- जलस्रोतों की अनदेखी
- गिर रहा भू-जल स्तर
- सूखते-सिकुड़ते जा रहे तालाब
Ranchi : झारखंड में जलस्रोत तेजी से सूखने लगे हैं. इसकी वजह से पानी के लिए राज्यभर में हाहाकार मचा हुआ है. अगर अगले कुछ दिनों में दो-चार दौर की अच्छी वर्षा नहीं हुई तो लोगों की जिंदगी मुश्किल हो जाएगी. राज्य के विभिन्न जिलों में पहले तुलना में तालाब और कुंए की संख्या घटी है. वहीं सरकारी स्तर पर गाड़े गए बहुत से चापानल खराब पड़े हैं. ऐसी स्थिति में गांव ही नहीं शहरों में भी बड़ी आबादी पानी के लिए तरस रही है. इसकी वजह तालाबों की घटती संख्या बतायी जा रही है. भूमाफिया ने बहुत से तालाबों को भरकर जमीन बेच दी है. पानी को लेकर सरकारी प्रयास भी काफी नहीं है. शुभम संदेश की टीम ने इस संबंध में लोगों से बात की है. पेश है रिपोर्ट.
झरिया :
रानी तालाब अब नाले में हो गया तब्दील, कोई ध्यान देनेवाला नहीं
झरिया के ऐतिहासिक राजा तालाब के बारे में तो अधिकांश लोगों को जानकारी है, लेकिन झरिया में एक ऐसा भी तालाब था, जो आज अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण इतिहास के पन्नों में खो चुका है. इस रानी तालाब की सुध लेनेवाला कोई नहीं है. आज यह तालाब पूरी तरह दलदल में बदल चुका है. कोई जनप्रतिनिधि भी आवाज नहीं उठाता. यह तालाब राजा तालाब से महज सौ कदम दूर बिहार बिल्डिंग के समीप बनाया गया था. ध्यान से देखने के बाद ही इस तालाब को कोई पहचान सकता है. आज यह तालाब सांप-बिच्छू सहित अन्य जहरीले कीड़ों व जानवरों का वास बना हुआ है. आसपास के लोगों की मानें तो कभी तालाब काफी बड़ा हुआ करता था. परंतु अतिक्रमणकारियों ने इसे छोटा कर दिया है. यह तालाब अब नाले में तब्दील हो चुका है. आसपास के लोगों ने बताया कि इस तालाब की सफाई आज तक नहीं हुई. जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक को इस तालाब की जानकारी नहीं है. तालाब की सफाई कर दी जाए तो झरिया वासियों को नवरात्र व छठ महापर्व में पूजा -अर्चना के लिए एक और तालाब मिल जाएगा.
जनप्रतिनिधियों को नहीं दिखती रानी तालाब की हालत: माधवी सिंह
झरिया राज परिवार की पुत्रवधू माधवी सिंह ने कहा कि यह तालाब राजा ने अपनी रानी के लिए बनवाया था. पर आज यह तालाब इतिहास के पन्नों में खो गया है. चुनाव के दौरान सभी जनप्रतिनिधियों को एक मात्र राजा तालाब ही दिखता है. पर रानी तालाब अपना अस्तित्व ही खाे चुका है, इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है.
तालाब की दुर्दशा के लिए पूरी तरह सरकार जिम्मेदार: अनूप साहू
पूर्व पार्षद सह समाजसेवी अनूप साहू का कहना है कि एक ओर सरकार जल संरक्षण के लिए विशेष अभियान चला रही है, जबकि झरिया में तालाबों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है. उसका जीता जागता उदाहरण रानी तालाब है, जो आज पूरी तरह विलुप्त हो चुका है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
रामगढ़ :
थाने के पास ही तालाब को कचरों से भरा जा रहा, बाउंड्री भी खड़ी कर दी गई
रामगढ़ थाना चौक के तालाब कचड़ो से भर दिया गया है इतना ही नहीं तालाब पर ही बाउंड्री वाल कर तालाब की जमीन को अतिक्रमण कर ली गयी है तालाब के दक्षिण दिशा में जमीन घेरने का सिलसिला जारी है. जानकार बताते हैं कि तालाब का खाता नंबर 292 ,प्लॉट नंबर 165 , कुल रकबा 3 एकड़ 34 डिसमिल में था . लेकिन मौजूदा समय में यह तालाब सिकुड़ कर दो एकड़ से भी कम बच गया है. इसके अलावा रामगढ़ में और भी कई तालाब हैं, जिसका अस्तित्व खतरे में है.
