Ranchi: वेदांता ईएसएल स्टील लिमिटेड के चंदनकियारी प्लांट की उत्पादन क्षमता 1.5 मिलियन टन की है. कंपनी ने प्लांट के चरणबद्ध विस्तारीकरण की योजना तैयार की है. पहले चरण में प्लांट की उत्पादन क्षमता 1.5 मिलियन टन से बढ़ाकर 3.5 मिलियन टन करने की है. इसके बाद अगले पांच साल के दौरान उत्पादन क्षमता बढ़ा कर छह मिलियन टन करने की है. प्लांट के विस्तारीकरण पर कंपनी ने कुल 600 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करने की योजना तैयार की है. यह जानकारी वेदांता ईएसएल स्टील लिमिटेड सीईओ आशीष गुप्ता ने दी. उन्होंने बताया कि फिलहाल स्टील प्लांट से 11 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है. जैसे-जैसे प्लांट का विस्तार होता जाएगा, वैसे-वैसे रोजगार के अवसर भी बढ़ते जाएंगे. कंपनी का लक्ष्य स्थानीय लोगों को रोजगार देने के साथ ही साथ उनका सर्वांगीण विकास करना भी है. वे शनिवार को मीडिया से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे.
सीईओ गुप्ता ने बताया कि कंपनी का प्रयास है कि प्लांट के साथ ही साथ समाज का भी विकास हो. इसके लिए कंपनी सोशल वर्क भी कर रही है. सीएसआर के तहत कंपनी कई सामाजिक कार्य कर रही है. कंपनी का प्रयास है कि समाज में पॉजिटिव माहौल बना रहे. पॉजिटीविटी रहेगा तो कंपनी के साथ-साथ आम लोगों का भी विकास होगा. कंपनी का फोकस ग्रामीण इलाके की बच्चियों को पढ़ाने-लिखाने पर है. बच्चियों को पढ़ाने के लिए कंपनी ने पंक्षी योजना शुरू की है. सीईओ ने बताया कि कंपनी द्वारा पंक्षी योजना शुरू की गयी है. इसके तहत हर वर्ष प्लस टू पास 50 छात्राओं का चयन किया जाता है. खासकर एसटी-एससी समुदाय से आनेवाली छात्राओं को प्राथमिकता दी जाती है. इन्हें चयनित कर कंपनी में पहले ही इनकी नियुक्ति कर ली जाती है और स्टाइपेंड के रूप में 15 हजार रुपये प्रति माह दिये जाते हैं. इसके अलावा कंपनी इन्हें चार वर्षों तक योग्यता के अनुसार पढ़ाती है और स्किल डेवलपमेंट करती है. जो साइंस की छात्राए हैं, उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जाता है.
सीईओ ने कहा कि इंजीनियरिंग या अन्य पढ़ाई करने के लिए छात्राएं इच्छुक होती है, तो कंपनी उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने को तैयार है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में साइंस की पढ़ाई करने की इच्छुक छात्राएं कम ही मिलती हैं. कॉमर्स और आर्ट्स पढ़नेवाली छात्राएं ज्यादा मिलती हैं, तो उन्हें कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जाता है. फिर बाद में कंपनी में ही उन्हें नियुक्त कर लिया जाता है. प्रशिक्षण व पढ़ाई का भी सारा खर्च कंपनी ही वहन करती है. सीईओ ने बताया कि बोकारो जिला में, खासकर ग्रामीण इलाकों में कॉलेज की कमी है. इसे देखते हुए कंपनी जल्द ही एक स्नातक स्तरीय (डिग्री) कॉलेज खोलेगी. इसके लिए सरकार से बातचीत चल रही है. या तो कोई पुराना कॉलेज मिल जाए या नया कॉलेज खोलने के लिए जगह मिल जाए, तो कंपनी कॉलेज भवन का निर्माण कार्य शुरू करा देगी. सीईओ ने कहा कि हमारा एक ही उद्देश्य है कि स्टील का उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ राज्य का भी विकास हो. कंपनी इसी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रही है.