Girish Malviya
हमारे देश का स्वास्थ्य मंत्रालय भी गजब है. कुछ दिन पहले DCGI द्वारा मंजूर कोवैक्सीन कोविशील्ड को सबसे सुरक्षित बताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ओर नीति आयोग के सदस्य-स्वास्थ्य डॉ. वीके पॉल कह रहे थे कि “हमें इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि स्वीकृत दो टीके, टीकों में सबसे सुरक्षित हैं.”
दोनों टीकों का हजारों लोगों पर परीक्षण किया गया है और ‘दुष्प्रभाव नगण्य’ हैं.
कल सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वैक्सीन “कोविशील्ड” के फायदे बतलाने के लिए जो “फैक्टशीट” जारी की है, उसमें उसने साफ लिख दिया है कि “कोविशील्ड” लगवाने वाले प्रत्येक 10 व्यक्ति में से 1 व्यक्ति को सामान्य साइड इफेक्ट सामने आ सकते हैं.
इस लिंक पर क्लिक करें और पढ़ें कोविशील्ड से जुड़ी शिरम इंस्टीट्यूट की ओर से जारी तमाम तरह की जानकारी
जैसे
– इंजेक्शन जहां लगा था वहां दर्द, गर्माहट, सूजन या घाव, लालिमा
– तबीयत ठीक नहीं लगना
– थकान महसूस होना (कमजोरी)
– कंपकंपी या बुखार महसूस होना
– सिरदर्द
– जोड़ों में दर्द या मांसपेशियों में दर्द
– इंजेक्शन लगने की जगह पर गांठ बनना
– बुखार
– फ्लू जैसे लक्षण- तेज बुखार, गले में खराश, बहती नाक, खांसी या कंपकंपी
इसके अलावा इस फैक्टशीट में उसने कुछ असामान्य लक्षणों की सूची दी है, जो उसके अनुसार 100 में से 1 व्यक्ति को होते हैं.
– चक्कर आना
– भूख कम लगना
– पेटदर्द
– फूले हुए लिम्फ नोड्स
– अत्यधिक पसीना आना, त्वचा में खुजली या चकत्ते
इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट मान रहा है कि ‘गंभीर और अप्रत्याशित दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं. कोविशील्ड वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल्स अब भी जारी हैं.
जी हां, यह सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा जारी की गयी फैक्ट शीट में साफ-साफ लिखा हुआ है.
अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर किस आधार पर भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय इसके सबसे सुरक्षित होने की गारंटी दे रहा है?
दूसरी महत्वपूर्ण बात जो इस फैक्ट शीट में लिखी है, वो यह है कि “क्लीनिकल ट्रायल्स” में सामने आया है कि 4 से 12 हफ्तों के अंतर से दो डोज लेने पर कोरोना से बचा जा सकता है. यह सुरक्षा कितने दिन के लिए मिलेगी, इसके बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.