Hazaribagh: झारखंड सरकार के हर काम में छोटे निजी स्कूल हाथ बंटा रहे हैं, सरकारी आदेशों का पालन करते हुए लगभग सात लाख बच्चों का भविष्य संवारने का काम कर रहे हैं, लेकिन जब सुविधाओं की बात आती है तो इनको कुछ नहीं मिलता है. वहीं बड़ी इमारत वाले स्कूलों में शिक्षा कम और वसूली ज्यादा होती है. इसके बावजूद तमाम सरकारी सुविधाएं भी इन्हें आसानी से मिल जाती हैं. बताते चलें कि जिले में स्कूल मिलाकर लगभग 2258 स्कूल हैं, जो यू डाइस कोड पर चल रहे हैं. बात करें एप्लीकेटेड स्कूल की तो जिले में लगभग 42 स्कूल हैं. इन सबमें कुल मिलाकर लगभग सात लाख बच्चे पठन-पाठन कर रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि छोटे स्कूलों में झारखंड शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू किया है. ये स्कूल अभिभावक से सहयोग के रूप में मात्र 200 रुपये से लेकर 800 रुपये तक प्रत्येक महीना फीस लेते हैं. ये सरकार के आदेश अनुसार गरीब बच्चों का 25 प्रतिशत निशुल्क नामांकन भी लेते हैं.
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बड़े स्कूलों में ऐसे चलता है खेल
वहीं बड़े स्कूलों में गरीब और मिडिल क्लास के बच्चों को जगह न के बराबर दी जाती है. ये स्कूल शहर के बड़े बिजनेसमैनों, व्यापारियों और अधिकारियों के बच्चों के लिए हैं. इनमें भी कुछ स्कूल बच्चों को पढ़ाई कम करवाते हैं और वसूली ज्यादा करते हैं. इन स्कूलों की फीस आसमान छू रही है. 1500 रुपये से लेकर 7000 रुपये तक प्रति माह वसूलते हैं. यहां तक कि प्रति वर्ष री-एडमिशन के अलावा विभिन्न शुल्क लगते हैं. स्कूल डेवलपमेंट के नाम पर बच्चों से प्रत्येक वर्ष डोनेशन भी लिया जाता है. इस तरह इन स्कूलों की आमदनी सालाना में लाखों की नहीं, बल्कि करोड़ों की होती है. ये स्कूल शिक्षकों का भी हक खा जाते हैं. जिस शिक्षक का वेतन 40 हजार रुपये होता है, उसको इसका आधा दिया जाता है और रजिस्टर पर पूरी राशि लिखकर हस्ताक्षर करवा लिया जाता है. ताकि स्कूल संचालक को ऑडिट में कोई परेशानी न हो और नो प्रॉफिट नो लॉस दिखाकर निस्वार्थ भाव से सेवा देने की बात आसानी से साबित कर सके. कई ऐसे स्कूल हैं जो संस्था के नाम से चल रहे हैं और कई स्कूल ट्रस्ट के नाम से चल रहे हैं. ऐसे में सरकार भी खामोश हो जाती है. स्कूल संचालक मालामाल रहते हैं. इन पर न कभी इनकम टैक्स की रेड होती है और न ही सीबीआई की जांच होती है. इस संबंध में प्राइवेट स्कूल संगठन के अध्यक्ष विनोद भगत ने कहा कि हजारीबाग जिला में प्राइवेट स्कूल सरकार को सहयोग कर रहे हैं. सरकार के हर आदेश का पालन भी कर रहे हैं. निशुल्क 25 प्रतिशत नामांकन भी ले रहे हैं.
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