तालाब का अस्तित्व खत्म हो जाएगा तो लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे : अनुज मित्तल
अनुज मित्तल कहते हैं कि तालाब पीने का पानी का जल स्रोत होता है. जब तालाब को ही भर दिए जाएंगे या तालाब की जमीन पर कब्जा कर लिया जायेगा तो तालाब का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. तब लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे .अनुज मित्तल ने कहा है कि गैरमजरूआ तालाब की जमीन को माफी कर बाहर निकालने के लिए जो भी खर्च होगा, वे निजी रूप से वाहन करने के लिए भी तैयार हैं. लेकिन किसी तरह से तालाब की निर्धारित जमीन को स्वच्छ किया जाए ताकि भू माफियाओं से छुटकारा मिल सके.
तालाब पर भू-माफिया की नजर : पंकज महतो
पंकज महतों का कहना है कि रामगढ़ शहर का थाना चौक का तालाब हो या झंडा चौक तालाब , या फिर धांधर पोखर इन तीनों तालाबों में भू माफियाओं के नजर लग गई हैा. थाना चौक कि तालाब पर तो बाउंड्री कर दी गई है.
पानी की और किल्लत हो जाएगी : संजीत कुमार
संजीत कुमार कहते हैं कि एक तो ऐसे ही गर्मी के दिनों में पानी का घोर संकट उत्पन्न चल रहा है और बचे कुचे तालाबों को भरने का सिलसिला जिस तरह से जारी है, लगता है कि आने वाले समय में पानी की और किल्लत हो जाएगी.
हजारीबाग
बरही में नदी नाले में तब्दील,ओकनी तालाब में भी पानी की कमी, परेशानी
हजारीबाग जिले में शहर से लेकर गांव तक तालाब-नदियों पर कब्जा किया जा जिससे इनकी संख्या घटती जा रही है. इससे जलस्रोत का वजूद ही खत्म होता जा रहा है. बरही नदी आज नाला बन चुकी है, वहीं हजारीबाग के ओकनी तालाब का भी बुरा हाल है.गर्मी के कारण इसका जलस्तर तेजी से घटा है.
अतिक्रमण के कारण नदी का रास्ता भी बदला : पूर्व मुखिया
पूर्व मुखिया छोटन ठाकुर ने बताया कि बरही नदी का आकार और प्रकार दोनों बदल गया है. अतिक्रमण के कारण नदी का मार्ग भी बदल गया है. इस नदी में पानी नहीं रहता है. इस क्षेत्र में यह नदी कृषि का एक मात्र साधन था. पानी के अभाव में करसो, बरहीडीह क्षेत्र पूरी तरह प्रभावित है. अंचलाधिकारी को कई बार सूचित किया गया परंतु सिर्फ जांचोपरांत उचित कार्रवाई का आश्वासन ही मिलता रहा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी : गुरुदेव गुप्ता
विश्व हिंदू परिषद के जिला सह मंत्री गुरुदेव गुप्ता कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि जलस्रोत प्रभावित नहीं करें. लेकिन बरही नदी किनारे की जमीन पर जिस तरह से कब्जा हो रहा है, इस पर रोक लगाने की जरूरत है. अभी तो दो-चार बूंद पानी भी है. अगर यही हाल रहा, तो आनेवाली पीढ़ी को पता भी नहीं चलेगा कि यहां कभी कोई नदी भी हुआ करती थी.
अभियान चलाकर नदी को बचाने की जरूरत : भगवान
समाजसेवी भगवान केशरी ने कहा कि अभियान चलाकर बरही नदी को बचाने की जरूरत है. इसका पुराना वजूद तो लौटना संभव नहीं है, लेकिन जितना भी बचा हुआ है, उसे संरक्षित करने की आवश्यकता है. स्थानीय लोगों को ही पहल करने की जरूरत है. नदी पर अतिक्रमण करना सही नहीं है. प्रशासन को भी इस पर कार्रवाई करना चाहिए.
नदी और तालाबों से ही जीवन खुशहाल है : मेवालाल केसरी
समाजसेवी मेवालाल केसरी ने कहा कि नदी-तालाब से ही जीवन खुशहाल हो सकता है. अगर जलस्रोत को ही खत्म कर दिया जाए, तो मानव, पशु, पक्षी सबके जीवन पर खतरा मंडराने लगेगा. बरही नदी पर अतिक्रमण से कई गांवों को पानी की परेशानी होने लगी है. नदियों के महत्व को समझने की जरूरत है. समय रहते इस नदी को बचाने की जरूरत है.
