Koderma : जिले के झुमरीतिलैया में 11 दुर्लभ ब्रह्म कमल फूल खिला है. यह फूल नगर परिषद क्षेत्र के एडी बंगला निवासी राजेश गुप्ता के घर के छत पर एक वर्ष के लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार देर रात को खिला है. उत्तराखंड का यह राजकीय दुर्लभ पुष्प सामान्य तौर पर कम तापमान वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश एवं कश्मीर में पाया जाता है.
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11 दुर्लभ फूल देखकर पूरा परिवार प्रफुल्लित
व्यवसायी राजेश गुप्ता ने बताया कि मैं एक बार उत्तराखंड घूमने गया था. तो वहीं से इसका पौधा लाया था. ब्रह्म कमल पौधे का एक पत्ता लेकर अपने घर के आंगन में लगाया था. इसके बाद 6 वर्षों के लंबे इंतजार और उचित देखभाल के फलस्वरूप वर्ष 2019 में उनके आंगन में ब्रह्म कमल का पहला फूल खिला था. राजेश गुप्ता ने बताया कि वैसे तो पिछले 4 वर्षों से वर्ष में एक बार ब्रह्म कमल के पौधे में एक या दो फूल खिलते थे. लेकिन इस बार पौधे में एक साथ 11 दुर्लभ फूल देखकर पूरा परिवार प्रफुल्लित हो उठा.
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सुबह होते ही फूल बंद हो जाता है
उन्होंने बताया कि यह फूल वर्ष में एक बार जुलाई से अक्टूबर के बीच रात में तापमान कम होने पर खिलता है. और सुबह होते ही इसका फूल बंद हो जाता है. पिछले कई दिनों से पूरे प्रदेश में हो रही बारिश से तापमान में गिरावट हुई है. शायद इस वजह से इस बार फूल कुछ दिन पहले खिल गया है. आशा देवी ने बताया कि ब्रह्म कमल अत्यंत सुंदर, सुगंधित एवं दिव्य फूल है. इसको पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं कि केवल भाग्यशाली लोग ही इस फूल को खिलते हुए देख पाते हैं और जो ऐसा देख लेते हैं उन्हें सुख और समृद्धि मिलती है. देवताओं का यह काफी प्रिय पुष्प है.
ब्रह्मा जी ने ब्रह्म कमल का सृजन किया
फूल से जुड़े पौराणिक मान्यताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि माता पार्वती ने जब गणेश जी का सृजन किया था. उस समय भगवान भोलेनाथ बाहर गए हुए थे. इस दौरान स्नान करने से पहले उन्होंने गणेश जी को घर के बाहर पहरा देने के लिए कहा था. तभी भोलेनाथ जी वहां आ गए और कमरे के अंदर जाने की जिद करने लगे. जिन्हें गणेश जी ने अंदर नहीं जाने दिया. इस पर क्रोध में भोलेनाथ जी ने गणेश जी का सिर त्रिशूल से काट दिया और जब माता पार्वती को इस घटना की जानकारी हुई तो उन्हें काफी क्रोधित हो गयी. लेकिन जब उन्हें वास्तविक स्थिति का पता चला तो उन्होंने ब्रह्मा जी से कटे हुए सिर को वापस जोड़ने का आग्रह किया. इसके बाद ब्रह्मा जी ने ब्रह्म कमल का सृजन किया. जिसकी मदद से गणेश जी का सिर हाथी के सिर के रूप में जोड़ा गया. इसके बाद से यह फूल भगवान शिव का सबसे प्रिय फूल है. जिसे केदारनाथ और बद्रीनाथ के मंदिरों में प्रतिमाओं पर चढ़ाए जाते हैं.
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पंखुड़ियों से अमृत की बूंदें टपकती है
वही औषधीय दृष्टिकोण से माना जाता है कि इसके पंखुड़ियों से अमृत की बूंदें टपकती है. इससे निकलने वाले पानी को पीने से थकान मिट जाती है. इससे पुरानी खांसी का इलाज किया जाता है. साथ ही कैंसर सहित कई खतरनाक बीमारियों का इलाज होता है. खास बात यह है कि आमतौर पर कमल के फूल पानी में खिलते हैं लेकिन यह पानी में नहीं बल्कि जमीन में उगता है. शुक्रवार की शाम ब्रह्म कमल फूल खिलने की जानकारी होने पर आसपास के कई लोग इसके दर्शन के लिए पहुंचे. इस मौके पर राजेश गुप्ता समेत परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे.
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