मार्शल लॉ लागू करने से जुड़ा है मामला
LagatarDesk : साउथ कोरिया राष्ट्रपति यून सुक योल पर मार्शल लॉ लागू करने और विद्रोह के आरोप है. जिसकी जांच साउथ कोरियाई पुलिस कर रही है. इसी क्रम में 9 दिसंबर को पुलिस ने राष्ट्रपति यून सुक योल के ऑफिस पर छापेमारी की. बुधवार को पुलिस ने बताया कि यह छापेमारी उनके खिलाफ चल रही आपराधिक जांच को लेकर की गयी. छापेमारी के बाद राष्ट्रपति यून सुक योल के देश छोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. दक्षिण कोरिया की न्याय मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है. न्याय मंत्रालय के अनुसार, जब तक यून सुक योल के खिलाफ लगे आरोपों की जांच चलेगी, तब तक राष्ट्रपति यून सुक योल को देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं है. मंत्रालय का कहना है कि तीन दिसंबर की देर रात मार्शल लॉ लगाकर यून सुक योल ने देश को अराजकता में डाल दिया था.
किम योंग-ह्यून ने हिरासत केंद्र में आत्महत्या करने की कोशिश की
बता दें कि विपक्ष ने राष्ट्रपति यून सुक योल, पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग ह्यून और आठ अधिकारियों के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज की है और उन पर ‘विद्रोह’ का हिस्सा होने का आरोप लगाया है. इसी शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की है. न्याय मंत्रालय के एक अधिकारी ने संसद की सुनवाई में बताया है कि पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून को गिरफ्तारी किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उनको हिरासत केंद्र में रखा गया था, जहां उन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया.
South Korea police chief arrested as Yoon impeachment looms over failed martial law https://t.co/AeoRbmBpXH pic.twitter.com/ITHeRqiywo
— Reuters Asia (@ReutersAsia) December 11, 2024
यून ने टेलीविजन पर की थी “आपातकालीन” मार्शल लॉ की घोषणा
दरअसल साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल मंगलवार (तीन दिसंबर) की देर रात टेलीविजन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम संबोधन में “आपातकालीन” मार्शल लॉ की घोषणा की थी, जिसमें उन्होंने विपक्ष पर “राज्य-विरोधी” गतिविधियों के साथ सरकार को “पंगु” करने का आरोप लगाया था. राष्ट्रपति के इस आदेश के बाद दक्षिण कोरिया की संसद में सदस्यों की एंट्री रोक दी गयी थी. वहीं राष्ट्रपति की ओर से घोषित मार्शल लॉ का नेशनल असेंबली में कड़ा विरोध किया गया था. विपक्ष तो यून के फैसले के खिलाफ थी ही, उनकी पार्टी के सांसदों ने भी उनके आदेश को अस्वीकार कर दिया था. भारी विरोध के बाद संसद ने राष्ट्रपति के फैसले को पलटते हुए मार्शल लॉ को अमान्य करार दिया था. देर रात सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के 300 में से 190 सांसदों ने सर्वसम्मति से मार्शल लॉ को हटाने के लिए मतदान किया था.
मार्शल लॉ लागू होने में देश में बन गया था अराजकता का माहौल
इतना ही नहीं कड़ाके की ठंड में भी लोग यून के मार्शल लॉ लागू करने के विरोध में सड़कों पर उतर आये थे. पूरे सियोल में लोग विरोध प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने लगे थे. हजारों की संख्या में लोग संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन कर यून को सत्ता से हटाने की मांग कर रहे थे. भारी विरोध होता देख करीब छह घंटे बाद राष्ट्रपति ने अपना फैसला बदल दिया और मार्शल लॉ हटाने की घोषणा की थी. भले ही मार्शल लॉ केवल छह घंटे तक रहा, लेकिन इससे देश में अराजकता का माहौल बन गया. बता दें कि करीब 44 साल बाद दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ की घोषणा की गयी थी. इससे पहले साल 1980 में छात्रों और श्रमिक संघों के नेतृत्व में एक राष्ट्रव्यापी विद्रोह के दौरान दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाया था.
🚨🇰🇷MASS PROTESTS IN SEOUL DEMAND PRESIDENT YOON'S IMPEACHMENT
Thousands gathered near South Korea’s National Assembly, calling his impeachment after Yoon tried to impose martial law on the country earlier in the week.
Protesters, including labor unions like the Korean… https://t.co/tIHr17mL5E pic.twitter.com/RcMFMfHgJL
— Mario Nawfal (@MarioNawfal) December 7, 2024
This is South Korea Protesting against their President.
In Nigeria they will choose tribalism. pic.twitter.com/pVIrpEeXKo
— Voice of Igbos (@Voiceofigbos) December 4, 2024
बहुमत में होने की वजह से डीपी राष्ट्रपति के कार्यों में कर रहा था दखलअंदाजी
बता दें कि दक्षिण कोरिया की संसद में कुल 300 सीटें हैं. 2024 में हुए चुनाव में जनता ने विपक्षी दल डीपी को भारी जनादेश दिया था. विपक्षी पार्टी डीपी को 170 सीटें मिली थीं. वहीं सत्ताधारी पीपल पावर को महज 108 सीटें मिली थी. बहुमत में होने की वजह से विपक्षी DPK कथित तौर पर राष्ट्रपति के कार्यों में दखलअंदाजी कर रहा था. इसकी वजह से राष्ट्रपति अपने एजेंडे के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में भी यह बात कही थी. साथ ही उन्होंने डीपी पर उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था. इन सबसे निपटने के लिए राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगा दिया.
2022 के बाद से लगातार घट रही है यून सुक योल की लोकप्रियता
राष्ट्रपति योल को 2022 में जीत मिली थी. हालांकि मामूली अंतर से ही वो जीते थे. इसके बाद से उनकी लोकप्रियता लगातार कम हो रही है. उनकी पत्नी के कई विवादों में फंसने की वजह से भी उनकी इमेज पर असर पड़ा. फिलहाल राष्ट्रपति की लोकप्रियता 25% के करीब है, जो कि देश के तमाम राष्ट्रपतियों में सबसे कम है.