अतिक्रमणकारियों पर होनी चाहिए कार्रवाई : छोटन ठाकुर
बरही पूर्वी के पूर्व मुखिया छोटन ठाकुर कहते हैं कि नदी-तालाबों के किनारे की जमीन पर अतिक्रमण करनेवालों पर कार्रवाई होनी चाहिए. यह पता करने की जरूरत है कि आखिर नदी किनारे की जमीन किसने बेची. खरीदने वालों को भी पहले यह सोचना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तो अनुपालन होना चाहिए. प्रशासन को भी इस बात का ख्याल होना चाहिए.
बरहीवासियों को अब आवाज बुलंद करने की जरूरत : बद्री
पूर्व जिला परिषद प्रत्याशी बद्री यादव कहते हैं कि नदी पर अतिक्रमण के खिलाफ बरहीवासियों को आवाज बुलंद करने की जरूरत है. अब भी पहल नहीं की गई, तो आनेवाले दिनों में दूसरे जलस्रोतों का भी यही हाल होगा. बेखौफ भू-माफिया की नजरें ऐसी हर जमीन पर हैं. ऐसी जमीन बगैर प्रशासनिक साठ-गांठ के बेची नहीं जा सकती. निष्पक्षता से पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.
जांच करा कर तालाब को बचाने की पहल करेंगे : मेयर
हजारीबाग नगर निगमकी मेयर रोशनी तिर्की कहती हैं कि जांच कर तालाब बचाने की पहल करेंगे. तालाब में किसी भी तरह से कचरा डंप नहीं होना चाहिए. अगर कचरा डंप हुआ है, तो उसे उठाना भी चाहिए. इस बारे में सफाई जमादार से बात करेंगी. कहती हैं कि तालाबों को बचाने के लिए नगर निगम हर कदम उठाएगा. न तो तालाबों का अतिक्रमण होने देगा और न वहां कचरा डंप करने की ही इजाजत दी जाएगी.
बरही नदी का आकार और प्रकार दोनों बदला
- बरही नदी बराकर से मिलते हुए सीधे बंगाल की खाड़ी तक जाती है. अतिक्रमण ने इस नदी का स्वरूप बदल कर रखा दिया है और नाले में परिवर्तित कर दिया है.
- स्थानीय लोगों के अनुसार नदी की चौड़ाई 200 मीटर से भी अधिक थी, जो अब सिमटकर महज 20 फीट या उससे भी कम हो गई है यानी नदी नाला हो गई है.
- भू-माफियाओं ने अवैध कागजात बनाकर जमीन की बंदरबाट कर दी. नदी किनारे नई बस्ती और कॉलोनी का निर्माण कर दिया है.
- ग्रामीणों ने इसकी शिकायत अंचल कार्यालय से कई बार की, परंतु स्थिति यथावत है
ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि सरकारी अफसर और कर्मियों ने जमीन माफिया से सांठगांठ कर जमीन बेचवा डाली है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सरेआम अनदेखी, पर कोई रोकनेवाला भी नहीं
काली मंदिर के पीछे ओकनी तालाब में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर वहां नगर निगम की ओर से ही कचरा डंप किया जा रहा है. पहले से अतिक्रमित ओकनी तालाब का वजूद भी सिमटता चला जा रहा है. कभी करीब 16 एकड़ में फैला यह तालाब अब महज 10 एकड़ में ही सिमट गया है. इसको लेकर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में भी शिकायत दर्ज की गई है. यह निजी तालाब है और यहां हर वर्ष पानी फल सिंघारा उगाया जाता है. इसके लिए नीलामी कराई जाती है. यहां अक्सर प्रवासी पक्षियों को कलरव करते भी देखा जाता है. वर्ष 2018 में तत्कालीन डीसी रविशंकर शुक्ला ने इस तालाब के सौंदर्यीकरण के साथ इसे पक्षी विहार बनाने की बात कही थी. लेकिन उनका तबादला हो गया और तालाब के चारों ओर पहले से कहीं अधिक अतिक्रमण कर लिया गया है.
