Ranchi: पिछले 5 सालों से वेतन नहीं मिलने से होटल अशोका के कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति गंभीर हो चुकी है. सरकारी रवैये से नाराज कर्मचारी आत्मदाह करने पर उतारू हो गये. कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय और विनय सिन्हा दीपू मौके पर पहुंचे और कर्मचारियों को समझा-बुझाकर ऐसा करने से रोका. मौके पर कांग्रेस के महासचिव विनय सिन्हा दीपू ने सभी कर्मचारियों को समझाया और आत्मदाह करने को रोका. उन्होंने दिल्ली में जीएम से बात कर 13 तारीख की मीटिंग तय की. तब तक उन्होंने कर्मचारियों से संयम रखने की अपील की. उन्होंने बताया कि पिछले 5 सालों से इन कर्मचारियों के साथ हैं और इस मुद्दे को लेकर बिल्कुल संवेदनशील हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी इनकी वार्ता हो चुकी है. बहुत जल्द कोई बीच का रास्ता निकल जायेगा.
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पीएम-सीएम को सौंप चुके हैं ज्ञापन
होटल के कर्मचारी पंकज धरोहर ने बताया कि होटल में काम करने वाले कर्मचारियों की कुल संख्या 32 थी. इसमें कुछ ने तो वीआरएस ले लिया और कुछ कर्मी वीआरएस लेने को मजबूर हो गए थे. लेकिन अभी भी होटल के 7 कर्मचारी अपने वेतन की राह ताक रहे हैं. पिछले 5 सालों से वेतन नहीं मिलने के कारण अशोका होटल के कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. उन्होंने बताया कि कर्मचारियों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री को होटल की खराब स्थिति के बारे में बताया और बकाया 5 सालों का वेतन देने की मांग की. वेतन नहीं मिलने पर होटल के कर्मचारियों ने थक हार कर आत्मदाह करने का फैसला किया है.
केंद्र सरकार सभी उपक्रम बेच रही-सुबोधकांत
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरीके से सभी चीजों को बेच रही है, वो सही नहीं है. आज एचईसी की क्या स्थिति है, किसी से छिपी नहीं है. तनख्वाह के लिए कर्मचारी तड़प रहे हैं. कांग्रेस नेता ने भरोसा दिलाया कि कर्मचारियों के हक की लड़ाई में वे साथ देंगे. आत्मदाह करने के लिए कर्मचारी मजबूर ना हों बल्कि अपने हक की लड़ाई गट्टा पकड़कर लें.
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क्या है पूरा मामला ?
बता दें कि होटल अशोका का निर्माण संयुक्त बिहार में वर्ष 1985 में हुआ था. वर्तमान में इसमें 51 फीसद शेयर आइटीडीसी, 36.75 फीसद शेयर बिहार सरकार, 12.25 फीसद शेयर झारखंड सरकार का है. आइटीडीसी से 51 फीसद शेयर खरीदने से झारखंड सरकार का शेयर 63.25 फीसद हो जाएगा. बता दें कि राज्य गठन के पहले आइटीडीसी का 51 प्रतिशत और बिहार सरकार का 49 फीसद शेयर इसमें था. लेकिन झारखंड राज्य बनने के बाद बिहार के 49 प्रतिशत शेयर में 12.25 फीसद शेयर झारखंड को दे दिया गया था. जहां यह होटल है, वह जमीन (2.70 एकड़) झारखंड सरकार की है.
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