Sonia
Ranchi: राज्य में बच्चों का बचपन सुरक्षित नहीं हैं. राज्य में बाल तस्करी और बाल हिंसा के मामले बढते जा रहे हैं. झारखंड के नाबालिगों को लगातार घरेलू काम करने के लिए दिल्ली जैसे महानगरों में ले जाया जा रहा है. इस मामले को लेकर और लॉकडाउन की अवधि में बच्चों के ऊपर पड़े प्रभाव को लेकर राष्ट्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग, दिल्ली द्वारा झारखंड के 50 आवसीय स्कूलों की ऑडिट की जा रही है. इसमें स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों की स्थिति का आंकलन कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. रिपोर्ट के आधार पर “National Child Right Commission” राज्य सरकार को निर्देश देगी.
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रांची रेल मंडल के आंकड़े
जनवरी से नवंबर तक रांची रेल मंडल में 99 बच्चे रेस्क्यू हुए. इसमें 23 लड़के 76 लड़कियां हैं. रांची जिला बाल संरक्षण इकाई के द्वारा 1 साल के अतंराल में बच्चों से जुड़े करीब 900 मामले दर्ज किए गए हैं. लापता के मामले, बाल तस्करी, घर से भागे हुए बच्चे और बाल हिंसा मामलों में से सबसे ज्यादा “पोस्को एक्ट” (Protection of Children from Sexual Offences Act – POCSO) के मामले थे. इसमें रांची, जमशेदपुर, सिमडेगा, खूंटी, दुमका, धनबाद और बोकारो जिला ज्यादा संख्या में शामिल हैं.
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी राम सेवक का कहना है कि प्रशासन के द्वारा 326 ग्राम बाल संरक्षण समिति और प्रखंड 18 बाल संरक्षण करने का प्रयास किया गया ताकि रांची जिला में बच्चों से जुड़े अधिकार का हनन किया जा सके. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष अरती कुजुर का कहना है कि झारखंड को हमलोग बालश्रम और बाल तस्करी से मुक्त करने के लिए प्रयासरत हैं. ऐसे मामलों के खिलाफ तुरंत कारवाई की जाती है.
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