Braj Bhushan Pandey
अपने आध्यात्मिक महत्व के कारण लड्डू प्रसादम एक पवित्र प्रतीक है. यह श्रद्धालुओं को तो अपनी ओर आकर्षित करता ही है, भोजन के शौकीनों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है, जो इसका अनूठा स्वाद चखना चाहते हैं. इन लड्डुओं को सावधानीपूर्वक बनाने की प्रक्रिया तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम द्वारा कायम की गयी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं का प्रमाण है. यह लड्डू प्रसादम सिर्फ एक मीठा व्यंजन या मिठाई ही नहीं है, बल्कि यह एक यादगार अनुभव है, जो विश्वास, भक्ति और दूसरों के साथ आशीर्वाद साझा करने की खुशी का प्रतीक है. प्रसादम की पवित्रता पर संदेह के बादलों का मंडराना एक अभूतपूर्व घटना प्रतीत होती है. जैसा की बताया जा रहा है, मंदिर के पवित्र प्रसाद में चिंताजनक मात्रा में अस्वास्थ्यकर वसा मिला हुआ पाया गया. जहां यह मामला राष्ट्रव्यापी बहस का विषय बन चुका है, वहीं श्रद्धालु सनातनधर्मी सदमे और अविश्वास की स्थिति में हैं. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है और शीघ्र ही आवश्यक कार्रवाई की आस बंधती है.
दुर्भाग्यवश, यह परेशान करने वाला रहस्योद्घाटन विशेष रूप से पूरे देश में आर्थिक रूप से सबसे सफल मंदिर के रूप में प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी के प्रतिष्ठित प्रसादम लड्डू से संबंधित है. स्थिति की गंभीरता को मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने उस दिन अपने संबोधन के दौरान मार्मिक ढंग से अभिव्यक्त किया, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन और कार्यालय में उनके तीसरे कार्यकाल के पहले सौ दिनों का जश्न मनाया जा रहा था. 9 जुलाई को, मंदिर प्रबंधन ने प्रसादम की तैयारी में इस्तेमाल किये गये घी के नमूने गुजरात स्थित एनडीडीबी सीएएलएफ लिमिटेड नामक एक विशेष प्रयोगशाला में भेजकर निर्णायक कार्रवाई की. विश्लेषण की एक संक्षिप्त अवधि के बाद, प्रयोगशाला के निष्कर्ष 16 जुलाई को जारी किये गये. उससे पता चला कि एक विशेष आपूर्तिकर्ता से प्राप्त घी वास्तव में मिलावटी था. गुजरात के आनंद में स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के तहत संचालित खाद्य परीक्षण सुविधा सीएएलएफ यानी पशुधन और भोजन में विश्लेषण और अध्ययन केंद्र ने पुष्टि की कि लड्डू जिस घी से बनाये जा रहे थे, उसमें पशु वसा और मछली के तेल की मिलावट थी.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह विवाद हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में उत्पन्न हुआ है. जून में, जगन मोहन रेड्डी की पार्टी को आंध्र प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में बड़ी हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद नायडू को एनडीए सरकार के हिस्से के रूप में सत्ता संभालनी पड़ी. इस राजनीतिक उथल-पुथल के मद्देनजर, नायडू ने मौजूदा स्थिति और इसके नतीजों के लिए जगन मोहन रेड्डी को खुले तौर पर जिम्मेदार ठहराया है. रविवार, 22 सितंबर को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक औपचारिक पत्र लिखा. अपने पत्राचार में उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया. यह अनुरोध नायडू द्वारा लगाये गये गंभीर आरोपों के प्रकाश में आया है, जिन्होंने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) पर प्रतिष्ठित तिरुपति मंदिर में वितरित प्रसाद में मिलावट में शामिल होने का आरोप लगाया था. भक्तों के लिए प्रसादम के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए, इन आरोपों के निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं. सामने आ रही स्थिति के जवाब में, केंद्र सरकार ने इस विवादास्पद मुद्दे के आरोपों और आसपास की परिस्थितियों का गहन आकलन करने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. यह घटनाक्रम क्षेत्र में चल रहे राजनीतिक तनाव के साथ-साथ किए जा रहे दावों की गंभीर प्रकृति को उजागर करता है.
पिछले 40 से 50 वर्षों से, यह बताया गया है कि लड्डू बनाने के लिए घी की आपूर्ति लगातार नंदिनी कर्नाटक दूध केंद्र से की जाती थी. हालांकि, जब घी की कीमत में संभावित वृद्धि के बारे में चर्चा हुई, तो लंबे समय से चली आ रही इस आपूर्ति को अचानक रोक दिया गया. इसके स्थान पर पांच अलग-अलग कंपनियों से घी खरीदा जाने लगा, जिसकी कीमत 320 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित रही, जो नंदिनी द्वारा वसूल की जाने वाली कीमत के समान थी. इस अप्रत्याशित स्थिति का सामना करते हुए, व्यवसायी के पास देवस्थानम को आवश्यक आपूर्ति प्रदान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, एक निर्णय जिसके निहितार्थ हाल ही में सामने आये हैं. एक जांच के बाद, यह पता चला कि इनमें से एक फर्म, विशेष रूप से तमिलनाडु की डिंडीगुल फर्म द्वारा आपूर्ति किये गये घी में विसंगतियां पायी गयीं. हालांकि, इसमें शामिल अन्य चार फर्मों से संभावित मिलावट के बारे में कोई पूछताछ नहीं की गयी है. इन निष्कर्षों के जवाब में, तत्काल कार्रवाई की गयी, जिसके परिणामस्वरूप संदिग्ध फर्मों से आपूर्ति निलंबित कर दी गयी. नतीजतन, नंदिनी को नई प्रस्तावित उच्च दरों पर ही सही, इसकी आपूर्ति फिर से शुरू करने का निर्देश दिया गया है. यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वर्तमान स्थिति के परिणामस्वरूप इस प्रतिष्ठित मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या पर काफी प्रभाव पड़ने की संभावना है. आवश्यकता इस बात की है कि देश में सरकार द्वारा ऐसे दिशा निर्देश तय किये जायें, जिससे पूजा स्थलों की पवित्रता और स्वच्छता अक्षुण्ण रह सके. प्रत्येक भारतवासी को यह स्मरण रखना चाहिए कि भारतवर्ष विश्व का सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक देश है और किसी की आस्था से खिलवाड़ करने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.