NewDelhi : प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 20.48 लाख अयोग्य लाभार्थियों द्वारा 1,364 करोड़ रुपये की राशि लिये जाने की बात सामने आयी है. यह जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गयी सूचना के जवाब में दी है. कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सीएचआरआई) से संबद्ध आरटीआई आवेदक वेंकटेश नायक को ये आंकड़े सरकार से मिले हैं.
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योजना की शुरुआत केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में की थी
जान लें कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की शुरुआत केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में की थी इसके तहत सीमांत या छोटे किसानों या जिनके पास दो हेक्टेयर से कम कृषि भूमि है, उन्हें साल में तीन बराबर-बराबर किस्तों में कुल छह हजार रुपये दिये जाते हैं. मीडिया में आयी खबर के अनुसार अयोग्य लाभार्थियों को भुगतान की गयी राशि वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.
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अयोग्य लाभार्थियों की दो श्रेणियों की पहचान की गयी
आरटीआई आवेदन के तहत केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने जो जवाब दिया है, उसके अनुसार अयोग्य लाभार्थियों की दो श्रेणियों की पहचान की गयी, जिनमें पहली श्रेणी में अर्हता पूर्री नहीं करने वाले किसान हैं, जबकि दूसरी श्रेणी आयकर भरने वाले किसानों की है. वेंकटेश नायक बताया, अयोग्य लाभार्थियों में आधे से अधिक (55.58 प्रतिशत) आयकरदाता की श्रेणी में हैं. बाकी 44.41 प्रतिशत वे किसान हैं जो योजना की अर्हता पूरी नहीं करते हैं.
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अयोग्य लाभार्थियों की बड़ी संख्या पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश में है
नायक ने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 के तहत प्राप्त सूचना से पता चलता है कि वर्ष 2019 में शुरू हुई पीएम-किसान योजना के तहत जुलाई 2020 तक अयोग्य लाभार्थियों को 1,364 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. उन्होंने कहा, सरकार के अपने आंकड़े संकेत देते हैं कि राशि गलत हाथों में गयी. आरटीआई आवेदक ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार अयोग्य लाभार्थियों की बड़ी संख्या पांच राज्यों- पंजाब, असम, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश- में है.
सूचना के अनुसार पंजाब शीर्ष पर है जहां कुल अयोग्य लाभार्थियों में 23.6 प्रतिशत (यानी 4. 74 लाख) रहते हैं, इसके बाद 16.8 प्रतिशत (3.45 लाख लाभार्थी) अयोग्य लाभार्थियों के साथ असम का स्थान है. अयोग्य लाभार्थियों में 13.99 प्रतिशत (2.86 लाख लाभार्थी) महाराष्ट्र में रहते हैं. इस प्रकार इन तीनों राज्यों में ही अयोग्य लाभार्थियों की आधी से अधिक (54.03 प्रतिशत) संख्या रहती है.
नायक ने बताया कि इसके बाद गुजरात और उत्तर प्रदेश का स्थान है जहां पर कुल अयोग्य लाभार्थियों में क्रमश: 8.05 प्रतिशत (1.64 लाख लाभार्थी) और 8.01 प्रतिशत (1.64 लाख) लाभार्थी रहते हैं. सिक्किम में एक अयोग्य लाभार्थी का पता चला है जो किसी राज्य में सबसे कम है.