में मिली गड़बड़ी : सीसीएल के ओसीपी में नहीं है बिजली कनेक्शन, डीजी सेट से चला रहे काम
राशन कार्ड भी नहीं है दंपति के पास
नंदलाल के पास राशन कार्ड नहीं है. जिससे उन्हें अनाज भी नहीं मिलता है. वहीं जुलाई महीने में डीसी फैज अक अहमद मुमताज के निर्देश के बाद राहत मिली थी. डीसी के आदेश के बाद नंदलाल को राशन कार्ड मिला था. जिसके तहत प्रत्येक महीने 9 किलो चावल उन्हें मुहैया कराया जाता है. जिसमें से कुछ हिस्सा वे परिवार को देते हैं. और बाकी से अपनी गुजारा करते हैं. लेकिन वो भी उनके लिए पूरा नहीं पड़ता. इसे भी पढ़ें - एक">https://lagatar.in/registry-of-the-same-account-plot-buyer-and-seller-one-but-commercial-for-10-decimals-and-residential-rate-of-90/15870/">एकही खाता-प्लॉट, क्रेता-विक्रेता भी एक, मगर 10 डिसमिल की कॉमर्शियल और 90 की आवासीय दर पर की रजिस्ट्री
सूप,डलिया बुनकर दो जून की रोटी की करते हैं जुगाड़
12 सालों से पेड़ के नीचे रह रहे नंदलाल और उनकी पत्नी बांस के सूप, टोपा व डलिया बनाते हैं. जिससे वह किसी तरह दो जून की रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं.पेड़ के नीचे ही एक चूल्हा दंपति ने बना रखा है. जंगल से लकड़ी चुनकर लाते हैं और जैसे-तैसे बनाकर खाते हैं. जब भी उस सड़क से जिला प्रशासन और प्रखंड के पदाधिकारी गुजरते हैं. तो उनकी नजर वहां जरूर पड़ती है. लेकिन उनका भी दिल कभी इस गरीब दंपत्ति पर नहीं पसीजा. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर यह वास्तविक गरीब सरकारी लाभ से वंचित हैं. तो प्रखंड क्षेत्र के हजारों पेंशन धारी, 20,000 से अधिक शौचालय, 5000 से अधिक आवास किन्हें मिल रही है.तारणहार का है इंतजार
सड़क किनारे दिन काट रहे इस दंपति वहीं से गुजरने वाली गाड़ियों को उम्मीद से देखते हैं. और कहते हैं कि शायद उनपर भी किसी नजर जायेगी. उन्हें भी आवास और भोजन की सुविधा मिलेगी. लेकिन नंदलाल ये भी कहते हैं कि उम्र के इस पड़ाव में अब किसी से कोई उम्मीद भी नहीं रही. साथ ही कहा कि उन्हें सरकार की पेंशन सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. अब तो टोकरी बुनकर ही जो खर्च निकलता है, उसी का सहारा है. इसे भी पढ़ें - लापता">https://lagatar.in/yogendra-baraik-dmo-of-garhwa-is-missing-dc-told-the-secretary-make-others-posting/15932/">लापताहैं गढ़वा के DMO योगेंद्र बड़ाईक, DC ने सचिव से कहा – दूसरे की करायें पोस्टिंग

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