Jaideep Sinha
Barhi : बरही प्रखंड के विभिन्न हिस्सों में जमीन की लूट की चर्चा सरेआम है. यहां तक कि बरही नदी किनारे की जमीन पर भी भू-माफियाओं की नजर लग चुकी है. दुर्भाग्य यह है कि कर्मचारी से अधिकारी तक को खबर रहने के बावजूद भू-माफियाओं से सरकारी जमीन बचाने की कोशिश तक नहीं की जा रही है. कहीं फर्जी कागजात बनाकर, तो कहीं खानदानी जमीन बताकर बरही में जमीन के वारे-न्यारे किए जा रहे हैं. चाहे वन क्षेत्र का हिस्सा हो अथवा विद्यालय या सरकार की परती पड़ी जीएम या केसरे हिंद प्रकृति की जमीन. कुछ लोग दबंगई और पैसे के बल पर वारे-न्यारे करने में दिन रात लगे हैं. यही कारण है कि बरही नदी आज सिमट कर नाले के रूप में परिवर्तित हो गई है. वर्षों पहले जहां पानी रहते थे, आज मुहल्ले बस गए हैं. लोगों का दावा है कि भू-माफिया बिक्री के पूर्व जमीन के सभी कागजात प्रस्तुत करते हैं. कुछ लोगों ने तो राजस्व लगान होने की भी बात बताई है, जो जांच का विषय है. चर्चा तो यह भी है कि कई माफियाओं की ऊंची पैठ है, यही कारण है कि अधिकारी इस मामले में हाथ नहीं डालना चाहते हैं.
बरही नदी का आकार और प्रकार दोनों बदला
बरही नदी जो बराकर से मिलते हुए सीधे बंगाल की खाड़ी तक जाती है. अतिक्रमण ने इस नदी का स्वरूप बदलकर नाले में परिवर्तित कर दिया है. स्थानीय लोगों के अनुसार इसकी चौड़ाई करीब 200 मीटर से भी अधिक थी, जो अब सिमटकर महज 20 फीट या उससे भी कम हो गई है. भू-माफियाओं ने अवैध कागजात बनाकर जमीनों की बंदरबाट कर दी. वहां नई बस्ती और कॉलोनी का निर्माण कर दिया है. ग्रामीणों ने इसकी शिकायत अंचल कार्यालय से कई बार की, परंतु स्थिति यथावत है.
अतिक्रमण के कारण नदी का मार्ग भी बदल गया : पूर्व मुखिया
पूर्व मुखिया सह वर्तमान मुखिया मीनू देवी के पति छोटन ठाकुर ने बताया कि बरही नदी का आकार और प्रकार दोनों बदल गया है. अतिक्रमण के कारण नदी का मार्ग भी बदल गया है. इस नदी में पानी नहीं रहता है. इस क्षेत्र में यह नदी कृषि का एक मात्र साधन था. पानी के अभाव में करसो, बरहीडीह आदि क्षेत्र पूरी तरह प्रभावित है. अंचलाधिकारी को कई बार सूचित किया गया, परंतु सिर्फ जांचोपरांत उचित कार्रवाई का आश्वासन ही मिलता रहा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी : गुरुदेव गुप्ता
विश्व हिन्दू परिषद के जिला सह मंत्री गुरुदेव गुप्ता कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि जलस्रोत प्रभावित नहीं करें. लेकिन बरही नदी किनारे की जमीन पर जिस तरह से कब्जा हो रहा है, इस पर रोक लगाने की जरूरत है. अभी तो दो-चार बूंद पानी भी है. अगर यही हाल रहा, तो आनेवाली पीढ़ी को पता भी नहीं चलेगा कि यहां कोई नदी भी थी.
अभियान चलाकर नदी को बचाने की जरूरत : भगवान केसरी
समाजसेवी भगवान केशरी ने कहा कि अभियान चलाकर बरही नदी को बचाने की जरूरत है. इसका पुराना वजूद तो लौटना संभव नहीं है, लेकिन जितना भी बचा हुआ है, उसे संरक्षित करने की आवश्यकता है. स्थानीय लोगों को ही पहल करने की जरूरत है. नदी पर अतिक्रमण करना सही नहीं है. प्रशासन को भी इस पर कार्रवाई करना चाहिए.
नदी-तालाब से ही जीवन : मेवालाल केसरी
समाजसेवी मेवालाल केसरी ने कहा कि नदी-तालाब से ही जीवन है. पानी के बिना जीवन संभव नहीं है. अगर जलस्रोत को ही खत्म कर दिया जाए, तो मानव, पशु, पक्षी सबके जीवन पर खतरा मंडराने लगेगा. बरही नदी पर अतिक्रमण से कई गांवों को पानी की परेशानी होने लगी है. नदियों के महत्व को समझने की जरूरत है. समय रहते इस नदी को बचाने की जरूरत है.
अतिक्रमणकारियों पर होनी चाहिए कार्रवाई : छोटन ठाकुर
बरही पूर्वी के पूर्व मुखिया छोटन ठाकुर कहते हैं कि नदी-तालाबों के किनारे की जमीन पर अतिक्रमण करनेवालों पर कार्रवाई होनी चाहिए. यह पता करने की जरूरत है कि आखिर नदी किनारे की जमीन किसने बेची. खरीदने वालों को भी पहले यह सोचना चाहिए था कि कहीं कभी अभियान चला, तो उनका घर भी कार्रवाई की जद में आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तो अनुपालन होना चाहिए. प्रशासन को भी इस बात का ख्याल होना चाहिए.
बरहीवासियों को आवाज बुलंद करने की जरूरत : बद्री यादव
पूर्व जिला परिषद प्रत्याशी बद्री यादव कहते हैं कि नदी पर अतिक्रमण के खिलाफ बरहीवासियों को आवाज बुलंद करने की जरूरत है. अगर अब भी पहल नहीं की गई, तो आनेवाले दिनों में दूसरे जलस्रोतों का भी यही हाल होगा. बेखौफ भू-माफिया की नजरें ऐसी हर जमीन पर है. ऐसी जमीन बगैर प्रशासनिक साठ-गांठ के बेची नहीं जा सकती. ऐसे में निष्पक्षता और ईमानदारी से पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. तभी बरही नदी का वजूद बच पाएगा.
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