गोड्डा : तीन बीघे में फैला हुआ कोडरा बांध डेढ़ बीघा में सिमटा
शहर के साकेतपुरी मोहल्ला का सरकारी कोडरा बांध कभी तीन बीघा तक फैला हुआ था. वह अब डेढ़ बीघा तक में ही सिमटकर रह गया है. बरसात में शहर के आधे हिस्से का पानी बहकर इसी पोखर में जमा होता था और फिर गर्मी के दिनों में सैंकड़ो एकड़ भूमि पर लगी फसलों को सींचने का काम इसी कोडरा बांध से किया जाता था. समय के साथ बढ़ती हुई आबादी ने इस महत्वपूर्ण तालाब को भी नहीं छोड़ा. भू माफियाओं ने तालाब के पिंड को सर्वप्रथम रास्ते के रूप में प्रयोग किया और फिर धीरे-धीरे चारों तरफ ऐसी घेराबंदी कर दी, जिससे पोखर से ना तो पानी की निकासी हो पाती है और न बाहरी पानी प्रवेश ही कर पाता है. लिहाज़ा बरसात में लोगों के घरों में पानी घुसने लगता है. पहले नगरपालिका के लिए यह पोखर वरदान साबित हो जाता है. तालाब से पानी निकासी के नाम पर राशि की लूट होती है. इस पोखर से अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन ने करीब डेढ़ दर्जन लोगो को नोटिस दिया. नापी कर चिह्नित भी किया. मगर एक साल बीत जाने के बाद भी प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की हिम्मत नहीं जुटाई.
- कोडरा बांध सिमटकर हो गया है छोटा, गर्मी के कारण इसका जस्तर काफी गिर गया है.बढ़ती आबादी के कारण नदी तालाबों पर भू-माफिया की नजर लगी हुई है.वे फर्जी कागजात बनाकर उसे बेचने में लगे हैं.
- कोड़रा बांध से लोग अपनी फसलों की सिंचाई भी करते हैं. पर इस समय बांध के सिमट जाने से पानी काफी कम रहता है और सिंचाई का काम बहुत कम होता है.
पाकुड़ :
गुम होते तालाबों के साथ सूखने लगी धरती की हलक, तेजी से गिर रहा जलस्तर
मत्स्य विभाग के 2012 के सर्वे के अनुसार जिले में 722 सरकारी तालाब और 6 हज़ार निजी तालाब हैं. लेकिन धीरे-धीरे उन तालाबों को भरकर अस्तित्व को ही मिटाया जा रहा है. तालाब को भरकर जमीन खरीद- बिक्री का खेल ज़ोरों पर है. 4 एकड़ में फैले शहर के प्रसिद्ध काली तालाब के एक हिस्से को रैयतों ने भरकर बेच दिया है, जिसे लेकर हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है. दूसरी ओर हाथी दा तालाब के चारों तरफ की जमीन को भी बेच दिया गया है. और उस पर मकान बनाने का काम जारी है. इसके अलावा हरिणडंगा बाजार में सत्यनारायण टेकरीवाल के सामने 2 बीघा में फैले लंगटू मियां तालाब को पूरी तरह भर दिया गया है. बैथेनी स्कूल के पास भी कभी दो एकड़ में फैला छातू बाबू तालाब भी पूरी तरह लापता हो चुका है.
- मिठू कर्मकार ने कहा कि विभाग की अनदेखी के कारण एक-एक कर सारे तालाब अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं. तालाब भरने से जलस्तर नीचे जा रहा है.
- निमाय सोरेन ने कहा कि जमीन की कीमत आसमान छू रही है. जिसके कारण निजी तालाबों के मालिक भी तालाबों की भराई कर जमीन बेचकर मोटी रकम हासिल कर रहे हैं.
- राजीव झा ने कहा कि शहर में गांव से आकर लोग बसने लगे हैं. जिस कारण तालाब के रैयत तालाब भरकर जमीन बेचने में लगे हैं. कोई टोकनेवाला नहीं.
- पूर्णेन्दु सरकार ने कहा कि एक समय गांवों की आत्मा तालाबों में बसती थी. लेकिन अब तालाब के अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है. तालाबों के दफ़्न होने से भूगर्भ जलस्तर भी गिर रहा है.
- खैरुल अहमद ने कहा कि तालाबों के भरने से पानी का लेयर काफी नीचे जा चुका है. शहर के आधे से अधिक क्षेत्र ड्राई जोन में गिने जाते हैं.
जमशेदपुर :
सरकारी- निजी तालाब खत्म होने से जलस्रोतों की कमी
तालाब खत्म होने से जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है,अंकुश लगाने की जरुरत है : सुनील गुप्ता
बागबेडा कॉलोनी के पंचायत समिति सदस्य सुनील गुप्ता ने बताया कि तालाब खत्म हो रहे हैं. इस कारण जलस्तर काफी नीचे चला गया है. भूमि माफिया द्वारा तालाब भर कर बेचे जा रहे हैं, जिस पर अंकुश लगाने की जरूरत है. सरकार को चाहिए कि तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराते हुए उसका सौंदयर्यीकरण करे, ताकि जलस्रोत बचा रहा और पानी की दिक्कत न हो.
