रूपा तिर्की पर बनाया जा रहा था पॉलिटिकल और डिपार्टमेंटल प्रेशर
Ranchi: साहिबगंज की दिवंगत महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत के मामले में भले ही पुलिस की जांच रिपोर्ट में आत्महत्या बता रही है. जो पुलिस की ओर से जारी प्रेस बयान में कहा गया. पुलिस के अनुसार, मरने से पहले रूपा की अंतिम बार बातचीत एसके कनौजिया से हुई थी. रूपा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मौत की वजह गले में फांसी लगने से दम घुटना बताया गया है. पुलिस जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि रूपा तिर्की के परिजनों के द्वारा लगाये गये आरोप के संबंध में कहा कि जांच के क्रम में एसआई मनीषा कुमारी, ज्योत्सना कुमारी और पंकज मिश्रा कि इस घटना की संलिप्तता के बिंदू पर अभी तक कोई साक्ष्य नहीं पाया गया है. घटना की वजह रूपा तिर्की का निजी और व्यक्तिगत है. जिसकी पुष्टि अब तक के उपलब्ध साक्ष्य और तकनीकी साक्ष्य के आधार पर पुलिस की ओर से कही जा रही है.
क्या रूपा की मौत प्रेम प्रसंग का हवाला देकर कर दिया जायेगा रफा-दफा!
साहिबगंज पुलिस की जांच रिपोर्ट के बाद अब ऐसा लगता है कि रूपा मामले में दर्ज यूडी केस ही आत्महत्या को अब सुसाइड के लिए प्रेरित करने की धाराओं में परिवर्तित किये जाने की संभावना है. साथ ही प्रेम प्रसंग का हवाला देकर पूरे मामले को रफा-दफा भी किया जा सकता है.
रूपा के पिता व युवक का ऑडियो वायरल करने का मकसद क्या
रूपा की मौत की जांच जब पुलिस कर रही थी. इसी बीच रूपा के पिता और एक लड़के की बातचीत का ऑडियो कैसे वायरल हुआ. क्या यह रूपा की मौत को प्रेस प्रंसग के नाम पर आत्महत्या में बदलने की साजिश तो नहीं.
दरवाजे को तोड़ा नहीं गया, खिड़की से हाथ लगाकर कुंडी खोला गया
घटना के दिन दारोगा रूपा तिर्की की सहकर्मियों ने साहिबगंज पुलिस को सूचना दी और पुलिस वहां पहुंची. जिस कमरे में रूपा तिर्की का शव पंखे से लटक रहा था. रूपा के कमरे का दरवाजा खिड़की के पास है. जिससे दरवाजा खिड़की से खोलना बहुत हद तक संभव था. पहले यह बात सामने आयी थी कि दरवाजे की कुंडी तोड़कर पुलिस कमरे में गई थी. जो बाद में गलत निकली. पुलिस ने खिड़की से हाथ लगाकर दरवाजा खोला था. दरवाजा खुलने के बाद दर्जनों पुलिसकर्मियों ने कमरे में प्रवेश किया. जिससे वहां मौजूद फूटप्रिंट और फिंगरप्रिंट नष्ट भी हुए होंगे. क्या पुलिस ने जानबूझ कर यह कदम उठाया.
सवाल यह है कि जब दरवाजा खिड़की की तरफ हाथ से लगाकर खोला जा सकता था. तब दरवाजा खोलने से पूर्व ही तो किसी घटना को अंजाम देने के बाद दरवाजा बंद भी किया जा सकता है.
इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए थी, जो नहीं हुआ. वहीं पुलिस ने जब खिड़की से रूपा की बॉडी देखी, तब दरवाजा खोलने से पहले से ही क्यों नहीं वीडियोग्राफी करायी. दरवाजे की कुंडी सहित सभी वस्तुओं की फिंगर प्रिंट और कमरे में मौजूद फूटप्रिंट क्यों नहीं लिये गये. दिवंगत दारोगा रूपा तिर्की का घुटना पूरी तरह बेड पर टिका हुआ था कैसे! इसपर पुलिस का तर्क है कि शरीर का वजन पड़ने की वजह से रस्सी खिसका, जिससे उसका घुटना सटा.
बेड सही-सलामत था कैसे! अगर बेड पर कुर्सी लगाकर कोई आत्महत्या करेगा तो शरीर में हरकत भी होगी और बेड भी अस्त-व्यस्त होगा, लेकिन पुलिस ने अपने अनुसंधान में इसपर ध्यान ही नहीं दिया क्यों. लगातार न्यूज के पास उपलब्ध वीडियो से भी प्रमाणित होता होता है कि रूपा का बेड अस्त-व्यस्त नहीं था. वहीं रूपा की बॉडी पंखे से उतरा कर उसी के बेटसीट में क्यों मोड़ा गया. क्या उसमें मौजूद साक्ष्य को पुलिस ने जानबूझ मिटाया. ऐसे कई सवाल और भी हैं.
रूपा की मौत की वजह कहीं ह्यूमन ट्रैफिकिंग तो नहीं!
दिवंगत रूपा अपनी फुआ से जब भी मिलती थी. अपना सुख-दुख साझा करती थी. रूपा पिछले डेढ माह से परेशान थी. ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले की जांच के सिलसिले में राजस्थान भी गयी थीं. एक केस के सिलसिले में डाहू यादव के सहयोगी को रूपा ने हिरासत में लिया था. जिसके बाद उस पर काफी ज्यादा पॉलिटिकल और डिपार्टमेंटल प्रेशर बनाए जाने लगा.
डाहू यादव के करीबी की गिरफ्तारी के बाद पंकज मिश्रा नाम का व्यक्ति रूपा को लगातार मिलने के लिए दबाब दे रहा था. रूपा उससे मिलना नहीं चाहती थी. वह कहती थी, जिसे हमसे मिलना है थाने आये. रूपा की फुआ ने बताया कि कुछ दिन पहले एक डीएसपी स्तर के अधिकारी भी उसे टॉर्चर किया करते थे. ऐसा रूपा ने अपनी फुआ को बताया था.