Ranchi: झारखंड में आदिवासियों की जमीन गैरआदिवासियों के नाम रजिस्ट्री आम है. ऐसे सैकड़ों मामले अबतक सामने आ चुके हैं. अभी रांची में नए मामले सामने आ रहे हैं. कांके अंचल के डुमरदग्गा मौजा में कई गडबडियां सामने आई हैं. खाता नंबर 112, प्लॉट नंबर 65, रकबा 83 डिसमिल जमीन धनवा मुंडा के नाम है. जिसका रिकॉर्ड आरएस खतियान में दर्ज है. उसी जमीन का रिकॉर्ड अंचल कार्यालय के पंजी टू के वॉल्यूम 1 के पेज नंबर 107 में दर्ज है. जो सोहराय मुंडा वगैरा के नाम से जमाबंदी दिख रहा है. जिसमें आदिवासी रैयतों के द्वारा वर्ष 2020-21 तक का लगान रसीद कटाया गया है. इसके भी रजिस्ट्री कार्यालय में आदिवासी जमीन को गैर आदिवासियों के नाम रजिस्ट्री कर दिया गया. इसके लिए रैयत रजिस्ट्री कार्यालय के जिम्मेवारों को दोषी ठहरा रहे हैं.
गलत दस्तावेज के आधार पर खतियानी जमीन की रजिस्ट्री
दासो मुंडा के पोते सलदेव मुंडा ने लगातार न्यूज को बताया कि उनकी जमीन भी बेच दी गई है. खतियानी भूमि में से 30 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री गलत ढंग से किया गया. जिसका डीड नंबर 7974 एवं 7975 है. दिनांक 19 नवंबर 2019 को यह डीड गलत दस्तावेज के आधार पर किया गया. रजिस्ट्री में गलत खतियान एवं फर्जी लगान रसीद का प्रयोग किया गया है.
सलदेव मुंडा ऐसे रजिस्ट्री के लएि अफसरों को दोषी बताते है. वे पूरे मामले में रजिस्ट्री ऑफिस की मिलीभगत बताते है. जिसकी शिकायत उपायुक्त रांची के गोपनीय शाखा एवं राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग से भी किया गया है. शिकायत में दोषियों के खिलाफ एसटीएससी थाना में मामला दर्ज करने का आग्रह किया है. मामला अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (संशोधन) 2015 के अंतर्गत दर्ज कराने को कहा है.
जमीन के मामलों में रजिस्टार की कोई रिस्पांसब्लिटी नहीं- अविनाश कुमार
अवर निबंधक, रांची अविनाश कुमार ने लगातार न्यूज नेटवक से बातचीत की. उन्होंने कहा कि जमीन के मामलों में रजिस्टार की कोई रिसपांसब्लिटी नहीं होती. अधिकार अधिनियम के तहत एक दिन में रजिस्ट्री करना है. ऐसे में दस्तावेज की जांच नहीं हो सकती. हम रोजाना रजिस्ट्री करते हैं. पार्टी द्वारा रजिस्ट्री के समय दस्तावेज लगाया जाता है. गलत दस्तावेज जमा कर रजिस्ट्री करनाने वाला दोषी है. रजिस्टार गलत दस्तावेज के लिए दोषी नहीं होता है. क्योंकि दस्तावेज जांचना रजिस्टार की जिम्मेवारी नहीं है.
2016 में क्या अधिसूचना जारी हुई थी.उसमें कहीं भी दस्तावेज की जांच कर रजिस्ट्री करने का गाइडलाइन नहीं है. रिकॉर्ड रूम में दस्तावेज भेज कर सत्यापित कराने के लिए भी नहीं कहा गया है. मैं खुद 2016 में सचिवालय में था. मैं ही अधिसूचना जारी करता था. दस्तावेज सत्यापन के बाद रजिस्ट्री करने का कोई नियम नहीं है. भड़कते अंजाद में उन्होंने कहा कि “अंदाजी आपलोग कुछ भी छाप देते हैं”.
क्या था है 2016 में जारी अधिसूचना में
राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने 2016 में अधिसूचना जारी किया था. जिसमें प्रस्तुत दस्तावेज के साथ भूमि की पहचान से संबंधित दस्तावेज देने है. निबंधन पदाधिकारी के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत करना है. जिसमें भूमि पहचान के लिए खतियान की सत्यापित प्रति आवश्यक जमा करना है. भूमि निंबधन में भूस्वामी प्रमाण पत्र अथवा शुद्धि पत्र दस्तावेज आवश्यक है. उपरोक्त भूमि का रजिस्ट्री में गलत दस्तावेज लगा कर रजिस्ट्री किया गया. राज राजेश्वर प्रसाद सिंह बनाम राज्य सरकार एवं अन्य के मामले में 19 मई 2015 को पारित आदेश के आलोक निबंधन संबंधी अधिसूचना विभाग ने जारी किया था.