Ranchi : राज अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार झा और उनकी टीम ने नवीनतम तकनीक पर आधारित लीडलेस पेसमेकर लगाया. रांची में पहली बार राज अस्पताल ने AV (VDD) माइक्रा लीडलेस पेसमेकर को सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया है. लीडलेस पेसमेकर को बिना किसी चिर-फाड़ और टांका लगाये ही हार्ट में लगाया जाता है. इस प्रकिया के तहत पेसमेकर पैर के नस के जरिये हार्ट में ट्रांसप्लांट किया जाता है. यह पूरी तरह से दर्द रहित और सुरक्षित भी होता है. लीडलेस पेसमेकर का आकार AAA बैटरी की तरह होता है. इसकी बैटरी का औसत जीवन लगभग 10 वर्ष है.
ऑपरेशन करने में आधे घंटे से भी कम समय लगा : डॉ. राजेश कुमार झा
डॉ. राजेश कुमार झा ने बताया कि मरीज की पहले भी हार्ट की सर्जरी हुई थी. साथ ही उसको पेसमेकर पॉकेट संक्रमण भी था. इसलिए डॉक्टर की टीम ने तय किया कि इस मरीज का इलाज इस विशेष उपकरण से करना उचित रहेगा. बताया कि यह तकनीक काफी सुरक्षित और प्रभावी है. ऑपरेशन करने में आधे घंटे से भी कम समय लगा. उन्होंने बताया कि राज अस्पताल रांची के कार्डियोलॉजी विभाग में कुशल टीम द्वारा हृदय से जुड़े इलाज जैसे एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, पेसमेकर ट्रांसप्लांट, आईसीडी, सीआरटीडी, पेरीफेरल एंजियोप्लास्टी आदि की जाती है.
पिछले कुछ वर्षों से लीडलेस पेसमेकर की बढ़ी है लोकप्रियता
डॉ. राजेश कुमार झा ने बताया कि लीडलेस पेसमेकर उन मरीजों के लिए अच्छा है, जो बहुत सी बीमारियों से ग्रसित, हाथ के नस में रुकावट हो, बार-बार पेसमेकर पॉकेट इन्फेक्शन हो रहा हो, हार्ट की बड़ी सर्जरी हुई हो या इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड बीमारी हो. साथ ही जिनका शरीर कमजोर हो. इस प्रक्रिया से पेसमेकर लगाने से बहुत जल्दी रिकवरी होती है. ऑपरेशन के दूसरे या तीसरे दिन ही छुट्टी कर दी जाती है. नियमित पेसमेकर की तुलना में लीडलेस पेसमेकर काफी अच्छा होता है. इसको ट्रांसप्लांट कराने से मरीज को अस्पताल में कम रहना पड़ता है. इसमें रक्तस्राव और जटिलताएं भी कम होती है. साथ ही संक्रमण का भी खतरा नहीं रहता है. भारत में पिछले कुछ वर्षों से लीडलेस पेसमेकर की लोकप्रियता बढ़ी है. वर्तमान में भारत में यह पेसमेकर दो वेरिएंट्स सिंगल चैंबर (VVIR) और डुअल चैंबर (VDDR) के साथ उपलब्ध है. भविष्य में यह डुअल चैंबर (DDDR) वैरिएंट के साथ भी उपलब्ध होगा.
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