- प्रशासनिक सेवा के अफसरों का टूट रहा मनोबल
- 2018 में मिली प्रोन्नति, संयुक्त सचिव कर रहे जूनियर सेलेक्शन ग्रेड में काम
Pravin Kumar
Ranchi: राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों का प्रोन्नत पद पर पदस्थापन नहीं हो रहा है. ऐसे में अफसरों का मनोबल टूटना स्वभाविक है. कोडरमा जिला के एडिशनल कलेक्टर अनिल तिर्की का प्रमोशन 2018 में जूनियर सेलेक्शन ग्रेड से संयुक्त सचिव के पद पर हुआ था. लेकिन चार साल से वह एडिशनल कलेक्टर के पद पर ही काम कर रहे हैं. इस बीच सरकार ने उनका तबादला भी नहीं किया. जब कोडरमा एडिशनल कलेक्टर अनिल तिर्की से प्रमोशन के बाद भी प्रमोशन वाले पद पर पदस्थापन नहीं किये जाने को लेकर शुभम संदेश ने उनकी राय जाननी चाही, तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया. बस बोझिल स्वर में इतना ही कहा, सरकार की जो मर्जी वह करे, हमलोग क्या कर सकते हैं. राज्य प्रशासनिक सेवा संघ ने इस मामले में क्या पहल की, इस बारे में पूछने पर कहा कि अगर संघ ईमानदारी से काम करता, तो राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की स्थिति राज्य में बेहतर रहती.
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सरकार रूटीन काम भी तय समय पर नहीं कर रही
नाम न छापने की शर्त पर राज्य प्रशासनिक सेवा के एक अफसर ने कहा कि राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गयी है. राज्य के पदाधिकारी अपना अधिकार नहीं ले पा रहे हैं, ऐसे में उन अफसरों से कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह लोगों के लिए बेहतर काम करेंगे. सरकार रूटीन काम भी समय पर नहीं कर रही है. प्रमोशन के बाद पदस्थापन नहीं होने की पीड़ा राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी झेल रहे हैं. ऊर्जावान पदाधिकारी राज्य में कुंठा के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में उन पदाधिकारियों की मानसिक स्थिति को समझा जा सकता है. लेकिन राज्य में कुछ अफसर वैसे भी हैं, जो प्रमोशन के बाद भी पुराने पद पर बने रहना चाह रहे हैं. झारखंड सेवा संहिता के अनुसार 3 सालों में पदाधिकारियों का ट्रांसफर करना होता है, लेकिन कोडरमा एडिशनल कलेक्टर अनिल तिर्की की एक जिला में सेवा के 4 साल होने को हैं, पर ट्रांसफर नहीं हुआ.
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वर्तमान पद को उत्क्रमित कर देना राज्य हित में नहीं
अफसर कहते हैं कि पिछले कुछ सालों से पूर्व और वर्तमान सरकार भी अफसरों को प्रमोशन देने के साथ पदस्थापन नहीं करा रही है. राज्य में यह प्रचलन बढ़ गया है. प्रमोशन के बाद वर्तमान पद को प्रमोशन वाले पद के रूप में उत्क्रमित कर दिया जा रहा है, जिसका खामियाजा राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी के साथ-साथ राज्य को उठाना पड़ रहा है. पदाधिकारी को प्रमोशन लेने के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है.