Ranchi: उर्जा मंत्रालय, रिजर्व बैंक और झारखंड सरकार के त्रिपक्षीय करार से झारखंड अलग झारखंड कैबिनेट ने ऊर्जा विभाग पर एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने झारखंड के हित का का हवाला देते हुए रघुवर सरकार के कार्यकाल में बिजली की बकाया राशि की वसूली को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय, आरबीआई और राज्य सरकार के बीच हुए समझौते से खुद को अलग करने का फैसला ले लिया है.6 जनवरी को हुए कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को पारित किया गया.
मुख्यमंत्री बोले- महत्वपूर्ण रही कैबिनेट मिटिंग
झारखंड कैबिनेट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह कैबिनेट बहुत ही महत्वपूर्ण रहा इसमें दो फैसले लिए गए जिसमें जेपीएससी के लिए 1951 के बाद पहली बार नियमावली बनी अब इसी नए नियमावली के साथ जेपीएससी काम करेगा. जेपीएससी में कई तरह के विवाद उठे और कई सवाल आए इसलिए इस नियमावली को बनाया गया.
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वही ऊर्जा मंत्रालय, आरबीआई और झारखंड सरकार के त्रिपक्षीय करार जिसे की पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में किया गया था, उसे निरस्त किया गया। हेमंत सोरेन ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने ऐसे फैसले लिए थे जिसका खामियाजा राज्य और राज्य वासियों को भुगतना पड़ा. केंद्र और राज्य के जो संबंध है और जो संवैधानिक व्यवस्था है कहीं ना कहीं उस व्यवस्था के साथ धोखा हो रहा है. एक तरफ जहां डीवीसी ने बिजली की कटौती शुरू कर दी है. वहीं केंद्र सरकार आरबीआई के माध्यम से पैसे काट रही है. इस पैसे का इस्तेमाल वृद्धा पेंशन, छात्रवृत्ति योजना ,14वें वित्त आयोग और एसटी एससी के कल्याण के लिए होता है. यह हमारा सीधा अधिकार है जिसे काटा जा रहा है लिहाजा सरकार ने इस करार को निरस्त करने का फैसला लिया है.
ऊर्जा सचिव ने दी जानकारी
ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार ने बताया कि राज्य के हित में ये फैसला लिया गया क्योंकि झारखंड को इस समझौते की वजह से 15वें वित्त आयोग के तहत मिलने वाली राशि काटी गई थी, जिसका इस्तेमाल अनुसूचित जाति– जनजाति और महिलाओं के लिए लाए गए योजनाओं में होना था. लेकिन राशि के काटे जाने से इन योजनाओं पर ग्रहण लग गया. इस आधार पर सरकार ने इस त्रिपक्षीय करार से झारखंड को अलग करने का फैसला लिया गया. अविनाश कुमार ने कहा कि जितनी बिजली खरीदेंगे अब उसी का भुगतान करेंगे.
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बिजली खरीद के भुगतान से जुड़ा था मामला, हुआ था त्रिपक्षीय समझौता
गौरतलब है कि डीवीसी की 5608.32 करोड रुपए की बिजली के बकाया भुगतान की वसूली के लिए रघुवर सरकार के समय त्रिपक्षीय करार किया था. जिसके पहले किस्त के भुगतान नहीं होने पर आरबीआई के द्वारा राज्य सरकार के खाते से 1417.50 करोड़ रुपए की पहली किस्त निकाल ली गई थी.
झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज नियमावली को मंजूरी
कैबिनेट की बैठक में झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज नियमावली को मंजूरी दी गई. झाऱखंड कैबिनेट के दूसरे महत्वपूर्ण फैसले में जेपीएससी परिक्षाओं में लगातार हो रहे विवादों को देखते हुए झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज नियमावली को मंजूरी दी गई.विकास आयुक्त, वित्त सचिव और कार्मिक सचिव की 3 सदस्यीय वाली इस कमिटी के रिपोर्ट के आधार पर इस नियमावली को मंजूरी दी गयी.
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