Ranchi: रांची विश्वविद्यालय के अंतर्महाविद्यालय जनजातीय एवं क्षेत्रीय नृत्य महोत्सव सह प्रदर्शनी एवं संगोष्ठी का दो दिवसीय भव्य आयोजन पांच परगना किसान कॉलेज, बुंडू में किया गया. इस महोत्सव का उद्घाटन मुख्य अतिथि मोनिका रानी टुटी (उप निदेशक, जनजातीय शोध अनुसंधान संस्थान, रांची) ने किया. उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा कि जनजातीय और क्षेत्रीय नृत्य हमारी संस्कृति की आत्मा है. ऐसे आयोजनों से न केवल युवा पीढ़ी में अपनी परंपराओं के प्रति गर्व की भावना जागृत होती है, बल्कि यह हमारे समाज को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने का भी एक सशक्त माध्यम है. विषय प्रवेश और स्वागत भाषण डॉ. बिनीता कुमारी, प्राचार्य, पीपीके कॉलेज ने दिया.
कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की परंपरा के अनुसार मुंडारी विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत से हुआ. इसके बाद सिल्ली कॉलेज, बिरसा काॅलेज खूंटी, गोस्नर काॅलेज, जनजातीय भाषा स्नातकोत्तर विभाग से मुण्डारी एवं कुड़ुख विभाग सभी ने अपनी पारंपरिक एवं भावभीनी प्रस्तुति से समां बांध दिया. पांच परगना किसान काॅलेज द्वारा प्रस्तुत छऊ नृत्य अत्यंत मनमोहक था.
महोत्सव में झारखंड के पारंपरिक परिधान, शिल्पकला, खाद्यान्न और वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें जनजातीय जीवनशैली और उनके रीति-रिवाजों की झलक देखने को मिली. यह महोत्सव केवल मनोरंजन का साधन नहीं था, बल्कि जनजातीय और क्षेत्रीय संस्कृतियों के संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में एक प्रभावी कदम भी था.
पहले दिन के कार्यक्रम में सम्मानित अतिथियों में प्रो. मुकुल कुमार (पूर्व प्राचार्य, पीपीके कॉलेज), प्रो. हंस कुमार, प्रो. भूतनाथ प्रमाणिक तथा पीपीके कॉलेज के तमाम विद्वान सहायक प्राध्यापक और विभिन्न महाविद्यालयों से आए प्रोफेसर व छात्र छात्राएं शामिल थे. निर्णायक मंडल में जुरा होरो, अरुण कुमार तिग्गा और कॉर्निलियस मिंज शामिल थे. कार्यक्रम के अगले दिन बचे हुए काॅलेजों की प्रस्तुति के उपरांत जनजातीय विषय पर राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त विद्वानों की संगोष्ठी एवं पुरस्कार वितरण किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें – रूसी न्यूक्लियर प्रोग्राम के चीफ इगोर किरिलोव की एक धमाके में मौत… यूक्रेन का हाथ!
Leave a Reply