Kaushal Anand
Ranchi : पेयजल संकट से निपटने व भूगर्भ जल की रिचार्जिंग के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग ही एक मात्र उपाय है. लेकिन दुर्भाग्य है कि राज्य गठन के 24 साल बीतने के बाद भी ग्राउंड वाटर (भू-गर्भ जल ) को लेकर कोई ठोस नीति नहीं बनी. यही हाल रहे, तो आने वाले सालों में शहरी क्षेत्रों में पानी के लिए हाहाकार मचेगी. जल संसाधन विभाग के आंकड़े के अनुसार, झारखंड के शहरी इलाकों में केवल 20 प्रतिशत घरों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग से पानी बचाया जा रहा है. एक ओर ग्राउंड वाटर रीचार्ज नहीं हो पा रहा है, वहीं दूसरी ओर बोरिंग के जरिए ग्राउंड वाटर का अंधाधुंध दोहन हो रहा है. नतीजतन भूगर्भ जल तेजी से नीचे जा रहा है.
शहरी क्षेत्र में रह रहे लोगों को सलाना 354 अरब लीटर पानी चाहिए
– राज्य में सिर्फ शहरी इलाके में 20 प्रतिशत घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग से भूगर्भ जल को रीचार्ज किया जा रहा है.
– झारखंड की आबादी 3.19 करोड़ है. एक आदमी की एक दिन में 135 लीटर पानी की जरूरत होती है. सालभर में 1570 अरब लीटर पानी चाहिए.
– 24 प्रतिशत शहरी क्षेत्र की आबादी में 20 प्रतिशत मकानों यानी 2.40 लाख घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग है.
– अनुमान के अनुसार 100 वर्ग मीटर छत वाले घर से तीन लाख लीटर पानी प्रति वर्ष रेन वाटर हार्वेस्टिंग से बचाया जा रहा है.
– 2.40 लाख घरों से 72 अरब लीटर पानी बच रहा है, जबकि शहरी आबादी को 354 अरब लीटर पानी चाहिए.
– 354 अरब लीटर पानी के लिए शहरी इलाके के 98 प्रतिशत घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग होनी चाहिए.
– अगर शहरी क्षेत्र के 100 प्रतिशत घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिग हो जाए, तो जरूरत पूरी करने के बाद भी छह अरब लीटर पानी बच जाएगा.
ऐसे समझें ग्राउंड वाटर की स्थिति
– वर्ष 2020 की तुलना में ग्राउंड वाटर का दोहन 2.22 प्रतिशत बढ़ा है.
– वर्ष 2020 में ग्राउंड वाटर का दोहन जहां 29.13 प्रतिशत था, जो 2022 में बढ़कर 31.35 प्रतिशत तक हो गया है.
– राज्य को 623 यूनिट (260 प्रखंड) में बांटकर ग्राउंड वाटर की स्थिति का आकलन किया गया.
– ओवर ऑल पूरे राज्य में ग्राउंड वाटर का दोहन 1.78 बिलियन क्यूबिक मीटर हो रहा है.
– सबसे अधिक दोहन धनबाद और कोडरमा में हुआ. धनबाद में 75 प्रतिशत और कोडरमा में 66.10 प्रतिशत.
– पश्चिम सिंहभूम की स्थिति सबसे अच्छी है. यहां 9.93 प्रतिशत ही ग्राऊंड वाटर का दोहन हुआ है.
– सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के अनुसार, 260 प्रखंड में से 245 फिलहाल सेफ जोन में हैं.
260 में 245 प्रखंड सेफ जोन में
क्रिटिकल रांची शहरी क्षेत्र, सिल्ली, तोपचांची, धनबाद शहरी, जयनगर, रामगढ़, बेरमो, बलियापुर, गोलमुरी, जमशेदपुर शहरी, चितरपुर,
सेमी क्रिटकल लोहरदगा का कैरो, सरवन, सोनार अइठाडीह, धनबाद का गोविंदपुर, धनबाद, भवनाथपुर, गिरिडीह, दारू, कोडरमा, खलारी, ओरमांझी, चास, सोनारायठारी, झरिया, चित्तरपुर, मांडू, रामगढ़, कांके,
ओवर एक्सपॉयलेटड बेरमो, धनबाद, तोपचांची, गोलमुरी समेत 12 प्रखंड
सेफ जोन बाकी बचे 245 प्रखंड
कहां कितने प्रतिशत गिरावट
जिला वर्ष 2021 वर्ष 2023
रांची 13.4 15.09
सिमडेगा 10.6 10.02
गुमला 11.2 11.00
पलामू 13.8 15.07
लोहरदगा 11.7 11.09
हजारीबाग 12.3 14.07
चतरा 14.6 15.01
गिरिडीह। 14.9 16.10
सिंहभूम 13.8 13.09
बोकारो 12.1 15.00
धनबाद 15.7 19.08
दुमका 11.8 12.10
जामताड़ा 12.5 14.00
देवघर 13.01 13.10
पाकुड़ 14.6 16.08
गोड्डा 17.5 18.00
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