आज भी ग्रामीण तालाब और पोखर के पानी से अपनी जरूरतें पूरी करते हैं: भरत सिंह
परसुडीह के सामाजिक कार्यकर्ता भरत सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र की जनता आज भी तालाब-पोखर का पानी दैनिक जरूरतों के लिए इस्तेमाल करती है. लेकिन भू-माफिया के कारण सार्वजनिक तालाब समाप्त हो रहे हैं. जलस्तर नीचे चला गया है. तालाब का अस्तित्व बनाए रखने के साथ ही उसके सौंदर्यीकरण करने तथा दोषी लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की.
नदी और तालाबों का अस्तित्व बचाए रखने की जिम्मेवारी प्रशासन की है : पप्पू सिंह
हरहरगुटू जमशेदपुर निवासी पप्पू सिंह ने कहा कि पूर्वजों के समय में काफी तालाब हुआ करते थे, लेकिन इन दिनों तालाब का अस्तित्व खत्म हो रहा है. इक्का-दुक्का ही तालाब बचे हैं. कई तालाबों को भू-माफिया ने भरकर समतल कर दिया है. जिला प्रशासन तालाबों को बचाने और भू-माफियाओं को चिह्नित कर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए.
तालाब का अतिक्रमण रोके प्रशासन : पिंकू प्रसाद
हरहरगुटू जमशेदपुर स्थित बड़ा तालाब के समीप रहने वाले पिंकू प्रसाद ने बताया कि क्षेत्र के अधिकांश तालाब को भर दिए गए हैं. बड़ा तालाब, राजा तालाब को धीरे-धीरे भरा जा रहा है. सोमाय झोपड़ी नीचे टोला में स्थित तीन तालाब को भू-माफियाओं ने भर दिया है. जिला प्रशासन को तालाबों का अतिक्रमण रोकने की दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए.
देवघर :
भू माफिया ने आधा दर्जन तालाबों को भर कर बेच दी जमीन
तालाब खत्म होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पानी का जलस्तर तेजी से नीचे चला गया है.इधर दो दशक से बाबानगरी में भूमि माफियाओं का वर्चस्व है. फर्जी कागजात तैयार कर तालाबों को भर कर जमीन बेच रहे हैं. इनके खिलाफ गंभीरता से कोई आवाज नहीं उठायी जाती. यदि उठायी भी जाती है, तो मैनेज कर लिया जाता है. 1936 से जमीन का सर्वे नहीं हुआ. कोई बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की भी अब तक सामने नहीं आयी. अब माफिया तत्वों की नजर इन दिनों तालाब पर है. अब वे तालाब बेच रहे हैं. कई तालाबों को भर कर जमीन बेच दी गयी है, जबकि कई बिकने के कगार पर हैं.
भू-माफिया ने जेसीबी से तालाब को भरा, अब प्लाटिंग कर जमीन भी बेच रहे हैं: सत्येंद्र झा
देवघर वार्ड नंबर 22 में चक्रश्री मिश्र बांध के नाम से तालाब हुआ करता था. कुछ वर्षों पहले इस तालाब को भी भू माफिया ने भर दिया था. स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो जिला प्रशासन ने सरकारी बोर्ड लगा दिया. सत्येंद्र झा बताते हैं कि 2 एकड़ में फैले तालाब को 4 साल पहले भू माफिया ने भर दिया.अब जमीन पूरी तरह से समतल हो चुकी है. फिर से तालाब खुदाई करानी चाहिए.
तालाब को बचाने की पूरी कोशिश की,पर अधिकारी सुनने को तैयार नहीं : गोविंद यादव
देवघर वार्ड नंबर 36 के हतगढ़ मौजा में जलाल तालाब पूरी तरह से खत्म हो चुका है. यह तालाब 3 एकड़ में फैला हुआ था. इसकी जगह अब घर मकान बनकर तैयार हो चुके हैं. स्थानीय गोविंद यादव बताते हैं कि तालाब को बचाने की पूरी कोशिश की, पर अधिकारी सुनने को तैयार नहीं. अभी भी नक्शे में तालाब का ही नेचर है. ग्राम प्रधान देव नारायण यादव ने भी कागजी कार्रवाई की है.
इन तालाबों का नामो निशान मिट चुका है
देवघर कॉलेज मोड़ के पास, काली रेखा से शहीद आश्रम रोड के बीच, झौसागढ़ी के गढ़वाटोली के पास, नौलखा मंदिर , करनीबाग, पुरनदाहा मोहल्ले में बाई पास स्थित तालाब लुप्त हो गए हैं. सरकारी प्रावधानों के तहत किसी भी तरह का तालाब चाहे वह सरकारी हो या गैरसरकारी उसे बेचा नहीं जा सकता. जांच के बाद मामले में भू माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है.