Ranchi: सरला बिरला विश्वविद्यालय में ‘एक्सपैंडिंग होराइजन ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन एंड कांस्टीट्यूशनलिज्म इन इंडिया’ विषय पर सोमवार को एक्सपर्ट टॉक आयोजित किया गया. मौके पर अधिवक्ता डॉ. वंदना सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देश के संविधान में इस तरह की बुनियादी संकल्पना है, जिससे देश की शासन प्रणाली और कानूनी ढांचे को संबल हासिल होता है. उन्होंने संविधानवाद की व्याख्या करते हुए इसे कानून का शासन, उचित जवाबदेही और व्यक्ति विशेष के अधिकारों की रक्षा से जुड़ा हुआ बताया. मौलिक अधिकारों को बरकरार रखने और इसके क्रियान्वयन के लिए विभिन्न न्यायालयों द्वारा की गई पहल पर भी उन्होंने विस्तार से जानकारी दी.
इस अवसर पर एसबीयू के महानिदेशक प्रो. गोपाल पाठक ने विश्व के सबसे लंबे भारतीय संविधान में अंतर्निहित समानता और अधिकारों से युक्त सामाजिक और आर्थिक न्याय की संकल्पना पर चर्चा की. साथ ही उन्होंने देश के राजनैतिक-आर्थिक और सामाजिक परिवर्तनों के लिए संविधान के रचनाकारों को इसका श्रेय दिया. प्रभारी कुलपति एस. बी. डांडीन ने भारतीय संविधान को देश के जनमानस का प्रतिबिंब बताया. उन्होंने भारत के संविधान को प्रगतिशील करार देते हुए इसे भावी कानूनों और नीतिगत निर्णयों का पूरक बताया.
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मौके पर ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में डिपार्मेंट आफ लॉ की इंचार्ज कोमल गुप्ता ने स्वागत भाषण और धन्यवाद प्रस्ताव श्वेता सिन्हा ने दिया. मौके पर झारखंड उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता आकाशदीप, डॉ. आर. के. सिंह, हरिबाबू शुक्ला एवं विवि के अन्यान्य शिक्षकगण एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे.
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