Arvind Singh
Bundu: राज्य में कोरोना का कहर जारी है. इसे रोकने के लिए सरकार भी प्रयासरत है. इससे बचाव के लिए टीकाकरण किया जा रहा है. लेकिन रांची जिले के एक गांव में लोग टीका की बजाय जड़ी-बूटी से इलाज करने में लगे है.
यह है रांची के बुंडू प्रखंड का सारजमइकिर गांव. यहां लोगों नें कोरोना के बारे में सुना है, लेकिन अधिक जानकारी नहीं है. गांव के लोग एसी भारत कुटुंब परिवार के सदस्य हैं. सभी लोग गुजरात के कुंवर केशरी के अनुयायी हैं. गांव के महेन्द्र मुंडा भी इसी के सदस्य हैं. वे कहते हैं कि यह बीमारी भी प्राकृतिक है. इसका इलाज भी प्राकृतिक जड़ी-बूटी में ही है. इसलिए जंगल से जड़ी-बूटी लाकर काढ़ा बनाते हैं. इसे हर दिन पीते हैं. साथ ही दूसरों को भी देते हैं.
सभी लोग एसी भारत कुटुंब परिवार के सदस्य
बताया कि गांव में अभी तक एक भी कोरोना का मामला नहीं आया है. किसी में इसका लक्षण भी नहीं दिखा है. एसी भारत कुटुंब परिवार के लोग अपने घरों में अशोक स्तंभ का चिन्ह दरवाजे पर रखते हैं. वाहन के नंबर प्लेट में अशोक स्तंभ के चिन्ह के साथ मुंडारी भाषा में नंबर लिखते हैं. लोगों का कहना है कि सभी लोग सात्विक जीवन जीते हैं. शाकाहारी भोजन करते हैं और हड़िया-दारू से दूर रहते हैं.
गुजरात के कुंवर केशरी के अनुयायी हैं
उनका कहना हे कि एसी भारत कुटुंब परिवार के लोग टीका भी नहीं लेंगे और न ही कोरोना जांच करवाएंगे. गांव के वार्ड सदस्य ने दबाव में पहला टीका लिया था. लेकिन दूसरा डोज नहीं लेंगे. टीका लेने के बाद लोग बीमार हो रहे हैं और जड़ी-बूटी से ठीक हो रहे हैं. खूंटी और रांची जिले में एसी भारत कुटूंब परिवार के सैकडों परिवार हैं. ये गुजरात के कुंवर केशरी के अनुयायी हैं. बता दें कि पूर्व में पत्थलगड़ी के समर्थक भी अपने को कुंवर केशरी का अनुयायी मानते थे.