NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक टिप्पणी पर आज मंगलवार 15 अप्रैल को आपत्ति जताई. याद करें कि हाईकोर्ट ने कहा था कि शिकायतकर्ता(पीड़िता) ने खुद ही मुसीबत को मोल लिया.
हाईकोर्ट ने रेप के मामले में आरोपी को जमानत देते हुए कहा था कि पीड़िता ने शराब पीकर याचिकाकर्ता(आरोपी) के घर जाने की सहमति जताकर खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया.
VIDEO | On SC objecting to Allahabad HC observation that rape victim invited trouble, advocate Rachna Tyagi says, “We stood up for victim’s mother side. Since the service was not completed and all the accused were not present, the SC deferred the case for next hearing. But the SC… pic.twitter.com/5ChMoionKK
— Press Trust of India (@PTI_News) April 15, 2025
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा, जमानत याचिका पर फैसला देते समय हाईकोर्ट ने ऐसी टिप्पणी क्यों की. यह गैर जरूरी थी.
बता दें कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक अन्य आदेश पर स्वत: संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि स्तनों को पकड़ना और महिला के पायजामे या सलवार का नाड़ा खींचना बलात्कार के अपराध के दायरे में नहीं आता.
जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, उसी हाईकोर्ट के एक अन्य न्यायाधीश ने ऐसा ही आदेश पारित किया है. जस्टिस गवई ने कहा, ‘अगर कोई जमानत देना चाहता है तो ठीक है, लेकिन ऐसी टिप्पणी क्यों की कि उसने मुसीबत को खुद ही आमंत्रित किया. कहा कि हमें बहुत सावधान रहना होगा.
इस मामले में हाईकोर्ट नेआरोपी को जमानत देते हुए आदेश पारित किया था. कहा था कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि पीड़िता और याचिकाकर्ता दोनों ही बालिग हैं. पीड़िता एमए की छात्रा है, इसलिए वह अपने कृत्य की नैतिकता और महत्व को समझने में सक्षम थी, जैसा कि उसने प्राथमिकी में दर्ज किया है.
हाईकोर्ट ने कहा, यदि पीड़िता के आरोप को सच मान भी लिया जाये तो भी यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया और वह इसके लिए स्वयं ही जिम्मेदार है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की इस टिप्पणी पर कि बलात्कार पीड़िता ने परेशानी को आमंत्रित किया, सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई, वकील रचना त्यागी ने कहा, हम पीड़िता की मां के पक्ष में खड़े हुए, चूंकि सभी आरोपी मौजूद नहीं थे,
इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अगली सुनवाई के लिए टाल दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन कई अनुचित टिप्पणियों पर आपत्ति जताई जो हाईकोर्ट कर रहे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अनुचित टिप्पणी थी, सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की.
यह एक टिप्पणी के बारे में था जिसे पीड़िता ने आमंत्रित किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए
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