Amit Singh
Ranchi : झारखंड राज्य गठन के 20 वर्ष हो गये. मगर आज भी प्रदेश में शहरों के विकास में अपेक्षित सफलता नहीं मिली है. राज्य गठन से लेकर अबतक नगर विकास विभाग डेवलपमेंट और कंस्ट्रक्शन पर 13000 हजार करोड़ रूपये तक खर्च कर चुका है. इसके बाद भी झारखंड में मात्र 6% ही शहरों का विकास हो पाया है. इस वजह से ही झारखंड सबसे अल्प विकसित राज्यों की श्रेणी में चौथे स्थान पर है. 2015 में झारखंड पांचवे स्थान पर था. रांची में स्मार्ट सिटी का काम शुरू होने के बाद श्रेणी में सुधार हुआ, मगर वह काफी नहीं है.
झारखंड के साथ ही छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड राज्य का भी गठन हुआ था. भौगोलिक और प्रशासनिक अधिकार भी तीनों राज्यों को साथ-साथ मिला था. मगर झारखंड शहरी विकास के मामले में छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड से पीछे रह गया. वर्ष 2000 में झारखंड में शहरी क्षेत्र 20% था. उस समय उत्तराखंड में 26% और छत्तीसगढ़ में 20% शहरी क्षेत्र का आकलन हुआ था. इन दोनों राज्यों में शहरी क्षेत्र में औसतन 10% की बढोत्तरी हुई. वहीं झारखंड में मात्र 6% की ही बढोत्तरी हो पायी.
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रिपोर्ट के बाद भी नहीं हुआ तेजी से विकास कार्य
रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट में झारखंड के विकास से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गयी थी. रिपोर्ट में ही झारखंड को सबसे अल्प विकसित राज्यों की सूची में 5वें स्थान पर रखा था, यह रिपोर्ट बीते वर्ष आयी थी. जिसके आधार पर झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा की मांग तेज हुई थी.
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संपन्नता के बाद भी पीछे छूट गये हम
संतुलित सम्यक विकास और भविष्य का तानाबाना पीछे छूट गया. ऐसा तब देखने को मिल रहा है, जब झारखंड खनिज संपदा की वजह से संपन्न राज्यों की श्रेणी में शामिल है. प्रदेश में खनिज संपदा का अकूत भंडार है. औद्योगिकीकरण की संभावनायें भी बेहद ज्यादा हैं. पर्यटन के क्षेत्र में भी बेहतर उम्मीद है.
राज्य में तेजी से विकास वाले कई शहर राज्य गठन के पहले से हैं. जिसमें जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, रांची और देवघर शामिल हैं. इन शहरों का विकास भी उम्मीद के तहत रफ्तार से नहीं हुआ.
कागजों में ही हुए विकास कार्य, आज भी जनसुविधाओं का टोटा
राज्य गठन से लेकर आज तक रांची सहित बड़े शहरों में जनसुविधाओं में संतोषजनक वृद्धि नहीं हुई.
– रांची, धनबाद और जमशेदपुर में सीटी बस सेवा शुरू हुई, मगर वह भी कुछ दिनों के बाद फेल हो गयी. खानापूर्ति के नाम पर एक दो बसें सरकार निजी एजेंसियों के सहयोग से चलवा रही है.
-प्रमुख शहर के सभी घरों में नल से पेयजल देने की योजना का काम भी काफी धीमा है. हर घर जल योजना का लाभ 100% लोगों को मिलना ऐसे में असंभव दिख रहा है.
– सीवरेज ड्रेनेज योजना, ट्रांसपोर्ट नगर, इंटर बस स्टेट और बस टर्मिनल बनाने की योजना का काम कागजों पर ही हो रहा है.
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