Ashish Tagore
Latehar: जिले के नये पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में कुमार गौरव ने गुरुवार को यहां योगदान दिया है. योगदान करने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आम नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी. पुलिस व जनता के बीच की दूरी को कम करना व जिले में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है. उन्होंने निवर्तमान एसपी अंजनी अंजन से पदभार ग्रहण किया. अंजनी ने उन्हें बुके भेंट कर स्वागत किया और अपनी शुभकामनाएं दी. नये एसपी के सामने कई चुनौतियां होंगी. उनमें से एक है ग्रामीणों के दिलों से भय के माहौल को दूर करना है.
नक्सल व उग्रवाद प्रभावित जिला है लातेहार
बता दें कि लातेहार जिला को नक्सल व उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र माना जाता है. यहां माओवादी समेत अन्य कई उग्रवादी संगठनों का दबदबा रहा है. हालांकि हाल के वर्षों में नक्सलवाद व उग्रवाद की तपिश थोड़ी कम अवश्य हुई है. यही कारण है कि सीआरपीएफ की जिले से विदाई हो रही है. कहना गलत नहीं होगा कि निवर्तमान पुलिस अधीक्षक अंजनी अंजन के तीन वर्षों के कार्यकाल में जिला पुलिस व सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई में माओवादी व अन्य उग्रवादी संगठनों के कई शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया है. कईयों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमपर्ण कर दिया तो कई पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गये. सरकार व प्रशासन यह मान चुकी है कि लातेहार जिला नक्सल व उग्रवाद मुक्त हो चुका है. सरकार के प्रतिवेदन पर अब जिले से सीआरपीएफ की वापसी हो रही है. ऐसे में एक बार फिर लोगों के मन में भय का माहौल है.
सीआरपीएफ की कई कपंनियां वापस लौटीं
बता दें कि सीआरपीएफ की 214वीं बटालियन की विभिन्न कंपनियों को हटा दिया गया है. इन्हें झारखंड से छत्तीसगढ़ शिफ्ट किया जा रहा है. गारू थाना क्षेत्र के कोने, सरयू, डोमाखाड़, मारोमार, सीमाखाश के अलावा बूढ़ा पहाड़, पतकी और कुमंडीह क्षेत्रों में सीआरपीएफ की 214वीं बटालियन की कंपनियां तैनात थी. सरयू को माओवादियों का सुरक्षित ठिकाना माना जाता था. आज से दस वर्ष पहले तक माओवादी सरयू से बेखौफ अपनी गतिविधियों को संचालित करते थे. लेकिन सीआरपीएफ के आने से इस क्षेत्र में नक्सलवाद का प्रभाव कम हुआ. अब यहां से सीआरपीएफ की वापसी हो रही है.
सीआरपीएफ के रहने से लोग बेखौफ घूमते थे
लोगों का कहना है कि इन क्षेत्रों में सीआरपीएफ के रहने से वे बेखौफ घूमते थे. लातेहार से गारू, महुआडांड़ व नेतरहाट पथ में रात में भी पर्यटकों की गाड़ियां सरपट दौड़ती थी. जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क होने के कारण व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ गयी थी, लेकिन सीआरपीएफ के कंपनियों के हटने से अब आम लोग व व्यापारी सशंकित है. ऐसे में नये पुलिस अधीक्षक को ग्रामीणों के दिलों में घर कर रही इस भय को दूर करना और इन क्षेत्रों में लोगों के जानमाल की सुरक्षा करना एक चुनौती होगी. लोगों का कहना है कि सीआरपीएफ की कंपनियों के हटने माओवादी समेत अन्य उग्रवादी संगठनों को फिर से इन क्षेत्रों में अपना प्रभाव कायम करना मुश्किल नहीं होगा.
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