NewDelhi /Kolkata : पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सहमति वापस लिये जाने के बावजूद सीबीआई की ओर से राज्य में मामला दायर करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से ममता बनर्जी सरकार को राहत मिलने की खबर है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र सरकार के खिलाफ दाखिल पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका को सुनवाई योग्य माना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई जांच के लिए राज्य की सहमति जरूरी है. .
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सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तारीख निर्धारित की
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 अगस्त की तारीख निर्धारित की. पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि राज्य ने 16 नवंबर 2018 को अपनी सहमति वापस ले ली है तो ऐसे में केंद्र जांच एजेंसी को जांच के लिए राज्य में प्रवेश की अनुमति नहीं दे सकता. हालांकि केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए
कोर्ट ने 8 मई को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. मामला यह है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को अपने क्षेत्राधिकार के अंदर जांच के लिए दिल्ली पुलिस विशेष स्थापना (DSPE) अधिनियम की धारा 6 के तहत सीबीआई को मिली पूर्व सहमति वापस ले ली थी. बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि केंद्रीय एजेंसी(सीबीआई) से राज्य द्वारा सहमति वापस लेने के बावजूद सीबीआई कई मामलों में जांच कर रही है. इसमें हमारी मंजूरी नहीं ली गयी है. ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 131 का हवाला देते हुए याचिका दाखिल की थी. इसके अनुसार केंद्र और राज्यों के बीच के मामलों की सुनवाई सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में की जाती है.
सरकार सीबीआई पर नियंत्रण नहीं रखती, वह स्वतंत्र जांच एजेंसी है
2 मई को हुई अंतिम सुनवाई के क्रम में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलील पेश की थी. कहा था कि संविधान का आर्टिकल 131 सुप्रीम कोर्ट के मिले सबसे पवित्र अधिकारों में से एक है. इसका गलत इस्तेमाल नहीं होने दिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि जिन मामलों की बात बंगाल सरकार द्वारा की जा रही है, उसमें से एक भी केस केंद्र सरकार ने रजिस्टर नहीं किया है. सीबीआई ने केस दर्ज किये हैं. सरकार सीबीआई पर नियंत्रण नहीं रखती. केंद्र सरकार ने कहा कि वह स्वतंत्र जांच एजेंसी है.
गैर भाजपा शासित राज्यों ने सीबीआई को दी गयी सहमति वापस ले ली है
दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के सेक्शन 2 के तहत सीबीआई सिर्फ केंद्र शासित प्रदेशों में अपराधों पर स्वत: संज्ञान लेकर जांच शुरू कर सकती है. सीबीआई को राज्यों में किसी मामले की जांच शुरू करने से पहले दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के सेक्शन 6 के तहत उक्त राज्य सरकारों से सहमति लेनी पड़ती है. पिछले कुछ वर्षों में गैर भाजपा शासित राज्यों तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, झारखंड आदि राज्यों ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाकर सीबीआई को दी गयी सहमति वापस ले ली है.
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