पंकज कुमार यादव ने आरटीआई के माध्यम से पिछले तीन साल में पलामू जिले में जारी किये गये आर्म्स लाइसेंस की सूची मांगी थी
जिला प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर आर्म्स लाइसेंस की सूची देने से किया इनकार
Palamu : पलामू जिला प्रशासन ने उन लोगों का नाम सार्वजनिक करने से इनकार किया है, जिन्हें 2020 से 2022-23 के बीच आर्म्स लाइसेंस जारी किया गया है. आरटीआई कार्यकर्ता पंकज कुमार यादव ने आवेदन देकर जिला प्रशासन से पूछा था कि इन तीन वित्तीय वर्षों में जिला के कितने लोगों को आर्म्स लाइसेंस जारी किया गया है. इसका जवाब देते हुए जिला प्रशासन ने कहा है कि सुरक्षा कारणों से यह जानकारी नहीं दी जा सकती है. उपायुक्त कार्यालय ने अपने जवाब में कहा है कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8 (2) के तहत सूचना सार्वजनिक नहीं की जा सकती है. पलामू जिले में आर्म्स की चाह रखने वालों की संख्या हजारों में है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक पलामू में करीब 4 हजार आर्म्स लाइसेंस के आवेदन लंबित हैं. पिछले उपायुक्त के कार्यकाल में करीब दो दर्जन लोगों को ही हथियार का लाइसेंस जारी किया गया था.
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जरुरत पड़ने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे
पंकज कुमार यादव ने लगातार डॉट इन से बताया कि पिछले दो-तीन महीनों से पलामू में कई खनन माफियाओं को गन लाइसेंस जारी किये जाने की उनको सूचना मिली. कई गैर जरूरतमंद लोगों को भी गन लाइसेंस निर्गत किया गया. इसी आलोक में मैंने आरटीआई से लाइसेंस धारकों की सूची मांगी थी. लेकिन सुरक्षा का हवाला देकर डीसी कार्यालय ने जानकारी नहीं दी. यह गलत है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर वो अपील में जायेंगे. जरुरत पड़ने पर वो कोर्ट का भी दरवाजा खटखटायेंगे.
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बाबूलाल ने भी रिश्वत लेकर थोक के भाव हथियार का लाइसेंस देने का उठाया था मामला
उल्लेखनीय है कि बीते माह कई जिलों के डीसी का ट्रांसफर-पोस्टिंग हुआ था. जिस पर भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कुछ डीसी द्वारा बैक डेट से बड़े पैमाने पर गन लाइसेंस जारी करने की शिकायत की थी. उहोंने ट्वीट में लिखा था कि जिले के उपायुक्तों का बड़े पैमाने पर तबादला हुआ है. कुछ जिलों से शिकायत मिल रही है कि रिश्वत लेकर थोक के भाव बैक डेट में हथियार के लाइसेंस दिये जा रहे हैं. तो कुछ जगहों पर जमीन का बैक डेट एलपीसी देने, म्यूटेशन करवाने और जमीन के गोरखधंधे में भारी वसूली की जा रही है. झारखंड के मुख्य सचिव से आग्रह है कि वे खुद ऐसे मामलों को देखें. जहां भी ये सब गोरखधंधा हो रहा है, उनपर कठोर कार्रवाई करें. ऐसे जिलों में पिछले एक महीने में जारी हथियार लाइसेंस की जांच और समीक्षा करायें.
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