Ranchi : केंद्र सरकार ने पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment) 2020 के ड्राफ्ट पर राज्यों से मंतव्य मांगा है. झारखंड सरकार ड्राफ्ट पर विचार कर रही है. केंद्र को जल्द ही मंतव्य से अवगत कराया जाएगा. राज्य में इस ड्राफ्ट के फायदे और नुकसान का आकलन किया जाएगा.
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क्या है पर्यावरण प्रभाव आकलन
पर्यावरण प्रभाव आकलन किसी प्रस्तावित परियोजना के संभावित पर्यावरणीय प्रभाव का मुल्यांकन है. किसी भी परियोजना को शुरू करने से पहले इंवायरमेंटल क्लियरेंस के लिए इसका आकलन किया जाता है. परियोजना से पर्यावरण पर असर पड़ने के आकलन के बाद ही उसे मंजूरी देने या नहीं देने का निर्णय लिया जाता है.
इस प्रक्रिया के ज़रिये खनन, सिंचाई बांध, औद्योगिक इकाई या अपशिष्ट उपचार संयंत्र आदि किसी भी तरह की परियोजना के संभावित प्रभावों का वैज्ञानिक तरीके से अनुमान लगाया जाता है. इसमें आम लोगों को होने वाले प्रभाव का भी आकलन किया जाता है.
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देश में 2006 का चल रहा कानून
भोपाल गैस त्रासदी 1984 में हुई थी. इसमें हजारों लोगों की मौत हुई. इस घटना को देखते हुए 1986 में पर्यावरण संरक्षण के लिये एक अंब्रेला अधिनियम बनाया गया. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत सर्वप्रथम 1994 में पहले पर्यावरण प्रभाव आकलन मानदंडों को अधिसूचित किया गया. इस नियम में वर्ष 2006 में बदलाव किया गया.
देश में वर्ष 2006 में संशोधित पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम अब तक लागू है. केंद्र सरकार ने इस में बदलाव करते हुए नया मसौदा तैयार किया है. जिस पर अभी राज्यों, पर्यावरणविद व अन्य लोगों की राय ली जा रही है.
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पर्यावरण प्रभाव आकलन-2020 के मसौदे की मुख्य बातें
केंद्र सरकार के अनुसार, पर्यावरण प्रभाव आकलन- 2020 के मसौदे को मुख्यतः प्रक्रियाओं को और अधिक पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया है. लेकिन जानकारों का कहना है कि वास्तव में यह मसौदा कई गतिविधियों को सार्वजनिक परामर्श के दायरे से बाहर करने का प्रस्ताव करता है. इस मसौदे के तहत सामाजिक और आर्थिक प्रभाव और उन प्रभावों के भौगोलिक विस्तार के आधार पर सभी परियोजनाओं और गतिविधियों को तीन श्रेणियों- ‘A’, ‘B1’ और ‘B2’ में विभाजित किया गया है. कई परियोजनाओं जैसे- सभी B2 परियोजनाओं, सिंचाई, रासायनिक उर्वरक, अपशिष्ट उपचार सुविधाएं, भवन निर्माण और क्षेत्र विकास, एलिवेटेड रोड और फ्लाईओवर, राजमार्ग या एक्सप्रेसवे आदि को सार्वजनिक परामर्श से छूट दी गई है.
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ड्राफ्ट के कई बिंदुओं पर है आपत्ति
वन एवं पर्यावरण विभाग को केंद्र सरकार का संशोधित ड्राफ्ट मिल गया है. सूत्रों की मानें तो केंद्र द्वारा तैयार किए गए मसौदे पर राज्य में कई बिंदुओं पर आपत्ति है. अधिकारियों की शुरुआत रिपोर्ट के अनुसार कई बिंदुओं से राज्य को नुकासन हो सकता है. विभाग द्वारा इस पर विचार किया जा रहा है. विभागीय अधिकारी ड्राफ्ट पर विचार के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इससे अवगत कराएंगे. फिर निर्णय लेकर केंद्र को राज्य अपने मंतव्य से अवगत कराएगा.
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