Ranchi : गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने पथ निर्माण विभाग में 106.69 करोड़ के टेंडर घोटाले का आरोप लगाया है. उन्होंने टेंडर में बरती गई अनियमतता की कॉपी भी उपलब्ध कराई है. इस मामले को उन्होंने मुख्य सचिव, ईडी, सीबीआई सहित सभी जांच एजेंसियों को पत्र लिखा है. मुख्य सचिव सहित जांच एजेंसियों को लिखे पत्र में कहा है कि वर्तमान में राज्य सरकार के पथ निर्माण विभाग के द्वारा आमंत्रित व आबंटित निविदाओं में अनियमितता बरती जा रही है. इससे सरकार को वित्तीय क्षति हो रही है. विभाग के पदाधिकारियों द्वारा कई निविदाओं में बीओक्यू राशि से ज़्यादा राशि पर कुछ विशेष प्रतिभागी निवेदाकारों को लाभ पहुंचाने के लिए निविदा कार्यों का निस्तारण व आवंटन किया जा रहा है. जिन निविदाकारों के पक्ष में निविदा कार्यों का आवंटन किया गया है उनमे से अधिकतर निविदाकार की न्यूनतम निविदा राशि उस निविदा कार्य के बीओक्यू राशि से अधिक है.
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निविदा की भावनाओं के खिलाफ़ हुआ काम
कई निविदाकार जो पथ निर्माण विभाग के तहत समुचित श्रेणी में निबंधित है तथा निविदा आमंत्रण व एसबीडी द्वारा निर्धारित सभी शर्तों व अहर्ताओं को पूर्ण करते है और बीडिंग की प्रक्रिया में शामिल भी हुई हैं, जिनका न्यूनतम निविदित राशि आमंत्रित निविदा के बीओक्यू राशि से भी कम है, उनके पक्ष में निविदा का निस्तारण नहीं किया जा रहा है. इन निविदाकारों की निविदाओं को जान बूझ कर नॉन रेस्पोंसिव घोषित कर एवं बिना उनका पक्ष सुने निरस्त कर दिया जा रहा है. जो कि नैसर्गिक न्याय के मूल सिद्धांत एवं निविदा के भावनाओं के खिलाफ़ है.
चहेते को मिल रहा टेंडर
विभागीय पदाधिकारियों के द्वारा कुछ चुने गये कुछ विशेष निविदाकार जिन्होंने कारटेल का गठन किया है उन्हें ही कार्य आवंटित किया जा रहा है. बाक़ी प्रतिभागी निविदाकारों के निविदा को अकारण नॉन रेस्पोंसिव घोषित किया जा रहा है. योग्य एवं लोकल निविदाकारों को निविदा से अकारण नॉन रेस्पोंसिव कर निविदा प्रतिभागिता से हटाया जा रहा है. विशेष निविदाकार को ही निविदा में टेक्नीकली क्वालिफाई किया जा रहा है. साथ ही उन्हें अधिक दर पर कार्य आवंटित किया जा रहा है.
राज्य को हो रही आर्थिक क्षति
झारखंड सरकार के ई-टेंडर पोर्टल पर उपलब्ध सूचना के आधार पर एक तालिका भी सांसद ने मुख्य सचिव सहित सभी जांच एजेंसियों को भेजा है. जिसमें कहा कि तालिका देखने स्पष्ट हो रहा है कि सरकार के द्वारा निविदाकारों को टेक्नीकली क्वालिफाई कर सिर्फ दो-तीन निविदाकारों के फाइनांशियल पार्ट को खोला जा रहा है. ये विशेष रूप से चयनित निविदाकार होते हैं. उन्हें अधिक मूल्य पर कार्य आवंटित की जा रही है, जिससे सरकार को आर्थिक क्षति हो रही है. विभागीय पदाधिकारियों द्वारा इस तरह की कार्यप्रणाली किसी भी तरह से अपेक्षित नहीं है.
मुख्य सचिव से की उच्चस्तरीय जांच की मांग
सांसद ने उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है. साथ ही संलिप्त संवेदक एवं पदाधिकारियों के आय संबंधित धनोपार्जनका की भी जांच कराने की मांग की है.
इन कंपनियों को बीओक्यू की राशि से अधिक का मिला काम
• राजवीर कंस्ट्रक्शन प्रालि. को गोड्डा में 74 करोड़ 81 लाख का काम मिला
• जय माता दी कंस्ट्रक्शन को 30 करोड़ 90 लाख का काम मिला है
• गंगा कंस्ट्रक्शन को 134 करोड़ में काम आवंटित किया गया है
• एडी इंफ्रा को 29 करोड़ 48 लाख में काम आवंटन किया गया है
• राजवीर कंस्ट्रक्शन को दुमका में मिला 89 करोड़ 99 लाख में काम दिया गया है
• . मिनी कंस्ट्रक्शन को 50 करोड़ 31 लाख में काम आवंटित किया गया है.
• ड्राइपल को जमशेदपुर में 252 करोड़ में काम आवंटित किया गया है.
• एसआरई एंड एएसएसओ को रांची में 105 करोड़ का काम आवंटित किया गया है
• स्वर्णिम कंस्ट्रक्शन को रामगढ़ में 17 करोड़ का काम आवंटित किया गया है
• पूजा हमिंग वर्ड डीसी नाम की कंपनी को लातेहार में 67 करोड़ का काम मिला है
• . चित्रा कंस्ट्रक्शन को विभाग ने 15 करोड़ का काम दिया है
• एसआरई एंड एएसएसओ को रांची में 169 करोड़ का काम आवंटित किया गया है
• भारत वाणिज्य ईस्टर्न प्रा.लि. को 267 करोड़ का काम आवंटित किया गया है
• मोहनलाल जैन को दुमका में मिला 43 करोड़ का काम आवंटित किया गया है
• वेलजी रतन सोरथिया इन्फ्रा प्रा. लि. को साहिबगंज में 41 करोड़ का काम आवंटित किया गया है
• एसआरएमवी कंस्ट्रक्शन को लोहरदगा में मिला है 68 करोड़ का काम आवंटित किया गया है
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