 भूवनेश्वर – आनन्द विहार एक्सप्रेस (09अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12827 हावड़ा – पुरुलिया एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12828 पुरुलिया-हावड़ा एक्सप्रेस ((09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12833 अहमदाबाद -हावड़ा एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12834 हावड़ा- अहमदाबाद एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12859 सीएसएमटी – हावड़ा एक्सप्रेस (09 अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12860 हावड़ा- सीएसएमटी एक्सप्रेस (10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12871 हावड़ा -टिटलागढ़ एक्सप्रेस (10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12872 टिटलागढ़ -हावड़ा एक्सप्रेस ((09 अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12875 पुरी- आनन्द विहार एक्सप्रेस ((09 अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12876 आनन्द विहार -पुरी एक्सप्रेस ((09अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12883 संतरागाछी- पुरुलिया एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 12884 पुरुलिया- हावड़ा एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 13287 दुर्ग-राजेन्द्र नगर दक्षिण बिहार एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 13288 राजेन्द्र नगर- दुर्ग दक्षिण बिहार एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 13301 धनबाद -टाटा स्वर्णरेखा एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)
- गाड़ी संख्या 13302 टाटा- धनबाद स्वर्णरेखा एक्सप्रेस (09और10अप्रैल को रद्द)