NewDelhi : वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गयी . कल गुरुवार दोपहर 2 बजे फिर सुनवाई शुरू की जायेगी. CJI संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में दो अहम पहलुओं पर विचार करने की बात कही.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि संविधान के तहत कानून की वैधता को चुनौती देना अधिकार है, लेकिन इसे हिंसक रूप नहीं दिया जाना चाहिए
#WATCH | Delhi | On SC hearing on Waqf Amendment Act, Advocate Barun Kumar Sinha says, “Hearing of all the plea challenging the Waqf Amendment Act has been done by the SC…Both parties were heard, and the Supreme Court is to continue its hearing tomorrow on a batch of petitions… pic.twitter.com/bRObivEpve
— ANI (@ANI) April 16, 2025
अदालत ने केंद्र सरकार से वक्फ बाई यूजर के मुद्दे पर जवाब तलब किया. महत्वपूर्ण बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई में यह बात साफ कर दी कि कानून पर रोक की मांग पर कोई सुनवाई नहीं करेंगे
अदालत ने हालांकि आज कोई आदेश जारी नहीं किया. लेकिन CJI ने मौखिक रूप से कहा कि जो भी संपत्ति उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ घोषित की गयी है, या न्यायालय द्वारा घोषित की गयी है, उसे अधिसूचित नहीं किया जायेगा.
साथ ही अदालत ने कहा कि पदेन सदस्य नियुक्त किये जा सकते हैं, उन्हें धर्म की परवाह किए बिना नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन अन्य मुस्लिम होने चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में जब सुनवाई खत्म होने के समय कहा कि वह दो आदेश देने जा रहा है, जब तक ये सुनवाई लंबित है. वक्फ बोर्ड में एक्स ऑफिशियो मेंबर के अलावा सभी मुस्लिम हों.
वक्फ कानून का विरोध करने वालों की सबसे बड़ी चिंता ये है कि वक्फ बाइ यूजर जो रजिस्टर नहीं है उसके डिनोटिफाइ कर दिया जाएगा, यानी वो वक्फ नहीं रह जाएगी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक सुनवाई लंबित रहती है तब तक सरकार ऐसा कोई काम नहीं करेगी.
अदालत ने कहा कि वक्फ बाय यूजर’की संपत्तियों को डिनोटिफाई करना, जो कानून के तहत स्थापित हो चुकी हैं, समस्याएं पैदा करेगा. कोर्ट ने केंद्र से इस पर भी जवाब मांगा कि अगर किसी पुरानी मस्जिद के पास कागजात नहीं होंगे तो उनका रजिस्ट्रेशन कैसे होगा.
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि वक्फ अधिनियम की धारा 3, 9, 14, 36 और 83 में किए गए संशोधन उनके मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं. उन्होंने कहा कि यह संशोधित अधिनियम संविधान की धारा 25 और 26 का उल्लंघन करता है.
लेकिन, भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि संशोधन बिल्कुल सही हैं. और, अगर आप संशोधनों को देखें, तो यह किसी भी मौलिक अधिकार का हनन नहीं करते है.
न्यायालय ने भी अपनी टिप्पणी में कहा कि कई संशोधन संविधान के अनुसार ही हैं, लेकिन न्यायालय को उन भूमि के उपयोगकर्ताओं पर स्पष्टीकरण चाहिए.
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