New Delhi : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने Article 370 पर सुनवाई के क्रम में सरकार का पक्ष रखते हुए SC की संविधान पीठ से कहा कि जिस समय विलय पूरा होता है तो उसी क्षण संप्रभुता खो जाती है. संप्रभुता बड़े संप्रभु के अधीन हो जाती है. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
दलील दी कि ऐसा जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के समय भी हुआ. भारत में विलय के साथ ही जम्मू कश्मीर की संप्रभुता, भारत की संप्रभुता के अधीन हो गयी.
संविधान पीठ के समक्ष गुरुवार को 10वें दिन की सुनवाई हुई
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष गुरुवार को 10वें दिन की सुनवाई हुई. इस क्रम में केंद्र की ओर से Article 370 खत्म करने को सही ठहराते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील रखी.
उन्होंने पीठ से कहा कि Article 370 खत्म कर जम्मू कश्मीर के लोगों को देश के बाकी हिस्सों के लोगों की तरह मौलिक और अन्य अधिकारों और विशेषाधिकारों का लाभ लेने की अनुमति दी गयी है. बता दें कि संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के अलावा, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत भी शामिल हैं.
जम्मू कश्मीर के लोगों को केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा था
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों को केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए Article 370 को खत्म करना जरूरी था. सरकार ने कहा कि इसकी (Article -370) वजह से जम्मू कश्मीर के लोगों को केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहे थे, जो देश के अन्य हिस्सों के नागरिकों को मिल रहा था.
यह कई मायनों में ऐतिहासिक मामला है
सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि यह कई मायनों में ऐतिहासिक मामला है. कहा कि कोर्ट 75 वर्षों में पहली बार जम्मू-कश्मीर के लोगों को दिये गये विशेषाधिकारों के मामले पर विचार करेगी. कहा कि कोर्ट यह भी देखेगा कि कैसे Article 370 की वजह से घाटी तक पहुंचने वाली केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने से लोग वंचित हो रहे थे.
भारत के एक वर्ग को अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता
एसजी ने कहा कि भारत के एक वर्ग को उन अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता जो दूसरों को मिलता हैं. उन्होंने कहा कि Article370 अस्थायी है या नहीं, इस पर चल रहे भ्रम के कारण, जम्मू-कश्मीर के निवासियों के मन में मनोवैज्ञानिक द्वंद्व था और इसे भारत के हितों से दूर रखा गया था.
1935 अधिनियम की धारा-5 के प्रावधान को देखा जाना चाहिए
कहा कि अब तक इस कोर्ट को कई तथ्यों से अवगत नहीं कराया गया है, मैं आपको उन तथ्यों को दिखाऊंगा जो संविधान पीठ के समक्ष नहीं रखा गया है. इससे पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि विलय का महत्व क्या है? कहा कि 1935 अधिनियम की धारा-5 के प्रावधान को देखा जाना चाहिए, यह महत्वपूर्ण है.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, हम अपना पक्ष रखेंगे
अपने जवाब में सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि यह संप्रभुता खोने का पहला कदम है. फिर CJI ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया है कि संप्रभुता का आंतरिक और बाहरी पहलू होता है और बाहरी पहलू खो गया है लेकिन आंतरिक पहलू नहीं. इस पर सॉलिसिटर जनरल का जवाब था कि इस संबंध में हम सचेत हैं.हम इसका समाधान करेंगे, इस बारे में हम अपना पक्ष रखेंगे.