- मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्टस की थोक महंगाई -2.51% रही
- जुलाई 2022 में डब्ल्यूपीआई 13.93% पर थी
LagatarDesk : लगातार तीन महीने की गिरावट के बाद जुलाई में थोक महंगाई दर यानी होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) बढ़ी है. डब्ल्यूपीआई 4.12% से बढ़कर -1.36% पर पहुंच गयी. इससे पहले जून में थोक महंगाई दर 8 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया था. एक साल पहले यानी जुलाई 2022 में डब्ल्यूपीआई 13.93% पर थी. बता दें कि सब्जियों, प्याज और प्राथमिक वस्तुओं के दाम बढ़ने की वजह से जुलाई में थोक महंगाई दर बढ़ी है.
सब्जियों, प्याज और अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से बढ़ा डब्ल्यूपीआई
जुलाई में प्राथमिक वस्तुओं की महंगाई बढ़कर 7.57% पहुंच गयी, जो जून में -2.87% पर थी. वहीं जुलाई में सब्जियों की महंगाई -21.98% से बढ़कर 62.12% पर पहुंच गयी है. इसके अलावा प्याज की महंगाई -4.31% से बढ़कर 7.13% हो गयी है. मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्टस की थोक महंगाई -2.71% से बढ़कर -2.51% रही. हालांकि जुलाई में ईंधन और बिजली की महंगाई दर जून के -12.63% से घटकर -12.79% पर रही है. वहीं आलू की महंगाई दर जून के -21.27% से घटकर -24.40% पर आ गयी. इसी तरह अंडे, मांस और मछली की महंगाई जून के 2.74% से घटकर 1.79% पर रही है.
महंगाई निगेटिव में रहना इकोनॉमी के लिए सही नहीं
थोक महंगाई दर निगेटिव रहने से इसका इकोनॉमी पर प्रभाव पड़ता है. इसे डिफ्लेशन कहा जाता है. निगेटिव महंगाई तब होती है, जब वस्तुओं की आपूर्ति, मांग से ज्यादा हो जाती है. इससे दाम गिर जाते हैं और कंपनियों का प्रॉफिट घट जाता है. प्रॉफिट घटता है तो कंपनियां वर्कर्स को निकलाती हैं और अपने कुछ प्लांट या स्टोर भी बंद कर देती है.
Leave a Reply