Noamundi (Sandip Kumar Prasad) : नोवामुंडी प्रखंड के दूधबिला पंचायत में स्थापित शिवलिंग महाभारत काल का है. इसका प्रमाण भी मिला. मंदिर के पुजारी विभिषण गोप से बातचीत में उन्होंने बताया कि वो आठवी पीढ़ी के पुजारी है. यह मंदिर 1800 ईसवी की है. यानी यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है. और ये शिवलिंग भी खुदाई में मिली थी. मंदिर से 70 किलोमीटर दूर पर ओडिशा में एक खिचीं देवी का मंदिर है, जो राजा विराट की कुलदेवी का मंदिर है. यहां पर खिचीं का म्यूजियम भी है. इसकी स्थापना सन 1922 में अंग्रेजों ने किया था और यहां खुदाई में मिली मूर्तियां महाभारत काल की है.
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राजा ने वर्ष 1934 में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था
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इसी म्यूजियम में दूधबिला पंचायत में स्थापित शिवलिंग बाकी शिवलिंगों से भिन्न है जो यहां पर है. म्यूजियम में रखी शिवलिंग हुबहू मंदिर जैसी ही है. म्यूजियम में स्थापित अन्य कलाकृतियां और मूर्तियां महाभारत काल की वास्तुकला को दर्शाती है. पुजारी ने बताया कि दूधबिला गांव में स्थापित शिवलिंग के जैसा ही खिचिंग करंजिया से 24 किलोमीटर पश्चिम मैं क्योझरगढ़ शहर से लगभग 50 किलोमीटर पूर्व में स्थित है. खिचिंग का प्रमुख पर्यटक आकर्षण मां किचकेश्वरी का मंदिर है. मंदिर का निर्माण वर्ष 920 से 925 के दौरान किया गया था. देवी किचकेश्वरी, जो ना केवल भंज वंश की इष्ट देवता और कुलदेवी थी, बल्कि उनके द्वारा शासित मयूरभंज रियासत की राज्य देवता भी थी. मयूरभंज के राजा, महाराजा प्रताप चंद्र भंजदेव ने वर्ष 1934 में लगभग 85,000.00 की राशि खर्च करके मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था.
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