Jamshedpur : सोनारी स्थित रॉकी मैदान में 21 फीट की मां की प्रतिमा पर विवाद काफी गहरा चुका है. प्रशासन ने मंगलवार पीसीआर वैन को पूजा पंडाल के पास तैनात किया था. इस दौरान बंगाल से मां की प्रतिमा को अंतिम रुप देने आए कलाकारों को मुस्तैद जवानों ने वापस लौटा दिया. जिसके बाद पूजा कमिटी का रुख स्पष्ट रुप से सामने आया. कमिटी के अध्यक्ष एके मोइत्रा ने कहा कि 24 जुलाई से ही प्रतिमा निर्माण का कार्य शुरू हो चुका था. 15 अगस्त तक प्रतिमा बनकर तैयार हो गई थी. यह सब कुछ राज्य सरकार के आदेश से पूर्व ही हो चुका था. अब प्रशासन इसे तोडने की बात कर रही है तो हम ये होने नहीं देंगे. मां की प्रतिमा भी यहीं बनकर तैयार होगी और पूजा भी इसी प्रतिमा की होगी. यदि प्रशासन हमपर एफआईआर करती है तो हम उसके लिए भी तैयार हैं. अध्यक्ष ने बताया कि आज से ही मां की प्रतिमा को अंतिम रुप देने का कार्य शुरू हो जाएगा. दूसरी ओर, सोनारी थाना में इंसीडेंट कमांडर के बयान पर एके मोइत्रा पर प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है.
नवरात्र की पूजा समीप, रुकावट न पैदा करे सरकार : अभय
दूसरी ओर, भाजपा नेता अभय सिंह भी सोनारी स्थित रॉकी मैदान पहुंचे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से मैं आग्रह करना चाहूंगा कि 16 फीट की प्रतिमा के मामले में सरकार हस्तक्षेप करे और बीच का रास्ता निकाले. पूजा शांति व सद्भाव के साथ बीते. यह सभी की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के विधानसभा का मामला है. सरकार के द्वारा कोविड.19 के कारण दी गई गाइडलाइन के तहत पूरे जमशेदपुर के लोगों ने 5 फीट की प्रतिमा बनाई है. पर गलत हो या सही 16 फीट की प्रतिमा सोनारी में अगर बनी है तो जिला प्रशासन या सरकार इसके मध्य का रास्ता निकाले. यह प्रतिमा कोई सीमेंट की नहीं है जो उक्त स्थान में हमेशा की तरह विराजमान हो जाएगी यह मिट्टी की मूर्ति है जो विगत 24 जुलाई से बन रही है. स्थानीय सोनारी थाना की नादानी के कारण यह प्रतिमा आज बन करके तैयार हो चुका है, जिसे हटाना अब आस्था के लिए ठीक नहीं है. इसे जिला प्रशासन पूरे राज्य का मुद्दा ना बनने दे. पूजा कमेटियों को सहयोग करे. मूर्ति बनाना कोई बहुत बड़ा अनर्थ नहीं हो गया जबकि बंगाल में थीम पंडाल से लेकर लाइटिंग, प्रतिमा में किसी प्रकार की रोक नहीं है. लेकिन जमशेदपुर या झारखंड के लोगों ने सरकार को समर्थन दिया है इसका अर्थ यह नहीं है कि अगर कोई 16 फीट की प्रतिमा बन गई है तो उसे हटाया जा सकता है. नवरात्र की पूजा अब सिर पर खड़ी है इसलिए अब इस पर ध्यान न देकर शांति और सद्भाव के साथ पूजा को पूर्ण करना सरकार, जिला प्रशासन और पूजा समितियों की जवाबदेही है. जिसे पूरा करना चाहिए.
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