Ranchi : मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों के लिए राज्य कोष से 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. ग्रामीण विकास विभाग की ओर से ये राशि मजदूरों या उनके परिजनों को अनुदान में दी जाएगी. मंगलवार को ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डाॅ मनीष रंजन ने इस संबंध में निर्देश जारी किया. सचिव ने निर्देश सभी जिलों के उप विकास आयुक्तों को दी है.
इसमें कहा गया है कि किसी भी वित्तीय वर्ष में कम से कम 15 दिनों तक मनरेगा तहत काम करने वाले मजदूरों को अनुदान देने का प्रावधान है. अनुदान ऐसे मजदूरों को देना है, जिसकी मृत्यु, दुर्घटना या अप्राकृतिक मौत या अंग-भंग हो गया है. ऐसे में मजदूरों या उनके परिजनों को अनुग्रह अनुदान मिलने का प्रावधान है. सचिव ने एक सप्ताह में जिलों से ऐसे श्रमिकों और आश्रितों की सूची मांगी है.
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65 साल की आयु वाले मजदूरों को लाभ
सचिव ने बताया कि मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को केंद्र सरकार की ओर से किसी प्रकार का अनुदान नहीं दिया जाता है, जबकि इस योजना में निर्धन लोग ही जुड़ते है. ऐसे में मजदूरों की प्राकृतिक या अप्राकृतिक कारणों से मौत होने पर परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय हो जाती है. ऐसी स्थिति में निर्णय लिया गया है कि अधिकतम 65 वर्ष तक के जिन मजदूरों ने किसी वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 15 दिनों तक मनरेगा तहत काम किया है, उन्हें अनुदान राशि दी जाएगी. मजदूरों की मृत्यु या अप्राकृतिक मौत होने पर उत्तराधिकारी को अनुदान दिया जाएगा.
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एक सप्ताह में करना है भुगतान
सचिव ने आदेश देते हुए कहा है कि एक सप्ताह के अंदर ऐसे श्रमिकों को चिह्नित किया जाए. चिह्नित श्रमिकों या उनके आश्रितों की सूची विभाग को दी जाए. यह भी निर्देश दिया गया है कि किसी प्रकार की घटना होने पर तुरंत विस्तृत जांच की जाए. मामला सही पाये जाने पर आश्रितों को 24 घंटे में राशि उपलब्ध करायें.
कितनी राशि मिलनी है
- दुर्घटना में मृत्यु, अप्राकृतिक मौत होने या विकलांग और अंग-भंग हो जाने पर 75,000 रुपये का प्रावधान है
- दुर्घटना में आंशिक रूप से विकलांग होने पर 37,500 रुपये
- सामान्य मृत्यु होने पर राशि 30,000 रुपये
- मनरेगा योजना अंतर्गत निर्मित डोभा में डूबकर मरने वाले मृतकों के आश्रितों को अनुग्रह
- अनुदान के रूप में 50,000 रुपये का प्रावधान है