Seraikela (Bhagya sagar singh) : सरायकेला जिला मुख्यालय में प्रति शुक्रवार साप्ताहिक हाट लगाया जाता है. क्षेत्र का बड़ा हाट बाजार होने के कारण काफी संख्या में भी लोग यहां पहुंचते हैं. हाट में सब्जी, मीट मछली, मुर्गी, बत्तख सहित कपड़े, मिट्टी, लकड़ी, बांस, पत्ते व लोहे निर्मित उपयोगी वस्तुओं सहित अन्य घरेलु उपयोग से संबंधित वस्तुओं की दुकानें बहुतायत रहती हैं. इस प्रकार हाट परिसर में आसपास के दर्जनों गांव सहित जमशेदपुर, सीनी, खरसावां क्षेत्र से आये दुकानदार भी रहते हैं. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण हाट परिसर में हजारों लोग अनेक समस्याएं झेलने को विवश रहते हैं.
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परिसर पर कीचड़ व जलजमाव के कारण सड़क पर लगती हैं दुकानें
बरसात के दिनों में पूरे हाट परिसर में जलनिकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने पर जलजमाव व कीचड़ की समस्या बन जाती है. कीचड़ के ऊपर ही किसानों को दुकान लगा कर अपनी उत्पादित सब्जियां बेचनी पड़ती है. उसी तरह हाट में खरीददारी करने आए लोग भी फिसल कर गिरते पड़ते रहते हैं. परिसर के आधे से अधिक क्षेत्र में जलजमाव व कीचड़ रहने के कारण मुख्य सड़क के किनारे ही लोगों को सब्जी इत्यादि की दुकानें लगानी पड़ती है. इसके कारण मुख्य सड़क में जाम की स्थिति बन जाती है.
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पेयजल व शौचालय की नही मिलती सुविधा
साप्ताहिक हाट के माध्यम से प्रतिवर्ष लगभग दो लाख का राजस्व नगर पंचायत को प्राप्त होता है. इसके बावजूद सप्ताह में एक दिन परिसर की सफाई, जलजमाव क्षेत्र में कीटनाशक रसायनों का छिड़काव करना तो दूर पेयजल व शौचालय तक की सुविधा उपलब्ध कराने में नगर पंचायत असफल है. हाट बाजार आने वालों के अनुसार परिसर पर एक चापानल है, जो अधिकतर खराब रहता है. इसी तरह कुछ वर्षों पूर्व परिसर पर एक शौचालय का भी निर्माण किया गया है. निर्माण पूर्ण होने के बाद से ही उसके दो गेटों पर ताला लटका हुआ है. हाट में आनेवाले पुरुष वर्ग तो किसी तरह लघुशंका से निपट लेते हैं, जबकि महिलाओं के लिये हजारों की भीड़ में बहुत बड़ी समस्या व शर्म त्यागने की बाध्यता बन जाती है. विदित हो कि साप्ताहिक हाट में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की उपस्थिति हमेशा अधिक रहती है. वहीं, लोगों को आज तक यह समझ ही नहीं आया कि शौचालय बनाया क्यों गया व बनाया गया तो उसमें ताला क्यों लटक रहा है.
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