Ranchi : रिम्स में कई बार लावारिस मरीजों को दयनीय अवस्था में पाया जाता रहा है. जिसे देखकर मन विचलित हो जाता है. रिम्स में जमीन पर भात खाते, जिंदा कबूतर नोचकर खाने जैसी तस्वीरें भी एक समय में खूब वायरल हुई थीं. ये दोनों ही लावारिस मरीज थे. ऐसे मरीज अक्सर रिम्स परिसर के किसी भी हिस्से में मिल जाते हैं, क्योंकि इनका कोई नहीं होता और इलाज के बाद छुट्टी मिलने के बाद भी ये मरीज रिम्स परिसर में ही रह जाते हैं.ऐसे मरीजों के लिए रिम्स प्रबंधन ने बेसमेंट स्थित ऑर्थोपेडिक वार्ड के आगे बंद पड़े साझा चूल्हा को विकसित कर लावारिसों का आश्रय बना दिया है. यह रिम्स के प्रभारी अधीक्षक रहे डॉ डीके सिन्हा और ऑर्थोपेडिक विभाग के एचओडी डॉ एलबी मांझी के प्रयास से संभव हुआ है.
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लावारिस मरीजों को मिला नया ठिकाना
ऑर्थोपेडिक विभाग के एचओडी डॉ एलबी मांझी ने बताया कि कई लोग मरीजों को लाकर अस्पताल में छोड़ जाते हैं. अक्सर वे लावारिस ही होते हैं, लेकिन कई बार यह भी देखा गया है कि परिजन मरीज का इलाज कराने के लिए उसे लेकर पहुंचे और कुछ दिन बाद छोड़कर चले गये. ऐसे मरीज की देखभाल के लिए कोई नहीं होता है, तो वे अस्पताल के कॉरिडोर में ही रहने लगते हैं.
साझा चूल्हा में मरीजों को मिल रहा 3 वक्त का खाना
डॉ मांझी ने कहा कि इन मरीजों की देखभाल की व्यवस्था नहीं होने के कारण इनका इलाज भी ठीक से नहीं हो पाता और ये ठीक भी नहीं होते हैं. रिम्स प्रबंधन के प्रयास से साझा चूल्हा को इनका ठिकाना बनाया गया है. इनके लिए यह वार्ड का काम कर रहा है. इन्हें यहां तीन वक्त का खाना मिलेगा. उन्होंने बताया कि इनकी देखभाल के लिए भी कर्मियों को रखा गया है, जो साफ-सफाई के साथ इन मरीजों का ख्याल भी रख रहे हैं. सप्ताह भर से यहां लावारिस मरीज रह रहे हैं.
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