नियुक्ति घोटाला: 18 अभियुक्तों को हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत
क्या है मामला
महालेखाकार द्वारा एक ही मामले में दो फिटमेंट टेबल बनाए जाने को नियमसंगत नहीं करार देने के बाद वित्त विभाग ने एक अक्तूबर 2019 को जारी वेतन निर्धारण से संबंधित संकल्प को रद्द करने का प्रस्ताव पेश किया था. कैबिनेट ने वित्त विभाग के इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए रद्द कर दिया था. 2019 को जारी संकल्प से 2006 से पहले नियुक्त सचिवालय सहायको का वेतन और ग्रेड पे बढ़ गया था. साथ ही उन्हें एरियर भी मिला था. एरियर और बढ़े हुए वेतन की वजह से प्रति पदाधिकारी को 18 से 19 लाख रुपए अधिक मिले हैं. विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय कमेटी ने वसूली की अनुशंसा की है. इस संकल्प को रद्द करने की वजह से 2006 से पहले नियुक्त सचिवालय सहायकों के वेतन में भी 10 से 15 हजार रुपए की कमी हो जाएगी.सरकार का फैसला न्याय संगत नहीं
सचिवालय सेवा के अधिकारी व कर्मचारी इस फैसले को न्याय संगत नहीं बता रहे हैं. उनका कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर निर्गत आदेश के आलोक से राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी जा सकती है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए विभिन्न न्याय निर्णयों में भी कहा गया है कि यदि प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए वेतन निर्धारण की कार्रवाई की जाती है तो उसे बिना स्पष्टीकरण और युक्ति युक्त अवसर प्रदान किए बिना लिया गया निर्णय अविवेक पूर्ण होगा. इसे भी पढ़ें -झारखंड">https://lagatar.in/jharkhand-governments-unique-offer-earn-10-lakhs-by-making-reels-many-facilities-will-be-available/">झारखंडसरकार का अनोखा ऑफर, रील बनाकर कमाएं 10 लाख, मिलेंगी कई सुविधाएं
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