New Delhi : कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चार सदस्यीय कमेटी में से एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया है. कोर्ट द्वारा गठित कमेटी पर लगातार सवाल उठ रहे थे. किसान संघों ने कमेटी के समक्ष जाने से इनकार कर दिया है. साथ ही यह आरोप लगा रहे है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनायी है, उसके सभी सदस्य सरकार और कृषि बल के समर्थक रहे हैं.
.मान ने गुरुवार को कहा कि वह किसानों के हित के साथ कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं. इसलिए वह खुद को पैनल से दूर कर रहे हैं.
S. Bhupinder Singh Mann Ex MP and National President of BKU and Chairman of All India Kisan Coordination Committee has recused himself from the 4 member committee constituted by Hon’ble Supreme Court pic.twitter.com/pHZhKXcVdT
— Bhartiya Kisan Union (@BKU_KisanUnion) January 14, 2021
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भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष हैं मान
मान ने एक बयान में कहा कि वह समिति में उन्हें नामित करने के लिए शीर्ष अदालत के शुक्रगुजार हैं. लेकिन वह किसानों के हित में ऐसे हर पद को त्यागने को तैयार हैं, भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने ट्विटर पर कहा, “पूर्व सांसद, बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह मान माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति से अपना नाम वापस ले चुके हैं.
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ट्वीट कर दी पैनल छोड़ने की जानकारी
BKU ने मान द्वारा जारी किये एक अहस्ताक्षरित बयान को भी ट्वीट किया. मान ने लिखा है, “मैं केंद्र सरकार द्वारा लाये गये तीन कानूनों पर किसान यूनियनों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए चार सदस्यीय समिति में नामित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का आभारी हूं. एक किसान और यूनियन लीडर के रूप में, खेत संघों और आम जनता की भावनाओं और आशंकाओं के मद्देनजर, मैं पंजाब या किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए किसी भी पद की पेशकश को ठुकराने को तैयार हूं.
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किसानों ने कानूनों की प्रतियां जलायीं
इससे पूर्व बुधवार को प्रदर्शनकारी किसानों ने विवादास्पद कृषि कानूनों की प्रतियां जला कर लोहड़ी का त्योहार मनाया. एक किसान संघ ने 26 जनवरी को प्रस्तावित ‘किसान परेड’ के लिए दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में सभी जिलों के लोगों को बड़े पैमाने पर जुटने का आह्वान किया. संयुक्त किसान मोर्चा के परमजीत सिंह ने दावा किया कि अकेले सिंधु सीमा पर तीन कृषि कानूनों की लगभग एक लाख प्रतियां जला दी गयीं.