Ranchi: डॉक्टर की लापरवाही का परिणाम मरीज को भुगतना पड़ता है. ऐसा एक मामला बेड़ो का है. बेड़ो के लेदो उरांव के तीन बच्चे हैं. ये सौरभ उरांव, श्रेसा उरांव और शिवा उरांव हैं. तीनों दिव्यांग हैं. इनकी परेशानी को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद मामले में संज्ञान लिया. उन्होंने ट्वीट कर रांची उपायुक्त को इसपर कारवाई करने का निर्देश दिया था.
डीसी ने बेड़ो बीडीओ को उन बच्चों को रांची सदर अस्पताल लाने का आदेश दिया था. इसके बाद प्रखंडकर्मी तीनों बच्चों को हॉस्पिटल ले आये. लेकिन हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने मुख्यमंत्री के आदेश का अनुपालन करने की बजाए बच्चों को देखने तक से इंकार कर दिया. लेदो उरांव अपने तीनों बच्चों का बहुविकलांगता प्रमाण पत्र बनाना चाहते थे. साथ ही फिजियोथेरेपी और बेहतर औषधीय व्यवस्था चाहते थे. लेकिन कुछ नहीं हुआ.
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बच्चों को मिला व्हीलचेयर
बच्चों के साथ विशेष शिक्षक पोवेल कुमार थे. बच्चों को न देखने पर माता-पिता और पोवेल कुमार निराश होकर लौट गए. फिर वे सीआरसी नामकुम के समेकित केंद्र पहुंचे. केंद्र में उपस्थित डॉ आलोक रंजन ने बच्चों को अटेंड किया और जरुरी इलाज किया. इसके बाद तीनों बच्चों को डॉ राजीव रंजन ने फिजियोथेरेपी दी. फिजियोथेरेपी के बाद दो बच्चों को केंद्र ने व्हीलचेयर दिया.
इसके लिए माता-पिता ने सीआरसी निदेशक जितेंद्र यादव को धन्यवाद दिया. इलाज कर रहे डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चों को रेगुलर फिजियोथेरेपी देने से जल्दी सुधार हो सकता है. अगर बच्चों को रेगुलर लाया जाए तो काफी अच्छा होगा.
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