NewDelhi : राजनीतिक दलों द्वारा आम जनता को मुफ्त सुविधाएं(रेवड़ी कल्चर) देने के वादों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को कहा कि गरीबी के दलदल में फंसे इंसान के लिए मुफ्त सुविधाएं और चीजें देने वाली स्कीमें महत्वपूर्ण हैं. यह एक अहम मुद्दा है और इस पर बहस किए जाने की जरूरत है.
Supreme Court says freebies is an important issue and a debate is needed on this. CJI NV Ramana says suppose Centre makes a law that states cannot give freebies, so can we say such a law is not open to judicial scrutiny. For the welfare of the country, we are hearing this issue. pic.twitter.com/bEe6Ac0KSh
— ANI (@ANI) August 23, 2022
इस क्रम में SC ने कहा कि सवाल यह है कि इस बात का फैसला कौन लेगा कि क्या चीज मुफ्तखोरी के दायरे में आती है और कौन सी जनकल्याण के दायरे में? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव आयोग को इस मामले में अतिरिक्त शक्ति नहीं दे सकते. कहा कि कल भी इस मामले पर सुनवाई करेंगे
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हम देश के कल्याण के लिए इस मामले को सुन रहे हैं
सीजेआई एनवी रमना का कहना था कि मान लें अगर ऐसा कानून बन जाता है जिसके आधार पर राज्यों को मुफ्त उपहार देने पर रोक लगा दी जाती है, तो क्या हम यह कह सकते हैं कि ऐसा कानून न्यायिक जांच के लिए नहीं आयेगा? इसलिए हम देश के कल्याण के लिए इस मामले को सुन रहे हैं.
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हम यह फैसला करेंगे कि मुफ्त उपहार क्या है
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि हम यह फैसला करेंगे कि मुफ्त उपहार क्या है. अदालत ने कहा कि क्या सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल, पीने के पानी तक पहुंच, शिक्षा तक पहुंच को मुफ्त सौगात माना जा सकता है. हमें यह परिभाषित करने की आवश्यकता है कि एक मुफ्त सौगात क्या है. क्या हम किसानों को मुफ्त में खाद, बच्चों को मुफ्त शिक्षा के वादे को मुफ्त सौगात कह सकते हैं. सार्वजनिक धन खर्च करने का सही तरीका क्या है, इसे देखना होगा.