Ranchi: नगर निकायों के कार्यों में लगातार राज्य सरकार की ओर किए जा रहे हस्ताक्षेप के विरोध में बुधवार को मेयर आशा लकड़ा के नेतृत्व में दस नगर निकायों के मेयर, डिप्टी मेयर, अध्यक्ष/उपाध्यक्ष ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर अपने हक व अधिकार की मांग की है. 10 नगर निकायों के चयनित जनप्रतिनिधियों ने राज्यपाल को बताया कि राज्य सरकार द्वारा गठित jharkhand Urban Infrastructure Development (Juidco) एवं State Urban Development Agency (SUDA) के माध्यम से नगर निकायों के मूल कार्यों में लगातार हस्तक्षेप किया जा रहा है.
मेयर आशा लकड़ा ने राज्यपाल से इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करने के लिये निर्देश मांगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को टेंडर प्रक्रिया शुरू करने से पहले किसी भी प्लान या पॉलिसी की विस्तृत जानकारी देते हुए नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया जाए, ताकि किसी प्रकार की संशय की स्थिति उत्पन्न न हो.
जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के बीच सामंजस्य जरूरी
मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि शहरी क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं व अच्छी प्लानिंग या पॉलिसी को धरातल पर उतारने के लिए जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है. यदि झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए विभागीय अधिकारी किसी भी प्रस्ताव पर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएंगे तो किसी भी योजना, प्लानिंग या पॉलिसी को धरातल पर उतारने में अड़चनें उत्पन्न नहीं होंगी.
उन्होंने कहा कि नगर विकास विभाग के अधिकारी नगर निकायों से उनकी आवश्यकताओं की जानकारी लिए बिना JUIDCO व SUDA के माध्यम से नगर निकायों के मूल कार्यों में लगातार हस्तक्षेप कर अपनी मनमानी कर रहे हैं. सिर्फ यही नहीं विभागीय अधिकारियों की सह पर Juidco व SUDA के माध्यम से टेंडर निष्पादित करने का कार्य भी किया जा रहा है. जबकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (फ) के तहत गठित नगर निगम एक स्वायत्तशासी ( Constitutional body) संस्था है.
JUIDCO व SUDA नहीं कर रहे हैं सहयोगः आशा
उन्होंने कहा कि नगर निकायों का संचालन झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के तहत किया जाता है. झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के तहत नगर निकायों को अपने मूल कार्यों को निष्पादित करने से पूर्व परिषद/स्थायी समिति से सहमति लेना अनिवार्य है. परंतु JUIDCO व SUDA के माध्यम से झारखंड नगरपालिका अधिनियम में वर्णित प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है. इस कारण नगर निकायों में पूर्व से किए जा रहे कार्यों का भी निविदा किया जा रहा है. जिसके कारण रांची नगर निगम व नगर विकास विभाग के बीच पिछले कुछ महीनों से विवाद की स्थिति बनी हुई है. साथ ही अनियोजित ढंग से आम जनता के पैसों की बर्बादी की जा रही है. निकायों में पदस्थापित अधिकारी भी झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं. फिर भी राज्य सरकार उन पर कार्रवाई करने के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं करती है. नियमानुसार अधिकारी ही नगरपालिका अधिनियम के संरक्षक होते हैं.
राज्य सरकार से करूंगी बातः राज्यपाल
नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों की बातें सुनने के बाद राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह अपने स्तर से इन मामलों पर राज्य सरकार से बात करेंगी. साथ ही राज्यपाल के माध्यम से नगर निकायों को जारी की गई अधिसूचनाओं की प्रति मांगेंगी, ताकि झारखंड नगरपालिका अधिनियम में वर्णित प्रावधानों व जनप्रतिनिधियों के हक व अधिकार की स्थिति स्पष्ट हो सके.
राज्यपाल से 10 निकायों के प्रतिनिधियों ने मुलाकात कि जिसमें रांची नगर निगम महापौर आशा लकड़ा, उपमहापौर संजीव विजयवर्गीय के साथ अन्य निकायों के प्रतिनिधि अरुणा शंकर, मंगल सिंह, विनोद श्रीवास्तव, अमित सिंह, रोशनी तिर्की, युगेश वेदिया, गुजा देवी, मनोज महतो उपस्थित थे.