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Lohardaga: झारखंड के लोहरदगा जिला में केंद्र और राज्य सरकार के सारे दावे फेल नजर आ रही है. यहां पर ग्रामीण खुद से अपने घरों तक पहुंच पथ को श्रमदान कर मरम्मत कार्य को मूर्त रूप देने में जुटे हुए हैं. बता दें कि लोहरदगा जिला अंतर्गत सेन्हा प्रखंड क्षेत्र के बरही केरा टोली के ग्रामीणों ने सरकारी तंत्र से तंग आकर श्रमदान कर जर्जर पथ को मरम्मती कार्य में जुट गए हैं. भुक्तभोगी ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासनिक अमला पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि अरसे से सड़क का निर्माण कार्य कराए जाने की मांग गांव वालों के द्वारा किया जाता रहा है, बावजूद इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. बकौल सेरेंगहातु तोड़ार पंचायत अंतर्गत बरही केरा टोली के ग्रामीणों ने जर्जर पथ का श्रमदान से मरम्मत कार्य को अंजाम देकर सरकार व जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनावी प्रलोभन का शिकार शुरू से ही हम आदिवासी बहुमूल्य क्षेत्र के लोगों के साथ शोषण किया जा रहा है. बरही केरा टोली के भुक्तभोगी लोगों ने कहा कि 20 वर्ष पूर्व नरेगा मद से ग्रेड वन कार्य प्रखंड स्तर से कराया गया था. उसके बाद से हम सभी ग्रामीणों की समस्या को सुनने वाला ना सरकार है और ना ही जनप्रतिनिधिगण हैं.
इधर बरही केरा टोली गांव के सुनैना उरांव, सरिता उरांव, मालती उरांव, सुकरो उरांव, जेरकु उरांव,सचिन उरांव, सुरेश उरांव, बीरेंद उरांव, बंधनु उरांव सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि जर्जर पथ की समस्या से उपायुक्त को कई बार लिखित आवेदन देकर अवगत कराया जा चुका है, परंतु आज तक सुनवाई नही हुआ. साथ ही बताया कि गांव में 60 घर की अवादी के बावजूद मूलभूत सुविधाएं से वंचित रखा जा रहा है. ऐसे स्थिति में प्रसव को लेकर भी समस्या बना रहता है. सुनैना उरांव ने कहा कि किसी के घर में यदि कोई बीमार पड़ जाते हैं तो ऐसे स्थिति में उसे अस्पताल ले जाने की सबसे बड़ी चुनौती बनी रहती है. गांव वालों के मुताबिक सड़क की हालत गंभीर तो बनी ही हुई है, साथ ही पेयजल की व्यवस्था भी काफी दयनीय है. गांव वालों ने बताया कि जर्जर पथ के मरम्मती का कार्य को शुरू करने से पूर्व गांव में बैठक कर आर्थिक व श्रमदान कर जगह-जगह पर बने गढ़े तथा बड़े-बड़े बोल्डर पत्थर के ऊपर मिटी मोरम देकर मरम्मत करने का निर्णय लिया गया. तत्पश्चात रविवार सुबह से पथ का मरम्मती कार्य में बड़ी संख्या में गांव के महिला व पुरुष के अलावे छोटे-छोटे बच्चे जुट गए.
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