LagatarDesk: खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने गोबर को बेस बनाकर एक वैदिक पेंट तैयार किया है. यह इको फ्रेंडली पेंट है. इसे खादी उद्योग ने गोबर से बनाया है. इसके साथ ही यह बदबू रहित पेंट है. इसके साथ ही इस पेंट में एंटी वायरल प्रॉपर्टीज है. कोरोना महामारी के कारण लोगों में एंटी वायरल प्रोडक्ट का प्रयोग करने का रूझान काफी बढ़ा है. ऐसे में यह पेंट कई अन्य कंपनियों के पेंट के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है.
इसे भी पढ़ें:लाल निशान पर खुला शेयर बाजार, सेंसेक्स में 41 अंकों की गिरावट
स्वास्थ के लिए हानिकारक होते है कैमिकल पेंट
पहले लोग मिट्टी के घरों में रहा करते थे. उस समय दीवारों और फर्श को लोग गोबर से लीपा करते थे. गांवों में अभी भी कुछ हद तक लोग इसका प्रयोग करते हैं. लेकिन आधुनिक समय में लोग डिस्टेंपर और प्लास्टिक पेंट का प्रयोग कर रहे हैं. हालांकि इस डिस्टेंपर और प्लास्टिक पेंट में कई प्रकार के कैमिकल मिले होते हैं. ये कैमिकल लोगों के लिए काफी हानिकारक होते हैं. इसी समस्या को दूर करने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने गोबर को बेस बनाकर एक वैदिक पेंट तैयार किया है.
इसे भी पढ़ें:कोरोना वैक्सीन की पहली खेप दिल्ली पहुंची, 34 बॉक्स में पहुंचा कोविशील्ड
एंटी-वायरल, बदबू रहित
खादी इंडिया का यह पेंट इको फ्रेंडली है. इसके साथ ही यह पेंट गोबर से बना होने के बावजूद बदबू रहित है. इसके साथ ही इसमें किसी विषैले रासायनिक प्रदार्थ का मिश्रण भी नहीं है. कोरना वायरस के कारण लोग एंटी-वायरल चीजों का प्रयोग काफी कर रहे हैं.
एंटी वायरल चीजों का प्रयोग करने से आप वायरल इंफेक्शन से बचने में मदद मिलती है. गोबर से बना होने के कारण इसमें एंटी-वायरल प्रॉपर्टीज हैं. यह पेंट बाजार में उपस्थित अन्य कंपनी को मात दे सकता है.
इसे भी पढ़ें:हजारीबाग : अवैध मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन, संचालक गिरफ्तार
BIS के मानकों पर खरा
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने भी इस पेंट को प्रमाणित किया है. इनका परीक्षण देश की तीन बड़ी प्रयोगशाला नेशनल टेस्ट हाउस (मुंबई), गाजियाबाद एवं श्री राम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च (नई दिल्ली) में किया गया है.
इसे भी पढ़ें:देवघर : सरकारी अधिकारियों और विधायक से नाखुश हैं शुगरदेही पंचायत के लोग, नहीं मिल रहा योजना का लाभ
सीसा और पारा धातुएं का मिश्रण नहीं
आम पेंट में सीसा (लेड), पारा (मरकरी) जैसी हानिकारक धातुएं मिली होती हैं. खादी के प्राकृतिक पेंट में ऐसी कोई धातुओं का मिश्रण नहीं किया गया है.
इसे भी पढ़ें:धनबाद: अपराधी मंदिर आये व्यवसायी के वाहन से 3.60 लाख रुपये लेकर हुए फरार
जयपुर में किया गया विकसित
एमएसएमई मंत्रालय के आधिकारिक बयान के मुताबिक खादी वैदिक पेंट का विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के विचार के अनुरूप है. खादी और ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने मार्च 2020 में इसकी अवधारणा रखी. बाद में जयपुर के कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने इसे विकसित किया.
इसे भी पढ़ें:परेड और झांकियां निकालकर मनाया जायेगा गणतंत्र दिवस, सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया रद्द
ग्राहकों के लिए सस्ता होगा यह पेंट
वैदिक पेंट का मुख्य अवयव गोबर होने से यह आम पेंट के मुकाबले सस्ता होगा. वहीं यह देश के किसानों की आय बढ़ाने वाला होगा. बयान के मुताबिक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के माध्यम से इसकी स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जायेगा. इससे गोबर की खपत बढ़ेगी जो किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी.
इसे भी पढ़ें:खूंटीः DGP एमवी राव ने क्राइम कंट्रोल पर की बैठक, दिए कई निर्देश