- गिरिडीह सोलर सिटी का कियाऑनलाइन शिलान्यास
- दुमका,धनबाद एयरपोर्ट सोलर प्लांट का ऑनलाइन किया उदघाटन
- सीएम ने कहा- कोयले की निर्भरता खत्म करके सोलर को विकल्प के रूप में खड़ा करना है मुख्य लक्ष्य है इस पॉलिसी का
Ranchi : राज्य का कोई भी उपभोक्ता, जिनकी वार्षिक आय 3 लाख रुपये तक है, वे अपने घर की खाली छत या जमीन पर रूफटॉप सोलर सिस्टम लगा सकते हैं. इसे लगाने पर सरकार की ओर से 100 प्रतिशत अनुदान मिलेगा. इसमें 70 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र और 30 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्य सरकार की होगी. इससे उत्पादित बिजली का इस्तेमाल कर उपभोक्ता न केवल अपना बिजली बिल की बचत कर सकता है, बल्कि अतिरिक्त बिजली नेट मीटरिंग द्वारा ग्रिड नेटवर्क सिस्टम के जरिए जेबीवीएनएल को बेच कर मुनाफ भी कमा सकता है. मंगलवार को होटल रेडिशन ब्लू में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड स्टेट सोलर पॉलिसी 2022 को लांच किया. इस मौके पर सीएम ने गिरिडीह सोलर सिटी निर्माण का ऑनलाइन शिलान्यास किया. वहीं दुमका एवं धनबाद एयरपोर्ट में सोलर पावर सिस्टम का भी ऑनलाइन उदघाटन किया. इसके साथ ही सीएम ने पीएम कुसुम सोलर स्कीम के पोर्टल को भी जारी किया.
सुदूर क्षेत्रों में ट्रांसमिशन से बिजली पहुंचाना कठिन, सोलर सिस्टम बेहतर विकल्प
इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे राज्य की भौगोलिक परिस्थिति बहुत अलग है. नदी, पहाड़, जंगल और सुदूर ग्रामीण क्षेत्र है, जहां पर थर्मल पावर बिजली ट्रांसमिशन लाइन के जरिए पहुंचाना बहुत मुश्किल भरा काम है. इसलिए विकल्प के तौर पर सोलर पावर बहुत कारगार हो सकता है. आने वाले दिनों में केवल झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश में कोयला आधारित थर्मल पावर पर निर्भरता कम करनी होगी. क्योंकि कोयले की मार और संकट अब पावर सेक्टर झेलने लगा है.
कोयला आधारित थर्मल बिजली की निर्भरता होगी खत्म
उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में 4000 मेगावाट केवल सोलर एनर्जी के जरिए बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जो कोयला आधारित बिजली से सस्ता होगा. कोयला आधारित बिजली जहां हम 6 रुपये प्रति यूनिट खरीद रहे हैं, वहीं सोलर बिजली 2 से 3 रुपये प्रति यूनिट तक होगी और कोयले पर निर्भरता भी खत्म होगी. यही कारण है कि हमने सिंगल विंडो सिस्टम के तहत नयी सोलर पॉलिसी बनायी है. इससे न केवल आम जनता, ग्रामीण जनता बल्कि उद्योग क्षेत्र के लोगों को भी फायदा होगा. आज पेयजल एवं जलसंसाधन विभाग भी सोलर आधारित वाटर सिस्टम लगा रहा है, यह बड़ी बात है. अब आने वाले दिनों में अधिक से अधिक सोलर पावर इस्तेमाल हो, यही हमारी सरकार का प्रयास है. मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि हमारे यहां कई जिले हैं, जहां पर बिजली की खपत 30 से 40 मेगावाट तक है. एक मेगावाट सोलर बिजली के लिए हमें 5 एकड़ जमीन की जरूरत होगी. अगर 400 से 500 एकड़ जमीन पर सोलर बिजली उत्पादित करें, तो कई जिले सोलर बिजली से संचालित होने लगेंगे.
सिंगल विंडो सिस्टम के तहत उठा सकते हैं योजना का फायदा
इस मौके पर विभागीय सचिव अविनाश कुमार ने कहा कि यह कोई नयी नीति नहीं है. मगर हमने इसमें कुछ आवश्यक संशोधन और एड किया है, ताकि सरल हो. लोगों को इस योजना का लाभ लेने में कोई परेशानी न हो. इस नयी पॉलिसी को बनाने में खुद मुख्यमंत्री ने काफी दिलचस्पी दिखायी. उनकी सलाह पर ही इसे सरल बनाया गया है. सिंगल विंडो सिस्टम के तहत न केवल राज्य के आम उपभोक्ता बल्कि हमारे इंडस्ट्रीज भी इससे लाभान्वित हो सकेंगे. इसमें नॉर्मल इनवेस्टर भी अपना इनवेस्ट आसानी से कर सकते हैं. अगले पांच सालों में विभिन्न माध्यमों के जरिए 4000 मेगावाट सोलर बिजली का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है.
बिजली खरीद के बोझ से जेबीवीएनएल और सरकार को मिलेगी राहत
ज्रेडा निदेशक और एमडी ट्रांसमिशन केके वर्मा ने कहा कि इस योजना के तहत गिरिडीह सोलर सिटी स्थापित करने को छोड़कर सभी जिलों में कम से कम 20 मेगावाट सोलर बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. हमारे राज्य में कई ऐसे जिले हैं, जहां पर 40 मेगावाट ही बिजली की खपत है. अब अगर 20 मेगावाट सोलर से बिजली मिल जाएगी, तो महंगी दर पर बिजली खरीद कर बिजली आपूर्ति के बोझ से बचा जा सकेगा. इससे जेबीवीएनएल और सरकार दोनों को फायदा होगा. वैसी जमीन जिसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है, वहां पर हम यह प्लांट लगा सकते हैं. हमने राज्य में 47 जलाशय चिन्हित किया है, जहां पर फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगाया जाएगा. अगले दो से तीन साल में गिरिडीह सोलर सिटी के रूप में विकसित हो जाएगा. इसके बाद अन्य शहरों को भी सोलर सिटी के रूप में जोड़ा जाएगा. सोलर प्लांट के रखरखाव के लिए स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाएगा. इससे रोजगार सृजित होंगे. इस मौके पर सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे सहित कई बिजली अफसर उपस्थित थे.
इसे भी पढ़ें- एजबेस्टन टेस्ट: इंग्लैंड ने टीम इंडिया को 3 विकेट से दी मात, रूट-बेयरेस्टो का शतक
Leave a Reply