NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की तीन जजों की बेंच ने मोदी सरकार के 20 हजार करोड़ रुपये के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंगलवार को हरी झंडी दे दी. बता दें कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत संसद का नया भवन बनाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गयी थीं.
कोर्ट ने पर्यावरण कमेटी की रिपोर्ट भी नियमों को अनुरूप पायी है. हालांकि कोर्ट ने लैंड यूज चेंज करने के इल्जाम की वजह से सेंट्रल विस्टा की वैधता पर सवाल खड़े करने वाली याचिका को फिलहाल लंबित रखा है.
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तीन जजों की बेंच ने फैसला दो एक के बहुमत से दिया
तीन जजों की बेंच ने फैसला दो एक के बहुमत से दिया है. बता दें कि जस्टिस संजीव खन्ना ने कुछ बिंदुओं पर अलग विचार रखे. उन्होंने प्रोजेक्ट की हिमायत की है, लेकिन लैंड यूज में बदलाव से सहमत नहीं दिखे. उनका मानना है कि यह परियोजना शुरू करने से पहले हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी लेनी जरूरी थी.
20 मार्च, 2020 को केंद्र सरकार ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी संरचनाओं द्वारा चिह्नित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में लगभग 86 एकड़ भूमि से संबंधित भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित किया
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धरोहर संरक्षण समिति की स्वीकृति जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सेंट्रल विस्टा परियोजना को मंजूरी देते समय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गयी सिफारिशों को बरकरार रखते हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए धरोहर संरक्षण समिति की स्वीकृति जरूरी है.सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार से कहा कि निर्माण शुरू करने से पहले सरकार हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी ले.
जान लें कि पिछले दिनों ही प्रधानमंत्री मोदी ने नयी संसद की आधारशिला रखी थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे शिलान्यास करने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ गिराने या स्थानांतरित करने का काम ना हो. अब सुप्रीम कोर्ट लैंड यूज मामले में सुनवाई करेगा.