सर्वोच्च न्यायालय की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि खनिजों पर देय रॉयल्टी कर नहीं है
NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है. आज गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि खनिजों पर देय रॉयल्टी कर नहीं है.
CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है
CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है. कोर्ट के फैसले से झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर-पूर्व के खनिज समृद्ध राज्यों को फायदा होगा. हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि संसद के पास निकाले गये खनिजों पर कर लगाने की सीमाएं, प्रतिबंध और यहां तक कि रोक लगाने की शक्ति है.
VIDEO | “By a majority of 8:1, this nine judges bench has decided that the royalty imposed by Parliament and Central government under the Mines and Minerals Development Act,1957, is not in the nature of tax. Now, the relevance of this is that if royalty is a tax then it has an… pic.twitter.com/xgGZttx6X2
— Press Trust of India (@PTI_News) July 25, 2024
1989 में सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा दिया गया फैसला सही नहीं
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने और पीठ के सात न्यायाधीशों के फैसले को पढ़ा जिसमें कहा गया कि संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के अंतर्गत संसद को खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है. बहुमत के फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वर्ष 1989 में सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा दिया गया वह फैसला सही नहीं है, जिसमें कहा गया था कि खनिजों पर रॉयल्टी कर है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पीठ ने दो अलग-अलग फैसले दिये हैं और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने असहमतिपूर्ण फैसला दिया है.
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना फैसले से असहमत
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि राज्यों के पास खदानों तथा खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार नहीं है. प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति नागरत्ना के अलावा पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह हैं.
नौ जजों की पीठ बुधवार को विचार करेगी कि उनका फैसला पूर्व से लागू होगा या नहीं
पीठ ने इन विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाया कि क्या खनिजों पर देय रॉयल्टी खान तथा खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 के तहत कर है. क्या केवल केंद्र को ही ऐसा कर लेने का अधिकार है या राज्यों को भी अपने क्षेत्र में खनिज युक्त भूमि पर कर लेने का अधिकार है.
जानकारी के अनुसार नौ जजों की पीठ बुधवार को विचार करेगी कि उनका फैसला पूर्व से लागू होगा या नहीं. अगर यह फैसला पूर्वव्यापी लागू होता है तो राज्यों को भारी कर बकाया देना पड़ सकता है. राज्य चाहते हैं कि यह फैसला पूर्वव्यापी रूप से लागू हो, जबकि केंद्र सरकार इसे भविष्य के लिए लागू करना चाहती है.
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