Special Correspondent
Ranchi: रांची जिला के सोनाहातू इलाके में एक दीबाडीह घाट है. इस घाट से सबसे अधिक बालू का अवैध खनन हो रहा है. हर दिन करीब 35-40 हाईवा अवैध बालू का खनन होता है और रांची और जमशेदपुर भेजा जाता है.
दिलचस्प बात यह है कि दीबाडीह घाट से वैध खनन नहीं हो सकता, लेकिन अवैध खनन खुल्लम-खुल्ला हो रहा है. जिम्मेदार अधिकारी चुप है, कार्रवाई नहीं करते और ग्रामीण हतप्रभ हैं.
साल 2016 में दीबाडीह घाट को सरकार ने नीलाम किया था. नीलामी के बाद सरकार ने संदीप चांडक को 7.50 करोड़ रुपये में घाट आवंटित किया था. संदीप चांडक ने 3.75 करोड़ रुपया सरकारी खाते में जमा भी कर दिया था.
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आवंटन के बाद संदीप चांडक ने वन विभाग से एनओसी मांगी. वन विभाग ने एनओसी देने से इंकार कर दिया. वन विभाग ने कहा था कि जिस जगह पर दीबाडीह घाट है, वह जगह हाथियों के आवागमन के रास्ते में हैं. लिहाजा एनओसी नहीं दिया जा सकता.
वन विभाग की एनओसी नहीं मिलने पर संदीप चांडक ने सरकार से 3.75 करोड़ रुपये वापस करने का आग्रह किया. नहीं मिला. इस रकम की वापसी के लिए वह हाई कोर्ट गए. हाई कोर्ट के आदेश पर सरकार ने 3.75 करोड़ रुपये वापस किया.
आज इसी दीबाडीह घाट से अवैध बालू का उत्खनन रोज हो रहा है. प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में हो रहा. जिम्मेदार अधिकारी चुप हैं. क्षेत्र के राजनेताओं की चुप्पी स्थानीय लोगों को खटक रहा है.
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सूत्रों के मुताबिक दीबाडीह घाट का बालू रांची ही नहीं जमशेदपुर तक पहुंचता है. जमशेदपुर के लिए प्रकाश जी के नाम की चर्चा खूब है. वह पुराने खिलाड़ी बताये जाते हैं.
दीबाडीह का बालू दो रास्ते से रांची पहुंचता है. एक रास्ता सिल्ली, अनगड़ा होते हुए रांची पहुंचने का है, जबकि दूसरा रास्ता बुंडू, तैमारा घाटी व नामकुम होते हुए.
जो हाईवा बुंडू के रास्ते रांची आता है, उसे सिल्ली के तीन प्रभावशाली लोगों को रकम (3000+3000+700=7700 रुपया) नहीं देना पड़ता है. लेकिन बुंडू-तमाड़ इलाके के प्रभावशाली व्यक्ति को प्रति हाईवा 5000 रुपया जरुर देना पड़ता है.
सिल्ली रोड और रांची रोड में रात भर पुलिस की पेट्रोलिंग गाड़ी जहां-तहां खड़ी रहती है, लेकिन मजाल है कि किसी की कि बालू लदे हाईवा को कोई रोक ले. छोटू झा से सब आतंकित और परेशान हैं.
अवैध खनन और इसके अवैध कारोबार को लेकर जिला स्तर पर टास्क फोर्स है. जिसमें दंडाधिकारी, परिवहन पदाधिकारी, खनन पदाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी शामिल हैं. यह टास्क फोर्स भी शायद ही कभी कार्रवाई करती है.
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