- रेफर होने के बाद भी कागजों में मरीज के लिए बनता रहता है भोजन
- कंपनी के भोजन प्रबंधक ने दी सफाई- अस्पताल प्रबंधन रोज सौंपता है मरीजों की सूची
- हर दिन डेढ़ दर्जन लोगों का खाना होता है बर्बाद
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : क्या आपने कभी मुर्दों को भोजन करते देखा है? क्या आपने कभी सुना है कि मुर्दे भी भोजन करते हैं? क्या आपको पता है कि कोई इंसान सैकड़ों किलोमीटर दूर बनाया गया भोजन भी बिना उस जगह पर मौजूद रहकर खा सकता है? अगर नहीं, तो हजारीबाग स्थित शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सरकारी दस्तावेज जरूर देखें. ये दस्तावेज बताते हैं कि मुर्दे भी सरकारी भोजन करते हैं. साथ ही आप उस जगह परोसा गया भोजन भी ग्रहण कर सकते हैं जहां आप मौजूद नहीं हैं. यह सिर्फ एक दिन की बात नहीं है. कई दिनों तक मुर्दों और अस्पताल से अन्यत्र रेफर किए गए मरीजों को भोजन कराया गया है. इतना ही नहीं, मरीजों को भोजन सप्लाई करने वाली एजेंसी को मुर्दों और रेफर किए गए मरीजों के भोजन के एवज में सरकार की ओर से भुगतान भी किया गया है.
जी हां, शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हजारीबाग में इन दिनों मुर्दे भी सरकारी भोजन खा रहे हैं. साथ ही ऐसे मरीज भी भोजन कर रहे हैं, जिन्हें दूसरे अस्पतालों में बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया गया है. ऐसे मरीजों के नाम पर भी हर दिन भोजन बनाया जा रहा है. बाजाप्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों को भोजन सप्लाई करने वाली एजेंसी इसका बिल भी दे रही है. लगातार ऐसा हो रहा है.
प्रति मरीज सौ रुपये भुगतान
शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों का भोजन बनाने की जिम्मेवारी कमांडो कंपनी को सौंपी गई है. प्रति मरीज सरकार की ओर से कंपनी को 100 रुपये दिए जाते हैं. कंपनी के प्रबंधक राकेश कुमार का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से मरीजों के नामों की सूची जारी की जाती है, तभी भोजन दिया जाता है. हर दिन एक से डेढ़ दर्जन मरीजों का खाना बर्बाद भी हो जाता है. इसमें कंपनी की कोई गलती नहीं है.
केस-1 : पांच जनवरी की रात पदमा निवासी 70 वर्षीय महिला खुसनी देवी की मौत हो गई. जहर खाने के बाद तीन दिन से शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के महिला वार्ड में उनका इलाज चल रहा था. उनके नाम पर छह जनवरी की सुबह उनका नाश्ता और दिन व रात का खाना कमांडो कंपनी की ओर से बनाया गया था. सूची में उनका नाम भी दर्ज था. उसके नाम पर 100 रुपये का बिल वाउचर भी बनाया गया.
केस-2 : शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पुरुष वार्ड में भर्ती 27 मरीजों में से तीन मरीजों को स्वस्थ होने के बाद 6 जनवरी को छुट्टी दे दी गई. लेकिन सात जनवरी को भी उनका सुबह का नाश्ता और दिन व रात का भोजन कमांडो कंपनी की रसोई में बनाया गया. साथ ही उन मरीजों के नाम पर 100-100 रुपये के बिल दिए गए.
अस्पताल की गलती, हम क्या करें : मैनेजर
कमांडो कंपनी के प्रबंधक राजेश कुमार का कहना है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती मरीजों की सूची रात में सौंपी जाती है. उसी के अनुसार दूसरे दिन दोपहर तक का भोजन तैयार किया जाता है. लेकिन इसी बीच कई मरीज रेफर हो जाते हैं या फिर उनकी छुट्टी हो जाती है. ऐसे में उस मरीज का भोजन बना रहता है. कई बार अगर उस बेड पर कोई मरीज आ जाता है, तो भोजन उसे दे दिया जाता है. अगर बेड खाली रह गया, तो भोजन बर्बाद हो जाता है. कई बार अगर रात में किसी मरीज की मौत हो गई, तो उसका दूसरे दिन का भी भोजन बन जाता है. यह अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेवारी है कि रेफर या मृत मरीजों का नाम हटाकर सुबह में फिर से सूची जारी करे, लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है.
मामले की जांच करा कर व्यवस्था सुधारेंगे : अधीक्षक
शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक विनोद कुमार ने बताया कि सूची देने के लिए वहां एक कर्मी की प्रतिनियुक्ति की गई है. मृत और रेफर मरीजों की सूची सुबह जारी कर दी जानी चाहिए. ऐसा नहीं किया जा रहा है, तो मामले की जांच कर आगे की व्यवस्था में सुधार किया जाएगा.
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