Riyadh : सऊदी अरब ने इजरायल की ओर दोस्ती के कदम बढ़ा दिये हैं. खबर है कि सऊदी अरब के स्थायी प्रतिनिधि अब्दुल्लाह अल-मोल्लिमी ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि रियाद (सऊदी अरब) इजरायल के साथ रिश्ते बहाल करने के लिए तैयार है. अल-मोल्लिमी का कहना था कि अगर इजरायल 2002 की अरब शांति योजना लागू करता है तो सिर्फ सऊदी अरब ही नहीं बल्कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के सभी 57 सदस्य देश उसके साथ होंगे.
पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर इजरायल को मान्यता देने को तैयार नहीं है
बता दें कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन में खाड़ी के इस्लामिक देशों के अलावा पाकिस्तान भी शामिल है. यह भी जान लें कि पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर आजतक इजरायल को मान्यता देने को तैयार नहीं हुआ है. दोनों देशों के बीच राजयनिक संबंध नहीं है, इसलिए कोई भी इजरायली नागरिक न तो पाकिस्तान जा सकता है और ना ही कोई पाकिस्तानी इजरायल. अब राजनयिक हलकों में चर्चा है कि क्या सऊदी के इजरायल के साथ रिश्ते बहाल करने पर पाकिस्तान भी उसकी राह चलेगा या फिर वह तब भी अपने पुराने ढर्रे पर कायम रहेगा.
इसे भी पढ़ें : आर्मी चीफ जनरल नरवणे को चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन की कमान, नये CDS की नियुक्ति तक पुरानी व्यवस्था चलेगी
तो अलग-थलग हो जायेगा पाकिस्तान
यदि सऊदी अरब इजरायल को मान्यता देता हो तो पाकिस्तान पर दबाव बढ़ जायेगा. उसका खासमखास दोस्त तुर्की पहले ही इजरायल के साथ नजदीकी रिश्ता बनाये हुए है. इमरान खान धन के लिए यूएई और सऊदी अरब पर काफी हद तक निर्भर हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही गर्त में डूबी हुई है. माना जा रहा है कि ऐसे में अगर इन दोनों देशों सऊदी अरब और तुर्की में से कोई एक भी इजरायल के साथ संबंध बनाने के लिए दबाव डालता है तो इमरान को मुश्किल हो जायेगी.
इसे भी पढ़ें : वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने की कवायद, मोदी कैबिनेट की चुनाव सुधार बिल पर मुहर
इजरायल के साथ दोस्ती करना सऊदी अरब की विवशता
अब्दुल्लाह अल-मोल्लिमी ने अरब न्यूज से कहा है कि सऊदी अरब और ईरान के बीच जारी बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकल रहा है. उनका आरोप है कि ईरान इस बातचीत को लेकर गंभीर नहीं है. ऐसे में खाड़ी देशों में ईरान का बढ़ता दबदबा कम करने के लिए इजरायल के साथ दोस्ती करना सऊदी अरब की विवशता बन गयी है. यमन में सक्रिय ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के हमलों के कारण सऊदी अरब को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
सऊदी अरब और के संबंध बेहतर हुए हैं
जान लें कि इजरायल और सऊदी के बीच हाल के कुछ वर्षों में द्विपक्षीय संबंध बेहतर स्थिति में हैं. सऊदी अरब और इजरायल दोनों ईरान के परमाणु हथियार बनाने के विरोधी हैं. दोनों देश यमन, सीरिया, इराक और लेबनान में ईरान की आकांक्षाओं के विस्तार को लेकर चिंतित रहते हैं. हिजबुल्लाह को लेकर भी इजरायल और सऊदी एक रुख रखते हैं. खबर है कि सऊदी और इजरायल खुफिया जानकारी, प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं. इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख अपने सऊदी समकक्षों और अन्य सऊदी नेताओं के साथ गुप्त रूप से मिलते रहने की बात भी सामने आयी है.